Explore Our Affordable Courses

Click Here

Q. क्या विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समितियाँ प्रशासन को प्रभावी रखती हैं और संसदीय नियंत्रण के प्रति उत्तरदायी बनाती हैं? उपयुक्त उदाहरणों के साथ ऐसे समितियों के कामकाज का मूल्यांकन कीजिये। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • इस बात पर प्रकाश डालिये कि किस प्रकार विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समितियाँ, प्रशासन को प्रभावी बनाये रखती  हैं तथा संसदीय नियंत्रण के प्रति आदर की भावना को बढ़ावा देती हैं।
  • विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समितियों की कार्यप्रणाली का उपयुक्त उदाहरणों के साथ मूल्याँकन कीजिए।
  • आगे की राह सुझाएँ।

 

उत्तर:

विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समितियाँ (DRSCs), वो स्थायी समितियाँ हैं जो विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के कामकाज की संरचित तरीके से जाँच करने के लिए स्थापित की जाती हैं। वे नीतियों, बजट और विधेयकों की समीक्षा करके कार्यपालिका पर संसदीय नियंत्रण सुनिश्चित करती हैं । यह तंत्र प्रभावी निगरानी को सक्षम बनाता है और शासन में पारदर्शिता को बढ़ावा देता है, जिससे प्रशासन अपने कार्यों के लिए जवाबदेह होता है।

विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समितियाँ प्रशासन को कैसे सुव्यवस्थित बनाये रखती हैं

  • मंत्रालयों की नियमित निगरानी: ये समितिया, मंत्रालयों की नीतियों और व्यय की गहन समीक्षा करती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि मंत्रालय की नीतियाँ और व्यय अपने उद्देश्यों के साथ संरेखित हो  तथा मंत्रालयों को उनकी कार्रवाई को उचित ठहराने के लिए मजबूर करती हैं, जिससे प्रशासन जवाबदेह बना रहता है। 
    • उदाहरण के लिए: कृषि संबंधी समिति नियमित रूप से कृषि योजनाओं की समीक्षा करती है, जिससे उनकी दक्षता में सुधार होता है।
  • विधेयकों की विस्तृत जाँच: ये समितियाँ, यह सुनिश्चित करती हैं कि विधेयकों को मंजूरी से पहले पर्याप्त विशेषज्ञ जाँच और हितधारकों से परामर्श मिले, जिससे जल्दबाजी में लिए गए फैसलों को रोका जा सके और प्रशासन को प्रावधानों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर न होना पड़े तथा सार्वजनिक हितों के साथ संरेखण सुनिश्चित हो सके। 
    • उदाहरण के लिए: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 में समिति की गहन जाँच के बाद सुधार किया गया।
  • रिपोर्ट के माध्यम से जवाबदेही: समितियाँ विस्तृत रिपोर्ट तैयार करती हैं जो कार्यान्वयन में अक्षमताओं को उजागर करती हैं, जिससे सरकार को जवाबदेही की संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु प्रतिक्रिया करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। 
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 में स्वास्थ्य समिति की रिपोर्ट के कई सुझावों को शामिल किया गया।
  • जनमत का समावेश: विशेषज्ञों और हितधारकों के साथ परामर्श करके, ये समितियाँ यह सुनिश्चित करती हैं कि नीतियाँ जनता की भावना और विशेषज्ञ सलाह को प्रतिबिंबित करें, जिससे प्रशासन जमीनी हकीकत से जुड़ा रहे। 
    • उदाहरण के लिए: IT पर संसदीय समिति ने डेटा संरक्षण विधेयक के लिए विभिन्न हितधारकों से इनपुट लिए।
  • क्रॉस-पार्टी सहयोग: ये समितियाँ अपेक्षाकृत गैर-पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करती हैं, जिससे पार्टी लाइनों के पार जाकर सहयोगात्मक निर्णय लेने में मदद मिलती है और संसदीय सर्वसम्मति को बढ़ावा मिलता है। 
    • उदाहरण के लिए: रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने सैन्य आधुनिकीकरण के लिए बजट आवंटन की समीक्षा करने हेतु सभी दलों के साथ कार्य किया।

