Q. भारत के चुनाव आयोग द्वारा सैकड़ों पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) को सूची से हटाने के कदम ने चुनावी सुधारों पर बहस को पुनः चर्चा में ला दिया है। इस अभ्यास में शामिल तर्क और चुनौतियों की जाँच कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत के चुनाव आयोग द्वारा सैकड़ों पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) को सूची से हटाने के कदम के तर्क की जाँच कीजिए।
  • इस अभ्यास में शामिल चुनौतियों पर प्रकाश डालिए।
  • आगे की राह लिखिए।

उत्तर

भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने सैकड़ों पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) को सूची से हटाने की पहल की है। ये दल जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत पंजीकृत हैं, लेकिन मान्यता मानदंडों को पूरा करने में विफल हैं। इस कदम का उद्देश्य पारदर्शिता, जवाबदेही एवं चुनावी अखंडता सुनिश्चित करना है।

ECI द्वारा RUPPs को सूची से हटाने के पीछे तर्क

  • लेटर पैड पार्टियों पर अंकुश लगाना: कई RUPPs न तो चुनाव लड़ते हैं एवं न ही कार्यालय बनाए रखते हैं तथा केवल कागजों पर ही मौजूद रहते हैं, जिससे प्रशासनिक अव्यवस्था पैदा होती है।
    • उदाहरण के लिए, जून 2025 में, ECI ने वर्ष 2019 से चुनाव नहीं लड़ने के लिए 345 निष्क्रिय RUPPs को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
  • कर दुरुपयोग को रोकना: RUPPs को आयकर अधिनियम की धारा 13A के तहत आयकर छूट प्राप्त है, जिसका अक्सर दुरुपयोग किया जाता है।
    • उदाहरण के लिए, वर्ष 2019-20 में 92% से अधिक RUPPs ऑडिट किए गए खाते जमा करने में विफल रहे, जिससे फंडिंग पर भी सवाल  उठे।
  • चुनावी रिकॉर्ड को सुव्यवस्थित करना: डीलिस्टिंग से वास्तव में सक्रिय राजनीतिक दलों की एक प्रामाणिक रजिस्ट्री बनाए रखने में सहायता मिलती है।
    • उदाहरण के लिए, वर्ष 2022 में, 86 पार्टियाँ अस्तित्वहीन एवं 253 निष्क्रिय पाई गईं तथा तदनुसार उन्हें डीलिस्ट कर दिया गया।
  • अनुपालन एवं जवाबदेही में सुधार: केवल वे पार्टियाँ ही लाभ के लिए पात्र रहती हैं, जो रिटर्न दाखिल करने एवं चुनाव लड़ने जैसे मानदंडों का पालन करती हैं। 
    • उदाहरण के लिए, तमिलनाडु एवं पश्चिम बंगाल में कई RUPPs को हाल ही में ECI की आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहने के लिए नोटिस भेजा गया था।

