Q. परिणाम-केंद्रित समाज में, प्रयास की अपेक्षा परिणामों को अधिक प्रधानता दी जाती है। खेल के संदर्भ में परिणामों की तुलना में प्रयास को महत्त्व देने के नैतिक निहितार्थों की जाँच कीजिये और प्रासंगिक उदाहरणों के साथ अपने उत्तर का समर्थन कीजिये। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • चर्चा कीजिए कि किस प्रकार से परिणाम-केंद्रित समाज में, प्रयास अक्सर परिणामों के पीछे रह जाते हैं।
  • खेलों के संदर्भ में परिणामों की तुलना में प्रयास को महत्त्व देने के नैतिक निहितार्थों का परीक्षण कीजिए।

उत्तर

परिणाम-संचालित समाज में, परिणामों पर प्रयास को प्राथमिकता देना योग्यता के लोकाचार को चुनौती देता है। खेलों में, प्रदर्शन के बजाय प्रक्रिया पर बल देते  हुये ये प्रयास दृढ़ता, अनुशासन और निष्पक्षता को दर्शाते हैं। यह दृष्टिकोण मानसिक प्रत्यास्थता और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देता है जबकि डोपिंग और मैच फिक्सिंग जैसी अनैतिक प्रथाओं के दबाव को कम करता है। नैतिक मूल्यांकन के अंतर्गत मापने योग्य परिणामों के साथ प्रयास के आंतरिक मूल्य को संतुलित करना चाहिए।

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परिणाम-आधारित समाज में, प्रयास अक्सर परिणामों के पीछे रह जाते हैं

  • मापने योग्य परिणामों पर अधिक ध्यान: समाज अक्सर मात्रात्मक सफलता को अधिक प्राथमिकता देता है और अक्सर सफलता के प्रयास व उसकी  यात्रा में दृढ़ता के आंतरिक मूल्य को अनदेखा करता है। 
    • उदाहरण के लिए: माता-पिता बच्चों द्वारा परीक्षा में प्राप्त किये गये अंको की प्रशंसा करते हैं, परंतु शायद ही कभी अध्ययन या अवधारणाओं को समझने में बिताए जाने वाले समय पर ध्यान देते हैं।
  • व्यक्तियों पर दबाव: परिणामों पर लगातार ध्यान केंद्रित करने से अनावश्यक दबाव बनता है, जिससे तनाव होता है और सुधार करने या सीखने की आंतरिक प्रेरणा खत्म हो जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: रिकॉर्ड तोड़ने के दबाव का सामना करने वाले एथलीट, कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय डोपिंग का सहारा ले सकते हैं।
  • प्रक्रिया-उन्मुख शिक्षण की उपेक्षा: परिणामों पर बल देने से क्रमिक शिक्षण और सुधार का महत्त्व कम हो जाता है, जिससे कम समय के लिए सफलता मिलती है। 
    • उदाहरण के लिए: ऋषभ पंत जैसे क्रिकेटर, जिनकी शुरुआत में असंगतता के लिए आलोचना की गई थी, ने समय के साथ निरंतर सुधार के माध्यम से सम्मान प्राप्त किया।
  • नैतिक आधार का ह्वास: परिणाम-आधारित मानसिकता शॉर्टकट या अनैतिक प्रथाओं को बढ़ावा देती है, जिससे निष्पक्षता और खेल भावना खत्म हो जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: ऑस्ट्रेलियाई बॉल-टेंपरिंग जैसी घटनाएँ, सत्यनिष्ठा के बजाय जीत को प्राथमिकता देने की कीमत को दर्शाते हैं।
  • असंतुलित सामाजिक मूल्य: समाज विजेताओं का महिमामंडन करता है लेकिन प्रतिभागियों के प्रयासों की उपेक्षा करता है, जिससे खेलों की समावेशिता और एकजुटता की भावना कमज़ोर होती है। 
    • उदाहरण के लिए: कम प्रसिद्ध ओलंपियन जो अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं परंतु पदक जीतने में विफल रहते हैं, उन्हें स्वर्ण पदक विजेताओं की तुलना में कम ख्याति मिलती है।

खेल के संदर्भ में परिणामों की तुलना में प्रयास को महत्त्व देने के नैतिक निहितार्थ

  • निष्पक्षता और समावेशिता को बढ़ावा देना: प्रयास को महत्त्व देने से सभी प्रतिभागियों को ख्याति प्राप्त होने का एहसास होता है, जिससे समावेशी और सहायक वातावरण को बढ़ावा मिलता है। 
    • उदाहरण के लिए: पैरालंपिक खेलों में दृढ़ता और प्रयास को अधिक महत्त्व दिया जाता है और  पदकों की तुलना में भागीदारी पर अधिक बल दिया जाता है।
  • चरित्र और प्रत्यास्थता को मजबूत करना: प्रयास को प्राथमिकता देने से व्यक्ति को दृढ़ता, विनम्रता और भावनात्मक शक्ति विकसित करने में मदद मिलती है, जो व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक है। 
    • उदाहरण के लिए: खेल प्रतियोगिताओं में अपने रिकॉर्ड के बजाय विनम्रता और प्रतियोगियों के प्रति सम्मान की उनकी भावना के कारण  नीरज चोपड़ा, लोगों के बीच अधिक प्रसिद्ध हैं।
  • दीर्घकालिक सफलता को बनाए रखना: प्रयास पर ध्यान केंद्रित करने से कौशल वृद्धि और निरंतरता को बढ़ावा मिलता है, जिससे खेलों में स्थायी उपलब्धियाँ प्राप्त होती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: विराट कोहली की अनुशासित प्रशिक्षण दिनचर्या, स्थायी सफलता प्राप्त करने में प्रयास के महत्त्व को दर्शाती है।
  • नैतिक व्यवहार को प्रोत्साहित करना: परिणामों की तुलना में प्रयास को महत्त्व देने से नैतिक व्यवहार और नियमों के प्रति सम्मान को बढ़ावा मिलता है, जिससे खेलों में निष्पक्षता सुनिश्चित होती है। 
    • उदाहरण के लिए: सचिन तेंदुलकर द्वारा स्लेजिंग करने से इनकार करना,  क्रिकेट में अल्पकालिक लाभ की अपेक्षा नैतिकता को अधिक महत्त्व देने पर प्रकाश डालता है।
  • सामाजिक मूल्यों का निर्माण: प्रयासों को मान्यता देने से सहानुभूति, सहयोग और एकता जैसे मूल्यों को बढ़ावा मिलता है, जो एक परिपक्व और नैतिक समाज के निर्माण में योगदान करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2019 के क्रिकेट विश्व कप सेमीफाइनल में भारत के प्रयासों का जश्न मनाने वाले प्रशंसकों ने परिणामों पर ध्यान देने के बजाय प्रयासों को अधिक  सराहा।

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परिणामों से अधिक प्रयास को महत्त्व देने से नैतिक सिद्धांतों को बनाए रखने में सहायता मिलती है और खेलों में निष्पक्षता और समावेशिता की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है। यह दीर्घकालिक चरित्र निर्माण को बढ़ावा देता है और अनैतिक शॉर्टकट को रोकता है। हालाँकि, इस संदर्भ में एक सूक्ष्म दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण है जो यह सुनिश्चित करे कि प्रयास कौशल विकास और प्रदर्शन लक्ष्यों के साथ संरेखित हो ताकि खेल भावना और सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देते हुए प्रतिस्पर्धी भावना को बनाए रखा जा सके।

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