Q. भारत में वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला करने के उद्देश्य से सरकारी नीतियों एवं पहलों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये। (10अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत में वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला करने के उद्देश्य से सरकारी नीतियों और पहलों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिए।
  • उनकी कमियों को उजागर कीजिए।
  • आगे की राह सुझाए।

 

उत्तर:

वामपंथी उग्रवाद (LWE), जिसे अक्सर नक्सलवाद के रूप में जाना जाता है, भारत की सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में से एक है। सामाजिक-आर्थिक विषमताओं और आदिवासी समुदायों के हाशिए पर होने के कारण, LWE कई  दशकों से विकसित हुआ है। जबकि भारत सरकार ने कई उग्रवाद विरोधी और विकासात्मक नीतियों को लागू किया है, दूरदराज के क्षेत्रों में अभी भी संघर्ष जारी है, जिसके समाधान के लिए एक व्यापक और समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

सरकारी नीतियों और पहलों की प्रभावशीलता

  • ऑपरेशन ग्रीन हंट: वर्ष 2009 में शुरू किये गये इस आतंकवाद विरोधी अभियान ने छत्तीसगढ़ और झारखंड में नक्सलियों के गढ़ों को काफी कमजोर कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप कई शीर्ष नक्सल  नेताओं को पकड़ लिया गया या उनको निष्क्रिय कर दिया गया। 
    • उदाहरण के लिए: नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या वर्ष 2010 में 90 से घटकर वर्ष 2022 में 45 हो गई , जो इस ऑपरेशन के प्रभाव को दर्शाता है।
  • समाधान रणनीति: वर्ष 2017 में शुरू की गई यह बहुआयामी रणनीति, वामपंथी उग्रवाद (LWE) का मुकाबला करने के लिए स्मार्ट नेतृत्व, आक्रामक रणनीति और समग्र विकास पर केंद्रित है, जो माओवादी प्रभावित क्षेत्रों को एकीकृत करने के लिए सुरक्षा और विकास दोनों चुनौतियों का समाधान करती है। 
    • उदाहरण के लिए: रणनीति के लागू होने के बाद से नक्सलवाद के कारण होने वाली हिंसक घटनाओं में 77% की कमी देखी गई है ।
  • आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति: माओवादियों को वित्तीय प्रोत्साहन, व्यावसायिक प्रशिक्षण और समाज में एकीकरण की पेशकश करके सरकार की पुनर्वास नीति, आत्मसमर्पण करने के लिए प्रोत्साहित करती है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2014 से अब तक 5000 से अधिक नक्सली कैडर, आर्थिक पुनर्वास सुनिश्चित करने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
  • वामपंथी उग्रवाद क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे का विकास: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़कें, स्कूल और स्वास्थ्य सेवा का निर्माण, अविकसितता से संबंधित शिकायतों को दूर करके उग्रवाद को कम करने में महत्त्वपूर्ण रहा है। 
    • उदाहरण के लिए: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में 35,000 किलोमीटर सड़कें बनाईं, जिससे पहुँच में सुधार हुआ और माओवादी प्रभाव कम हुआ।
  • सुरक्षा आधुनिकीकरण निधि: सरकार ने राज्यों को उनके पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए धन मुहैया कराया है, ताकि उन्हें वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए बेहतर तकनीक और बुनियादी ढाँचे से लैस किया जा सके। 
    • उदाहरण के लिए: छत्तीसगढ़ और झारखंड पुलिस बलों को आधुनिक हथियार मिले हैं, जिससे माओवादियों से निपटने में उनकी क्षमता बढ़ गई है।

