Q. ‘केयर इकोनॉमी’ और ‘मुद्रीकृत अर्थव्यवस्था’ के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए। महिला सशक्तिकरण के माध्यम से ‘केयर इकोनॉमी’ को मुद्रीकृत अर्थव्यवस्था में कैसे लाया जा सकता है? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • ‘केयर इकॉनमी’ और ‘मुद्रीकृत अर्थव्यवस्था’ के बीच अंतर।
  • महिला सशक्तीकरण के माध्यम से केयर इकॉनमी को मुद्रीकृत अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने के उपाय।

उत्तर

महिलाएँ वैश्विक स्तर पर अवैतनिक देखभाल कार्य का लगभग  75% कार्य करती हैं (UNDP 2021) और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 9% का योगदान देती है। कार्यबल और सामाजिक कल्याण को बनाए रखने में अपनी आधारभूत भूमिका के बावजूद, केयर इकॉनमी राष्ट्रीय आय लेखांकन में काफी हद तक अदृश्य बनी हुई है। लैंगिक-समान विकास प्राप्त करने के लिए इस अंतर को कम करना आवश्यक है।

‘केयर इकॉनमी’ और ‘मुद्रीकृत अर्थव्यवस्था’ के बीच अंतर

मानक केयर इकॉनमी मौद्रिक अर्थव्यवस्था
कार्य की प्रकृति इसमें अवैतनिक या कम भुगतान वाली घरेलू, देखभाल संबंधी और सामुदायिक सेवाएँ शामिल हैं।

उदाहरण: घरेलू काम, बुजुर्गों की देखभाल और बच्चों का पालन-पोषण।

इसमें बाजार आधारित, आय-उत्पादक गतिविधियाँ शामिल हैं, जिन्हें औपचारिक रूप से सकल घरेलू उत्पाद में गिना जाता है।

उदाहरण: उद्योगों, सेवाओं आदि में नौकरियाँ।

आर्थिक मान्यता यह प्रायः आधिकारिक आँकड़ों में अदृश्य रहता है तथा इसका मौद्रिक मूल्यांकन भी नहीं किया जाता।

उदाहरण: गृहणियों द्वारा किया गया अवैतनिक कार्य।

मौद्रिक अर्थव्यवस्था को आधिकारिक तौर पर दर्ज किया जाता है, उस पर कर लगाया जाता है तथा उसे राष्ट्रीय आय खातों में शामिल किया जाता है।

उदाहरण: वेतनभोगी रोजगार।

लिंग आयाम केयर इकॉनमी का संचालन मुख्यतः महिलाओं द्वारा किया जाता है। अपेक्षाकृत अधिक पुरुष भागीदारी वाले वेतनभोगी कार्यबल का प्रभुत्व।

उदाहरण: विनिर्माण जैसे पुरुष-प्रधान क्षेत्र।

अर्थव्यवस्था में योगदान यद्यपि अभी तक इसे मान्यता नहीं मिली है, फिर भी केयर इकॉनमी मानव पूँजी निर्माण और आर्थिक उत्पादकता को बढ़ावा देती है।

उदाहरण: बच्चों की देखभाल माता-पिता को काम करने में सक्षम बनाती है।

GDP वृद्धि और आर्थिक संकेतकों में प्रत्यक्ष योगदान देता है।

उदाहरण: MSME सकल घरेलू उत्पाद में 30.1% और निर्यात में 45.79% का योगदान करते हैं।

नीति फोकस केंद्रित नीतिगत हस्तक्षेप या सामाजिक सुरक्षा कवरेज का अभाव।

उदाहरण: श्रम कानूनों में सीमित मान्यता।

लक्षित नीतियाँ, निवेश और सरकारी योजनाएँ प्राप्त करता है।

उदाहरण: स्टार्ट-अप इंडिया, PLI योजनाएँ।

महिला सशक्तीकरण के माध्यम से केयर इकॉनमी को मुद्रीकृत अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने के उपाय

  • राष्ट्रीय केयर इकॉनमी नीति ढाँचा: महिला देखभाल कर्मियों के लिए लक्षित योजनाओं के साथ कानूनी मान्यता और औपचारिकता हेतु देखभाल कार्य को परिभाषित, परिमाणित और मुख्यधारा में लाने के लिए एक समर्पित नीति प्रस्तुत करनी चाहिए। 
    • उदाहरण: अर्जेंटीना का संघीय देखभाल मानचित्र एक वैश्विक टेम्पलेट के रूप में कार्य करता है।
  • SHG के नेतृत्व में महिला-स्वामित्व वाले देखभाल उद्यम: स्वयं सहायता समूहों को आस-पड़ोस में शिशु गृह, बुजुर्गों के लिए टिफिन सेवा या घरेलू स्वास्थ्य सेवा सहकारी समितियाँ चलाने के लिए सशक्त बनाना चाहिए, जिससे महिलाओं की उद्यमिता का निर्माण करते हुए देखभाल को औपचारिक रूप दिया जा सके। 
    • उदाहरण के लिए: कुदुम्बश्री (केरल) और मिशन शक्ति (ओडिशा) ऐसे मॉडलों का समर्थन करते हैं।
  • देखभाल कर्मियों के लिए सार्वभौमिक वेतन और सामाजिक सुरक्षा: घरेलू कामगारों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा कार्यकर्ताओं, जिनमें से अधिकांश महिलाएँ हैं, के लिए न्यूनतम वेतन सीमा और सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा (पेंशन, बीमा, मातृत्व लाभ) स्थापित करनी चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की अनुशंसा 204 अनौपचारिक से औपचारिक कार्य में सुरक्षा उपायों के साथ संक्रमण में सहायता करती है।
  • देखभाल के बुनियादी ढाँचे में सार्वजनिक निवेश: महिलाओं के लिए वेतनभोगी रोजगार सृजित करने हेतु डे-केयर सेंटर, वृद्धाश्रम और दिव्यांग सहायता सेवाओं का विस्तार करना चाहिए और साथ ही अवैतनिक देखभाल के बोझ को कम करना ‌चाहिए।
    • उदाहरण: राष्ट्रीय क्रेच योजना + प्रधानमंत्री पोषण और आंगनवाड़ी नेटवर्क के साथ अभिसरण
  • देखभाल कर्मियों के लिए कौशल मानचित्रण और उन्नयन: देखभाल कर्मियों, विशेष रूप से ग्रामीण/SC/ST पृष्ठभूमि से आने वाले कर्मियों को प्रमाणित करने, उनके कौशल को बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैनात करने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करना चाहिए।
  • लिंग-संवेदनशील श्रम कानून और डेटा समावेशन: घरेलू और देखभाल कार्य को आर्थिक गतिविधि के रूप में मान्यता देने के लिए श्रम संहिताओं में संशोधन करना चाहिए तथा महिलाओं के योगदान को प्रतिबिंबित करने के लिए GDP और NSSO श्रम डेटा में देखभाल सेवाओं को शामिल करना चाहिए।

निष्कर्ष

भारत 7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा रखता है, ऐसे में महिला सशक्तीकरण के माध्यम से केयर इकॉनमी को एकीकृत करना एक परिवर्तनकारी मार्ग प्रदान करता है। अनौपचारिक, अदृश्य श्रम से औपचारिक मान्यता और पारिश्रमिक की ओर बदलाव, कौशल विकास, सामाजिक सुरक्षा और सार्वजनिक निवेश द्वारा समर्थित, देखभाल को एक आर्थिक इंजन और लैंगिक समानता  दोनों में बदल सकता है।

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