प्रश्न की मुख्य माँग
- वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में पीएम जन धन योजना की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिए।
- इस बात पर प्रकाश डालिये कि यह योजना वंचित आबादी तक बैंकिंग सेवाओं की पहुँच बढ़ाने में कितनी सफल रही है।
- वंचित आबादी के लिए बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच बढ़ाने में योजना की कमियों पर प्रकाश डालिये।
- आगे की राह सुझाएँ।
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उत्तर:
वर्ष 2014 में शुरू की गई, प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) का उद्देश्य बैंकिंग सुविधाओं तक सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करना है, विशेष रूप से बैंकिंग सुविधाओं से वंचित आबादी के लिए। वर्ष 2023 तक 53 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले जाने के साथ, जिनमें से 55.5% महिलाओं के खाते हैं, PMJDY भारत में वित्तीय समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो विभिन्न जनसांख्यिकी में आर्थिक भागीदारी और सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है।
वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में जन धन योजना की प्रभावशीलता
- बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों तक बैंकिंग पहुँच का विस्तार: PMJDY ने ऐसे व्यक्तियों के लिए खाते खोलकर बैंकिंग पहुँच में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिनकी पहले औपचारिक वित्तीय सेवाओं तक पहुँच नहीं थी, जिससे बचत और वित्तीय सुरक्षा की संस्कृति को बढ़ावा मिला है।
- प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) को सुविधाजनक बनाना: इस योजना ने सरकारी सब्सिडी और लाभों को सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में निर्बाध रूप से स्थानांतरित करने, लीकेज को कम करने और लक्षित वितरण सुनिश्चित करने में सक्षम बनाया है।
उदाहरण के लिए: PMJDY खातों के माध्यम से लाभार्थियों को प्रत्यक्ष रूप से 39 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं, जिससे बिचौलियों पर निर्भरता कम हुई है।
- वित्तीय समावेशन के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना: PMJDY ने महिलाओं के लिए बैंक खाते खोलकर उन्हें सशक्त बनाया है, जिससे उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता और आर्थिक गतिविधियों में भागीदारी मिल रही है, जिससे लैंगिक समानता को बढ़ावा मिला है।
उदाहरण के लिए: PMJDY के अंतर्गत लगभग 30 करोड़ महिलाओं को बैंकिंग प्रणाली के अंतर्गत शामिल किया गया है, जो खोले गए कुल खातों का लगभग 55.5% है।
- वित्तीय साक्षरता और समावेशन को बढ़ावा देना: इस पहल ने बैंकिंग सुविधाओं तक पहुँच प्रदान करके हाशिए पर स्थित समुदायों के बीच वित्तीय साक्षरता को बढ़ाया है, जिससे वित्तीय प्रबंधन की बेहतर समझ को बढ़ावा मिला है।
उदाहरण के लिए: PMJDY के अंतर्गत वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों ने लाखों लोगों को बैंकिंग के संबंध में शिक्षित किया है, जिसके परिणामस्वरूप प्रति खाता औसत जमा राशि में 3.8 गुना वृद्धि हुई है।
- अनौपचारिक उधारी में कमी: औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच के साथ, व्यक्ति अनौपचारिक ऋण स्रोतों पर कम निर्भर होते हैं, जो अक्सर शोषणकारी शर्तों के साथ आते हैं, जिससे उनकी वित्तीय सुरक्षा बढ़ जाती है।
उदाहरण के लिए: PMJDY खाताधारकों के लिए 10,000 रुपये तक की ओवरड्राफ्ट सुविधा तक पहुँच ने अनौपचारिक साहूकारों पर निर्भरता कम कर दी है, जिससे गरीबों की वित्तीय सुरक्षा में सुधार हुआ है।
बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच बढ़ाने में जन धन योजना की सफलता
- ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में व्यापक पहुँच: PMJDY ने ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं का सफलतापूर्वक विस्तार किया है, जिससे यह सुनिश्चित हुआ है कि वित्तीय समावेशन सबसे ज्यादा जरूरतमंद लोगों तक पहुँचे।
