Q. डेटा सेंटर और जनरेटिव एआई प्रौद्योगिकियों के पर्यावरणीय प्रभाव पर चर्चा कीजिये। ग्लोबल वार्मिंग में उनके योगदान को कम करने के उपाय सुझाएँ। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • डेटा सेंटर और जनरेटिव AI प्रौद्योगिकियों के पर्यावरणीय प्रभाव पर चर्चा कीजिए।
  • ग्लोबल वार्मिंग में उनके योगदान को कम करने के उपाय सुझाइये।

उत्तर

डेटा सेंटर और जनरेटिव  AI तकनीकें, हालाँकि आधुनिक नवाचार के लिए आवश्यक हैं परंतु उच्च ऊर्जा खपत के कारण ये पर्यावरणीय चुनौतियाँ भी प्रस्तुत करती हैं । हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि एक बड़े AI मॉडल को प्रशिक्षित करने में होने वाला कार्बन उत्सर्जन, कई कारों के उनके  जीवनकाल में किये गये कुल कार्बन उत्सर्जन के बराबर हो सकता है। उनके पर्यावरणीय प्रभाव को संबोधित करने के लिए ग्लोबल वार्मिंग में उनके योगदान को कम करने हेतु लक्षित उपायों की आवश्यकता है।

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डेटा सेंटर और जनरेटिव AI प्रौद्योगिकियों का पर्यावरणीय प्रभाव

  • उच्च ऊर्जा खपत: डेटा सेंटर और जनरेटिव AI प्रौद्योगिकियों को संचालित करने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, विशेष रूप से शीतलन प्रणालियों और प्रसंस्करण शक्ति के लिए। 
    • उदाहरण के लिए: एक सिंगल डेटा सेंटर, एक छोटे शहर जितनी विधुत की खपत कर सकता है। अकेले चैटजीपीटी प्रतिदिन 180,000 अमेरिकी घरों के बराबर बिजली का उपयोग करता है ।
  • ऊष्मा उत्सर्जन: कंप्यूटिंग प्रक्रिया में अत्यधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है, जो प्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण को गर्म करने में योगदान देती है। शीतलन प्रणाली, हालाँकि आवश्यक है, लेकिन ऊर्जा की माँग को भी बढ़ाती है। 
    • उदाहरण के लिए: नॉर्डिक जैसे ठंडे क्षेत्रों में अनुकूल जलवायु होने के बावजूद डेटा सेंटर अभी भी अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा उत्सर्जित करते हैं।
  • जीवाश्म ईंधन से कार्बन फुटप्रिंट: कई डेटा सेंटर और AI संचालन अभी भी गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर हैं, जिससे उच्च कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन होता है। 
    • उदाहरण के लिए: Google Gemini और Meta’s Llama जैसे जनरेटिव AI मॉडल सीमित नवीकरणीय ऊर्जा वाले क्षेत्रों में मुख्य रूप से कोयले या गैस द्वारा संचालित विशाल डेटा सेंटर पर चलते हैं।
  • कूलिंग के लिए जल का उपयोग: डेटा सेंटर में कूलिंग सिस्टम अक्सर बड़ी मात्रा में जल पर निर्भर करते हैं, जिससे स्थानीय जल संसाधनों पर दबाव पड़ता है और संभावित रूप से पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है। 
    • उदाहरण के लिए: कुछ अमेरिकी-आधारित डेटा सेंटर सालाना लाखों गैलन जल की खपत करते हैं, जिससे कैलिफोर्निया जैसे सूखाग्रस्त क्षेत्रों में आपूर्ति कम हो जाती है।
  • ई-कचरा उत्पादन: AI में तेजी से हो रही तकनीकी प्रगति के कारण लगातार हार्डवेयर अपग्रेड की आवश्यकता होती है , जिससे इलेक्ट्रॉनिक कचरे में वृद्धि होती है। 
    • उदाहरण के लिए: बड़े पैमाने पर संचालन में पुराने सर्वरों को बंद करने से वैश्विक ई-कचरा समस्या बढ़ती है।

ग्लोबल वार्मिंग में उनके योगदान को कम करने के उपाय

  • अक्षय ऊर्जा में बदलाव: डेटा सेंटर और AI संचालन सौर, पवन या अन्य अक्षय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर होकर अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम कर सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: नीदरलैंड में Google के डेटा सेंटर लगभग पूरी तरह से पवन ऊर्जा से संचालित होते हैं।
  • बेहतर ऊर्जा दक्षता: अधिक कुशल हार्डवेयर और एल्गोरिदम को लागू करने से ऊर्जा की खपत में काफी कमी आ सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: AI प्रशिक्षण के लिए Nvidia के ऊर्जा-कुशल GPU (ग्राफ़िक्स प्रोसेसिंग यूनिट) पुराने मॉडल की तुलना में कम बिजली की खपत करते हैं।
  • लिक्विड कूलिंग सिस्टम अपनाना: पारंपरिक एयर कूलिंग की जगह लिक्विड कूलिंग अपनाने से कार्यकुशलता बढ़ सकती है और जल व ऊर्जा का उपयोग कम हो सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: माइक्रोसॉफ्ट की अंडरवॉटर डाटा सेंटर परियोजना में शीतलन के लिए समुद्री जल का उपयोग किया जाता है, जिससे एयर कंडीशनिंग की आवश्यकता कम हो जाती है।
  • ठंडे मौसम में डेटा सेंटर स्थापित करना: प्राकृतिक रूप से ठंडे क्षेत्रों में डेटा सेंटर स्थापित करने से शीतलन के लिए आवश्यक ऊर्जा में कमी आ सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: फेसबुक का स्वीडन के लुलेआ में एक डेटा सेंटर है, जो प्राकृतिक शीतलन के लिए आर्कटिक जलवायु का लाभ उठाता है।
  • कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS) तकनीकों का विकास: डेटा केंद्रों में CCS सिस्टम लागू करने से CO2 उत्सर्जन को वायुमंडल में छोड़े जाने से पहले कैप्चर और स्टोर करने में मदद मिल सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: लॉन्गशिप पहल के तहत नॉर्वे की ‘नॉर्दर्न लाइट्स’ परियोजना, सुरक्षित भूमिगत जलाशयों में औद्योगिक CO2 उत्सर्जन को कैप्चर और स्टोर करने के लिए CCS बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रही है।
  • सहयोगात्मक पहल और विनियमन: सरकारें और तकनीकी कंपनियाँ उत्सर्जन मानकों को निर्धारित करने और हरित प्रौद्योगिकियों में निवेश करने के लिए सहयोग कर सकती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: यूरोप में जलवायु तटस्थ डेटा सेंटर संधि का लक्ष्य वर्ष 2030 तक डेटा केंद्रों को कार्बन-तटस्थ बनाना है।

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डेटा सेंटर और जनरेटिव AI के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए, अक्षय ऊर्जा का उपयोग, दक्षता के लिए एल्गोरिदम को अनुकूलित करना और संधारणीय शीतलन प्रौद्योगिकियों को अपनाना महत्वपूर्ण है। जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा था, ‘पृथ्वी हर व्यक्ति की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रदान करती है, लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के लालच को पूरा नहीं करती।’ इसलिए एक संधारणीय भविष्य के लिए तकनीकी प्रगति को पर्यावरण संरक्षण के साथ संतुलित करना आवश्यक है।

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