उत्तर:
प्रश्न हल करने का दृष्टिकोण
- भूमिका
- हालिया वैश्विक खुशहाली सूचकांक (World Happiness Index) रैंकिंग के बारे में संक्षेप में लिखिए।
- मुख्य भाग
- भारत की वैश्विक खुशहाली सूचकांक में निम्न रैंकिंग के पीछे के कारण लिखिए।
- लिखिए कि भारतीयों में खुशी के स्तर को बढ़ाने में भावनात्मक बुद्धिमत्ता,एक प्रमुख कारक हो सकती है।
- निष्कर्ष
- इस संबंध में उचित निष्कर्ष दीजिए।
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भूमिका
प्रसन्नता, संतुष्टि की गहरी भावना के साथ एक सदाचारी, नैतिक रूप से ईमानदार जीवन जीने से प्राप्त गहन संतुष्टि है। वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट 2023 में भारत 136 देशों में से 126वें स्थान पर है , जो दर्शाता है कि यह विश्व स्तर पर सबसे कम खुशहाल देशों में से एक है।
मुख्य भाग
वैश्विक खुशहाली सूचकांक में भारत की कम रैंकिंग के कारण
- आर्थिक असमानता: जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा गरीबी में जीवन जाता है जबकि एक छोटा सा अभिजात वर्ग, अपार धन का आनंद लेता है। ऑक्सफैम के हालिया आंकड़ों के मुताबिक , भारत के सबसे अमीर 1% लोगों के पास कुल संपत्ति का 40% से अधिक हिस्सा है।
- लिंग भेदभाव: महिलाओं को अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ता है और शिक्षा, रोजगार के अवसरों और निर्णय लेने की भूमिकाओं तक सीमित पहुंच होती है। WEF द्वारा 2022 के लिए ग्लोबल जेंडर गैप (GGG) इंडेक्स में भारत को 146 देशों में से 135वां स्थान दिया गया ।
- सामाजिक विभाजन और भेदभाव: भारत के समाज में जाति, धर्म और जातीयता सहित विभिन्न विभाजन हैं , जिससे भेदभाव बढ़ता है, सामाजिक बहिष्कार होता है और कुछ समूहों को हाशिए पर धकेल दिया जाता है।
- बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे: राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग 150 मिलियन भारतीयों को सक्रिय मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की आवश्यकता है, लेकिन देश में आवश्यक संसाधनों का अभाव है।
- पर्यावरणीय क्षरण: भारत को वायु और जल प्रदूषण, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन सहित महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है । इस तरह का क्षरण, नागरिकों के समग्र कल्याण और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
- शासन के मुद्दे और भ्रष्टाचार: भ्रष्टाचार और नौकरशाही की अक्षमताएं संसाधनों और सेवाओं तक समान पहुंच में बाधा डालती हैं, संस्थानों में विश्वास कम करती हैं और समग्र खुशी को कमजोर करती हैं। भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2021 में भारत 85वें स्थान पर है ।
- सांप्रदायिक और धार्मिक तनाव: सांप्रदायिक हिंसा और धार्मिक संघर्ष जैसे दिल्ली हिंसा (2020), मणिपुर हिंसा आदि सामाजिक सद्भाव को प्रभावित करते हैं, जिससे देश की खुशी और भलाई के लिए चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता, निम्नलिखित उपायों के माध्यम से भारतीयों में खुशी के स्तर को बढ़ाने में एक प्रमुख कारक हो सकती है:
- सहानुभूति और समझ: सहानुभूति विकसित करके, व्यक्ति हाशिए पर रहने वाले समुदायों द्वारा सामना किए जाने वाले संघर्षों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं, जिससे सामाजिक असमानता और उत्थान को संबोधित करने के लिए सामूहिक प्रयास किए जा सकते हैं।
- प्रभावी संचार: यह संचार कौशल को बढ़ाता है और अधिक सार्थक बातचीत को बढ़ावा देता है। भावनात्मक बुद्धिमत्ता रखने वाला दंपत्ति अपनी जरूरतों और चिंताओं के बारे में एक दूसरे को बता सकता है।
- सामाजिक संबंध: उच्च भावनात्मक बुद्धिमत्ता वाले भारतीयों में संतुष्टिदायक रिश्ते बनाने और बनाए रखने की अधिक संभावना होती है, जो उनकी खुशी में योगदान करते हैं। उदाहरण के लिए, सामुदायिक गतिविधियों में भाग लेना या स्वयंसेवा करना अपनेपन और संतुष्टि की भावना पैदा कर सकता है।
निष्कर्ष
आगे बढ़ते हुए, भारतीयों के बीच खुशी को बढ़ावा देने के लिए, स्कूलों में भावनात्मक बुद्धिमत्ता शिक्षा को एकीकृत करने , कार्यस्थलों में भावनात्मक कल्याण के लिए प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान करने और भावनात्मक लचीलापन और सहानुभूति कौशल को बढ़ाने वाले समुदाय-आधारित कार्यक्रमों को लागू करने जैसे नीतिगत उपायों की आवश्यकता है।
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