DRSC के कार्यों का मूल्याँकन

  • व्यापक नीति समीक्षा सुनिश्चित करना: इन समितियों ने विभिन्न क्षेत्रों में विस्तृत नीति समीक्षा को सक्षम किया है, जिससे सरकारी कार्यों को राष्ट्रीय उद्देश्यों के साथ संरेखित करने में मदद मिली है। इससे शासन के परिणामों में सुधार हुआ है। 
    • उदाहरण के लिए: शिक्षा पर स्थायी समिति की NEP-2020 की सिफारिशों की समीक्षा से अधिक समावेशी शिक्षा नीतियों का निर्माण हुआ
  • विधायी विशेषज्ञता को बढ़ाना: समितियों ने विशेषज्ञों से परामर्श करके जटिल मुद्दों पर विशेष ज्ञान को सुगम बनाया है, जिससे संसद में अधिक सूचित नीतिगत चर्चा सुनिश्चित हुई है। 
    • उदाहरण के लिए: वित्त समिति ने बजटीय चर्चाओं के लिए अर्थशास्त्रियों और वित्तीय विशेषज्ञों से परामर्श किया, जिससे राजकोषीय जवाबदेही को बढ़ावा मिला।
  • जनता और सरकार के बीच पुल: ये समितियाँ, जनता की राय और सरकारी नीतियों के बीच एक माध्यम के रूप में कार्य करती हैं, जो विभिन्न हितधारकों से प्राप्त फीडबैक को विधायी प्रक्रियाओं में एकीकृत करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: पर्यावरण संबंधी समिति ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के लिए जनता के इनपुट को शामिल किया ।
  • संसदीय लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाना: समिति प्रणाली ने निर्णय लेने की प्रक्रिया को विकेन्द्रित करने में मदद की है, जिससे संसदीय प्रक्रिया में अधिक व्यापक स्तर पर लोगों के हितों को शामिल किया जा सका है।
  • सरकारी जवाबदेही में सुधार: इन‌ समितियों ने कार्यों की समीक्षा करके और नीतिगत विफलताओं पर स्पष्टीकरण माँगकर सरकार को अधिक जवाबदेह बना दिया है और  इस प्रकार से नियंत्रण और संतुलन के सिद्धांत को मजबूत किया है

आगे की राह

  • समितियों का कार्यकाल बढ़ाना: निरंतर जाँच की अनुमति देने के लिए समितियों का कार्यकाल बढ़ाने से उनकी निगरानी बढ़ेगी और सदस्यों को क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल करने का अवसर मिलेगा। 
    • उदाहरण के लिए: केरल विधानसभा समितियों का कार्यकाल 30 महीने का है
  • विधेयकों को अनिवार्य रूप से समितियों को भेजना: महत्त्वपूर्ण विधेयकों को समितियों को भेजना अनिवार्य करने का प्रावधान होना चाहिए, ताकि कानून पारित करने से पहले अधिक कठोर जाँच सुनिश्चित हो सके।
  • संसाधन और विशेषज्ञता में सुधार: समितियों को अपनी रिपोर्ट और सिफारिशों की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए अधिक विशेषज्ञ कर्मचारी और शोध संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: वेंकटचलैया आयोग (2000) ने समिति के संसाधनों को मजबूत करने की सिफारिश की थी।
  • पक्षपात पर अंकुश लगाना: यह सुनिश्चित करना कि ये समितियाँ मजबूत मानदंडों के माध्यम से गैर-पक्षपातपूर्ण तरीके से कार्य करना, उनकी प्रभावशीलता और निष्पक्षता में सुधार करेगा। 
    • उदाहरण के लिए: समिति के अध्यक्षों और सदस्यों के लिए गैर-पक्षपातपूर्ण आचरण पर स्पष्ट दिशा-निर्देश स्थापित किए जाने चाहिए।
  • अधिक भागीदारी सुनिश्चित करना: समिति के सदस्यों की बेहतर उपस्थिति और भागीदारी सुनिश्चित करने के उपाय, रिपोर्ट की प्रभावशीलता में सुधार करेंगे। 
    • उदाहरण के लिए: समिति की बैठकों में सदस्यों की उपस्थिति को ट्रैक करने के लिए डिजिटल उपकरणों का प्रयोग किया जा सकता है।

विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समितियाँ सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने और कार्यपालिका पर संसदीय नियंत्रण बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। हालाँकि उन्होंने विधायी जाँच को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, परंतु पक्षपातपूर्ण व्यवहार और सीमित संसाधनों सहित उनकी अन्य कमियों को दूर करने की आवश्यकता है। इन समितियों को सशक्त करने से भविष्य में अधिक पारदर्शिता और मजबूत लोकतंत्र सुनिश्चित होगा।

 

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

 Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023.   Udaan-Prelims Wallah ( Static ) booklets 2024 released both in english and hindi : Download from Here!     Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF  Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing  , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz ,  4) PDF Downloads  UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

 Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023.   Udaan-Prelims Wallah ( Static ) booklets 2024 released both in english and hindi : Download from Here!     Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF  Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing  , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz ,  4) PDF Downloads  UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.