सरकारी नीतियों की कमियाँ

  • मानवाधिकार उल्लंघन: आदिवासी समुदायों और कार्यकर्ताओं के दमन द्वारा स्थानीय आबादी को अलग-थलग करने और माओवादियों के प्रति सहानुभूति बढ़ाने के लिए ऑपरेशन प्रहार जैसे अभियानों की आलोचना की गई है। 
    • उदाहरण के लिए: सुरक्षा कर्मियों द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग की रिपोर्ट के कारण छत्तीसगढ़ के बस्तर में नागरिक समाज ने विरोध प्रदर्शन किया, जिससे सरकार पर विश्वास कम हुआ है।
  • विकास परियोजनाओं का अपर्याप्त क्रियान्वयन: हालाँकि बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ शुरू की गई हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन अक्सर विलंबित या अधूरा होता है, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में सरकार के प्रति निराशा बढ़ जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: झारखंड के दूरदराज के इलाकों में नक्सली धमकियों के कारण सड़क परियोजनाएँ रुकी हुई हैं , जो स्थानीय आबादी की जरूरतों को पूरा करने में विफल रही हैं।
  • आदिवासी अधिकारों की उपेक्षा: वन अधिकार अधिनियम (FRA) को अक्सर सही तरीके से नहीं लागू किया जाता है, जिससे आदिवासी समुदायों का विस्थापन होता है और शिकायतें बढ़ती हैं, जिसका लाभ माओवादी  उठाते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: ओडिशा में खनन परियोजनाओं के लिए हुये भूमि विस्थापन ने आदिवासियों में अशांति उत्पन्न की है , जिससे वे नक्सल विचारधारा की ओर बढ़ रहे हैं।
  • राज्यों और केंद्र के बीच समन्वय की कमी: वामपंथी उग्रवाद से निपटने में अक्सर राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के बीच खराब समन्वय की वजह से बाधा आती है, जिससे माओवादी प्रभाव से निपटने में अक्षमता उत्पन्न होती है। 
    • उदाहरण के लिए: तेलंगाना और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में अधिकार क्षेत्र को लेकर विवादों के कारण महत्त्वपूर्ण सुरक्षा उपायों में देरी हुई है।
  • सैन्य समाधानों पर अत्यधिक निर्भरता: सैन्य अभियानों पर सरकार का ध्यान अधिक रहता है जबकि सामाजिक-आर्थिक समाधान जो नक्सलवाद का प्रमुख कारण है  जैसे गरीबी और आदिवासी समुदायों के पृथक्करण पर कम। 
    • उदाहरण के लिए: दंतेवाड़ा में सुरक्षा अभियानों ने नक्सल बलों को कमजोर कर दिया है परंतु गरीबी और पिछड़ापन बरकरार है।

आगे की राह

  • स्थानीय शासन में सुधार: पंचायती राज संस्थाओं (PRI) को सशक्त बनाकर स्थानीय शासन को मजबूत करने से यह सुनिश्चित हो सकता है कि विकास योजनाएँ, जमीनी स्तर तक पहुँचे और आदिवासियों की बात सुनी जाए। 
    • उदाहरण के लिए: PESA अधिनियम के बेहतर कार्यान्वयन से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों को शासन में भाग लेने के लिए सशक्त बनाया जा सकता है।
  • समग्र विकास दृष्टिकोण: सरकार को माओवादी विचारधारा के आकर्षण को कम करने के लिए दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: सभी वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों को शामिल करने के लिए आकांक्षी जिला कार्यक्रम का विस्तार करके लक्षित विकास मध्यक्षेप प्रदान किया जा सकता है।
  • आदिवासियों के साथ सतत संवाद: आदिवासी समुदायों और स्थानीय नेताओं के साथ
    सतत संवाद तंत्र स्थापित करने से माओवादियों द्वारा शोषण किए जाने से पहले लोगों की  शिकायतों का समाधान किया जा सकता है। 

    • उदाहरण के लिए: गुजरात में वनबंधु कल्याण  योजना के अंतर्गत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सलवाद को कम करने के लिए स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित किया गया।
  • सुरक्षा और मानवाधिकारों में संतुलन: सुरक्षा अभियानों को मानवाधिकारों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ संतुलित किया जाना चाहिए तथा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि निर्दोष नागरिकों और कार्यकर्ताओं को निशाना न बनाया जाए।
  • भूमि अधिकारों का प्रभावी क्रियान्वयन: आदिवासी भूमि अधिकारों को सुनिश्चित करने और नक्सली नेताओं के प्रभाव को कम करने के लिए वन अधिकार अधिनियम (FRA) का उचित क्रियान्वयन महत्त्वपूर्ण है। 
    • उदाहरण के लिए: महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में प्रभावी FRA क्रियान्वयन ने आदिवासी शिकायतों और माओवादी प्रभाव को कम करने में मदद की है।

वामपंथी उग्रवाद को पूरी तरह से खत्म करने के लिए भारत को एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा जिसमें विकास और सुरक्षा दोनों उपायों पर जोर दिया जाए। समावेशी विकास, आदिवासी अधिकारों का सम्मान और स्थानीय शासन सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करके सरकार नक्सलवाद के मूल कारणों से प्रभावी ढंग से निपट सकती है। संवाद, मानवाधिकार और विकास पर निरंतर ध्यान देने से दीर्घकालिक शांति और स्थिरता का मार्ग प्रशस्त होगा।

 

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.