RUPPs  को डी-लिस्ट करने में चुनौतियाँ

  • सीमित कानूनी अधिकार: ECI केवल पार्टियों को लाभ से डि-लिस्ट कर सकता है, उन्हें पूरी तरह से डि-रजिस्टर नहीं कर सकता।
    • उदाहरण के लिए, सर्वोच्च न्यायालय (2002) ने स्पष्ट किया कि ECI के पास पार्टी पंजीकरण रद्द करने की शक्ति नहीं है।
  • उच्च प्रशासनिक बोझ: राज्यों में हजारों पार्टियों का सत्यापन ECI के संसाधनों पर दबाव डालता है।
    • उदाहरण के लिए, वर्ष 2024 तक, 2,800 से अधिक RUPPs मौजूद हैं, जिन्हें राज्य के CEO द्वारा व्यापक क्षेत्र सत्यापन की आवश्यकता है।
  • मुकदमेबाजी का जोखिम: पार्टियाँ डि-लिस्टिंग को न्यायालय में चुनौती दे सकती हैं, जिससे देरी एवं प्रक्रियात्मक बाधाएँ पैदा हो सकती हैं।
  • राजनीतिक पक्षपात की धारणा: पक्षपातपूर्ण प्रभाव के बिना सभी राज्यों में एक समान कार्रवाई सुनिश्चित करना कठिन बना हुआ है। 
    • उदाहरण के लिए, कुछ दलों का आरोप है कि केवल कुछ क्षेत्रों में ही सख्त जाँच की जाती है, जिससे प्रक्रिया की निष्पक्षता कम हो जाती है। 
  • आगे की राह चुनाव कानूनों में संशोधन: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत गैर-अनुपालन करने वाले दलों को पूरी तरह से रद्द करने के लिए ECI को शक्तियाँ प्रदान करें। 
    • उदाहरण के लिए, 255वीं विधि आयोग की रिपोर्ट एवं ECI के वर्ष 2016 के प्रस्ताव ने लंबे समय तक निष्क्रियता के बाद ऐसी शक्तियों की सिफारिश की। 
  • अनुपालन के लिए कर लाभ जोड़ें: आयकर छूट केवल रिटर्न दाखिल करने एवं चुनावी भागीदारी के सत्यापन के बाद ही दी जानी चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए, वर्ष 2022 में, महाराष्ट्र एवं गुजरात में छापे ने कई शेल राजनीतिक संगठनों द्वारा कर दुरुपयोग को उजागर किया। 
  • राज्य के CEO को सशक्त बनाना एवं डिजिटल सत्यापन को मजबूत करना: पार्टी कार्यालयों का भौतिक एवं डिजिटल सत्यापन करने के लिए राज्य के CEO को सशक्त बनाना। 
    • उदाहरण के लिए, राजस्थान में, वर्ष 2022 में 7 RUPPs को फील्ड-लेवल चेक के बाद गैर-मौजूद होने की पुष्टि के बाद हटा दिया गया था। 
  • सार्वजनिक पारदर्शिता पोर्टल: अद्यतन अनुपालन डेटा के साथ सभी सक्रिय, निष्क्रिय एवं असूचीबद्ध पार्टियों की एक सार्वजनिक रजिस्ट्री बनाएँ। 
    • उदाहरण के लिए, ECI ने वास्तविक समय में RUPPs के प्रदर्शन एवं नियामक स्थिति को ट्रैक करने के लिए एक डिजिटल डैशबोर्ड का प्रस्ताव दिया है।

निष्क्रिय RUPPs को सूची से हटाने के लिए चुनाव आयोग की साहसिक कार्रवाई एक स्वच्छ एवं अधिक पारदर्शी चुनावी प्रणाली की दिशा में एक कदम है। स्थायी प्रभाव के लिए, कानूनी सुधार, कर जाँच, प्रशासनिक सुदृढ़ीकरण तथा सार्वजनिक पारदर्शिता को एक साथ लाना होगा। इससे भारत के लोकतंत्र की अखंडता एवं विश्वसनीयता बनी रहेगी।

पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (Registered Unrecognised Political Parties- RUPPs)

  • कानूनी स्थिति: ये जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत भारत के चुनाव आयोग (ECI) के साथ पंजीकृत राजनीतिक संगठन हैं।
  • मान्यता का अभाव: वे चुनावी प्रदर्शन के आधार पर राज्य या राष्ट्रीय दलों के रूप में मान्यता प्राप्त करने के मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं।

मान्यता प्राप्त दलों की तुलना में सीमाएँ

  • कोई आरक्षित प्रतीक नहीं: RUPPs  को कोई स्थायी चुनाव चिह्न आवंटित नहीं किया जाता है।
  • कोई मतदाता सूची प्रतियाँ नहीं: उन्हें ECI से मतदाता सूची की निःशुल्क प्रतियाँ नहीं मिलती हैं।
  • कोई प्रसारण विशेषाधिकार नहीं: RUPPs  दूरदर्शन या आकाशवाणी पर निःशुल्क प्रसारण के लिए पात्र नहीं हैं।
  • कोई बुनियादी ढाँचा समर्थन नहीं: वे पार्टी के उद्देश्यों के लिए सब्सिडी वाली भूमि या कार्यालय स्थान तक पहुँच नहीं सकते।
  • सीमित स्टार प्रचारक: RUPPs मान्यता प्राप्त दलों के लिए 40 की तुलना में केवल 20 स्टार प्रचारकों को नामांकित कर सकते हैं।

RUPPs द्वारा प्राप्त लाभ

  • कर छूट: यदि वित्तीय विवरण समय पर दाखिल किए जाते हैं, तो आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 13A के तहत आयकर छूट का लाभ उठाना उचित है।
  • प्रतीक आवंटन: चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश, 1968 के अनुसार 10 पसंदीदा विकल्पों की सूची प्रस्तुत करके निःशुल्क प्रतीकों के समूह में से चुन सकते हैं।
  • चुनाव अभियान समर्थन: 20 स्टार प्रचारकों को नामांकित करने की अनुमति है, जो कुछ अभियान लाभ प्रदान करता है।

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