उत्तर:
दृष्टिकोण:
- प्रस्तावना: सिन्धु घाटी सभ्यता के बारे में संक्षेप में लिखिए
- मुख्य विषयवस्तु:
- उन अध्ययनों का उल्लेख कीजिए जो शहरी नियोजन के क्षेत्रों में व्युत्पन्न किए जा सकते हैं।
- उन अध्ययनों का उल्लेख कीजिए जो जल प्रबंधन के क्षेत्रों में व्युत्पन्न किए जा सकते हैं।
- उन अध्ययनों का उल्लेख कीजिए जो पर्यावरणीय चेतना के क्षेत्रों में प्राप्त किए जा सकते हैं।
- निष्कर्ष: उचित निष्कर्ष निकालिए।
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प्रस्तावना:
सिंधु घाटी सभ्यता संसार की सबसे प्राचीन शहरी सभ्यताओं में से एक है। यह अपने व्यापक नियोजन व पर्यावरण के विषय में उन्नत दृष्टिकोण आदि के लिए जाना जाता है साथ ही आधुनिक समाजों में सतत विकास प्रथाओं के लिए एक मूल्यवान पाठ प्रदान करता है।
मुख्य विषयवस्तु:
सिंधु घाटी सभ्यता से निम्न सबक सीखे जा सकते हैं:
- शहरी नियोजन
- कुशल शहरी नियोजन: मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के शहरों में दुर्ग और निचला शहर(citadel and lower town), सड़कों तथा गलियों को लगभग आयताकार ग्रिड पद्धति में बनाना, सार्वजनिक भवन और जल निकासी व्यवस्था के साथ सुव्यवस्थित लेआउट किया गया था। इसकी तुलना अक्सर लुटियंस आदि से की जाती है।
- मिश्रित-उपयोग विकास को प्राथमिकता देना: सिंधु घाटी में मोहनजोदड़ो के नियोजित शहर में एक उच्च संगठित लेआउट था, जिसमें अलग-अलग आवासीय, वाणिज्यिक और प्रशासनिक क्षेत्र थे।
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- स्वच्छता- हड़प्पा में, सीवेज का निपटान पक्की ईंटों से बनी भूमिगत नालियों के माध्यम से किया जाता था। शहर में मल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सोख्ता गड्ढे (सेसपिट) भी थे।
- जल प्रबंधन
- जल का कुशल प्रबंधन: इस प्राचीन सभ्यता में सार्वजनिक कुओं की साफ सफाई, जल संरक्षण एवं स्वच्छता पर महत्व दिया गया है, जिसका आधुनिक समाज वर्तमान में अनुकरण कर सकता है।
- परिष्कृत जल प्रबंधन तकनीकें: विस्तृत भूमिगत जल निकासी प्रणालियों जैसे- शदुफ़(पानी उठाने के लिए हाथ से चलने वाला उपकरण), साकिया(कुओं या गड्ढों से पानी उठाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला यांत्रिक उपकरण) और जलाशयों का निर्माण।
- नहरों का प्रयोग: यह सभ्यता विस्तृत नहर नेटवर्क का प्रमाण भी प्रदान करती है, जैसे- अफगानिस्तान के शोर्तुघई में।
- पर्यावरण के संबंध में चेतना
- अपशिष्ट प्रबंधन: अच्छी तरह से विनिर्मित किए गए कचरा निपटान प्रणालियों और कचरा संग्रहण और निपटान के लिए अलग-अलग क्षेत्र उपस्थित थे।
- स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण को बढ़ावा दिया गया: पुरातात्विक साक्ष्यों से पता चलता है कि इस सभ्यता के लोग वृक्षारोपण करते थे, जैसा कि उनकी बस्तियों के पास पेड़ों की मौजूदगी से संकेत मिलता है।
निष्कर्ष:
सिंधु घाटी सभ्यता से इन अध्ययनों को शामिल करके, आधुनिक समाज सतत विकास के लिए प्रयास कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त पर्यावरण को संरक्षित करते हुए वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों की भलाई सुनिश्चित कर एसडीजी लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर बढ़ सकते हैं।
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