प्रश्न की मुख्य माँग
- नवाचार और सतत् आर्थिक विकास (समन्वित आर्थिक नीतियों द्वारा समर्थित)
- परिवर्तन के प्रति सामाजिक खुलापन और सतत् आर्थिक विकास (समन्वित आर्थिक नीतियों द्वारा समर्थित)।
- कंपनी-स्तरीय रचनात्मक विनाश सतत् आर्थिक विकास (समन्वित आर्थिक नीतियों द्वारा समर्थित)।
|
उत्तर
आर्थिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार 2025 जोएल मोक्यर, फिलिप एघियोन, और पीटर हॉविट को नवाचार-आधारित विकास और ‘क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन’ (Creative Destruction) की भूमिका पर उनके शोध के लिए प्रदान किया गया। उनके अध्ययन से स्पष्ट होता है कि सतत् आर्थिक वृद्धि तकनीकी परिवर्तन, अनुकूलनशीलता, और सुदृढ़ आर्थिक नीति के अंतर्गत उद्योगों के निरंतर पुनर्नवीनीकरण पर निर्भर करती है।
नवाचार और सतत् आर्थिक वृद्धि
- तकनीकी प्रगति उत्पादकता को बढ़ाती है: नवाचार से दक्षता बढ़ती है, उत्पादन लागत घटती है और उत्पादन में वृद्धि होती है, जिससे सीधे तौर पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में वृद्धि होती है।
- उदाहरण: भारत की राष्ट्रीय नवाचार नीति, स्टार्ट-अप इंडिया जैसी योजनाएँ अनुसंधान एवं विकास (R&D) तथा उद्यमिता को प्रोत्साहित करती हैं, जिससे नवाचार सतत् आर्थिक वृद्धि में परिवर्तित होता है।
- अनुसंधान और अवसंरचना में सार्वजनिक निवेश: राज्य-समर्थित नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र उद्योगों को आधुनिक बनाने और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा के लिए सक्षम बनाते हैं।
- उदाहरण: मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया के अंतर्गत समन्वित नीतियों ने विनिर्माण और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) क्षेत्रों में तकनीकी प्रसार को बढ़ावा दिया है।
- वित्तीय और संस्थागत समर्थन: ऐसी आर्थिक नीतियाँ, जो पूँजी तक पहुँच और पेटेंट संरक्षण सुनिश्चित करती हैं, वे जोखिम लेने और रचनात्मकता को बढ़ावा देती हैं।
- उदाहरण: अटल नवाचार मिशन और R&D पर कर प्रोत्साहन नवाचार से विकास की दिशा को मजबूत करते हैं।
सामाजिक खुलेपन और सतत् आर्थिक वृद्धि
- नई तकनीक और कौशल अपनाने की स्वीकृति: जो समाज नई तकनीक अपनाने और श्रमिकों को पुनः कौशल प्रदान करने के लिए तैयार होते हैं, वे तेज उत्पादकता संक्रमण का अनुभव करते हैं।
- उदाहरण: कौशल भारत मिशन और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) जैसी नीतियाँ श्रमिकों को नई आर्थिक आवश्यकताओं के अनुरूप ढालती हैं।
- उद्यमिता और समावेशन को बढ़ावा देना: सामाजिक गतिशीलता और विविध भागीदारी के लिए खुलापन रचनात्मकता और बाजार विस्तार को प्रोत्साहित करता है।
- उदाहरण: MSME और महिला उद्यमियों को सहयोग देने वाली योजनाएँ जैसे स्टैंड-अप इंडिया, समावेशी और नवाचार-आधारित विकास को प्रोत्साहन देती हैं।
- संस्थागत लचीलापन और नीतिगत अनुकूलन: जो नीतियाँ वैश्विक प्रवृत्तियों और डिजिटल परिवर्तन के अनुसार अनुकूलित होती हैं, वे अर्थव्यवस्थाओं को प्रतिस्पर्द्धी बनाए रखती हैं।
- उदाहरण: भारत की डिजिटल शासन प्रणाली और फिनटेक विनियमों ने स्टार्ट-अप और सेवा क्षेत्रों में तीव्र विकास को समर्थन दिया है।
उद्योग-स्तरीय रचनात्मक विनाश और सतत् आर्थिक वृद्धि
- संसाधनों का उत्पादक उद्योगों में पुनर्वितरण: रचनात्मक विनाश पुराने और अक्षम उद्योगों को समाप्त कर कुशल उद्योगों को प्रोत्साहित करता है, जिससे समग्र उत्पादकता में वृद्धि होती है।
- उदाहरण: वर्ष 1991 के आर्थिक उदारीकरण और प्रतिस्पर्द्धा नीतियों ने कुशल उद्योगों को विकसित होने और अक्षम उद्योगों को समाप्त होने की अनुमति दी।
- प्रतिस्पर्द्धा और नवाचार को प्रोत्साहन: जो नीतियाँ खुले बाजार और प्रवेश बाधाओं को कम करती हैं, वे स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा के माध्यम से नवाचार को प्रोत्साहित करती हैं।
- उदाहरण: प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम (2002) और FDI सुधार ने दूरसंचार और ऑटोमोबाइल जैसे उद्योगों में गतिशील पुनर्गठन को प्रोत्साहित किया है।
- वैश्विक मूल्य शृंखलाओं से एकीकरण: व्यापार और औद्योगिक नीतियों द्वारा समर्थित उद्योग-स्तरीय पुनर्गठन निरंतर तकनीकी उन्नयन को सक्षम बनाता है।
- उदाहरण: प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना उद्योगों को नवाचार और आधुनिकीकरण के लिए प्रेरित करती है, जिससे निर्यात-आधारित विकास को बल मिलता है।
निष्कर्ष
दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि प्राप्त करने के लिए नीति नवाचार को प्रोत्साहित करना चाहिए, असफल उद्योगों को बाहर निकलने की अनुमति देनी चाहिए, और नए उद्योगों के संक्रमण को समर्थन देना चाहिए। अनुसंधान एवं विकास (R&D) प्रोत्साहन, सामाजिक सुरक्षा जाल, और नियामकीय लचीलापन जैसे रणनीतिक हस्तक्षेप बाजार प्रक्रियाओं को पूरक बनाकर अर्थव्यवस्था को विकसित और सुदृढ़ बनाए रखते हैं।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Latest Comments