उदाहरण के लिए: PMJDY के लगभग 67% खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं, जिससे वित्तीय समावेशन शहरी केंद्रों से परे भी जाकर काफी व्यापक हो गया है।
- डिजिटल लेनदेन और वित्तीय प्रौद्योगिकी अपनाने में वृद्धि: इस योजना ने डिजिटल लेनदेन में वृद्धि की है, नकदी रहित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है और वंचित आबादी को डिजिटल वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में एकीकृत किया है।
उदाहरण के लिए: JAM त्रिमूर्ति (जन धन, आधार, मोबाइल) के शुभारंभ ने डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा दिया है, जिसके तहत PMJDY खाताधारकों को 36 करोड़ से अधिक RuPay कार्ड जारी किए गए हैं।
- बैंकिंग अवसंरचना में वृद्धि: PMJDY के अंतर्गत बैंकिंग सेवाओं की बढ़ती माँग के कारण, विशेष रूप से वंचित क्षेत्रों में बैंक शाखाओं और ATM का पर्याप्त विस्तार हुआ है।
- जीरो-बैलेंस खातों में कमी: इस पहल के कारण जीरो-बैलेंस खातों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है, जो नए खाताधारकों के बीच बैंकिंग सेवाओं के उपयोग और जुड़ाव में वृद्धि को दर्शाता है।
उदाहरण के लिए: अगस्त 2023 तक जीरो-बैलेंस खाते कुल PMJDY खातों के 8% तक कम हो गए हैं, जो 2015 के 58% से कम है, जो सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है।
- औपचारिक बैंकिंग में हाशिए पर स्थित समुदायों का एकीकरण: PMJDY ने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों सहित हाशिए पर स्थित समुदायों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में सफलतापूर्वक शामिल किया है, जिससे समावेशी विकास को बढ़ावा मिला है।
बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच बढ़ाने में प्रधानमंत्री जन धन योजना की कमियाँ
- अपर्याप्त वित्तीय साक्षरता: बैंक खातों तक पहुँच में वृद्धि के बावजूद, वंचित आबादी में बैंकिंग सेवाओं का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए वित्तीय साक्षरता का अभाव है, जिससे उनका वित्तीय समावेशन सीमित हो जाता है। उदाहरण के लिए: भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में कई जन धन खाताधारक ओवरड्राफ्ट सुविधाओं और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण जैसे लाभों से अनजान रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप खाते निष्क्रिय हो जाते हैं।
- सीमित भौतिक बैंक अवसंरचना: कई ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में अभी भी बैंक शाखाओं और ATM की कमी है, जिससे लोगों के पास खाते होने के बावजूद बैंकिंग सेवाओं तक आसान पहुँच में बाधा आती है।
उदाहरण के लिए: NABARD वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण में पाया गया कि ओडिशा के कुछ आदिवासी इलाकों में कई जन धन खातों का उपयोग, निकटतम बैंक शाखा की लंबी दूरी के कारण कम ही किया जाता है।
- तकनीकी और कनेक्टिविटी संबंधी समस्याएँ: ग्रामीण क्षेत्रों में खराब डिजिटल और नेटवर्क बुनियादी ढाँचे के कारण अक्सर कनेक्टिविटी संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जिससे जन धन खाताधारकों के लिए डिजिटल लेनदेन और वित्तीय सेवाओं तक पहुँच में बाधा उत्पन्न होती है।
उदाहरण के लिए: इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय द्वारा 2019 में किए गए सर्वेक्षण में बताया गया कि कई ग्रामीण बैंकिंग संवाददाताओं को नेटवर्क विफलताओं के कारण लेनदेन करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- अनुकूलित वित्तीय उत्पादों का अभाव: जन धन योजना खाते प्रायः वंचित आबादी की विशिष्ट वित्तीय आवश्यकताओं, जैसे सूक्ष्म ऋण या बीमा, को पूरा नहीं कर पाते, जिससे योजना की समग्र उपयोगिता सीमित हो जाती है।
- निष्क्रिय खाते: जन धन खातों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा निष्क्रिय रहता है, जिनमें लंबे समय तक कोई लेन-देन नहीं होता है, जो यह दर्शाता है कि केवल खाते खोलना ही वित्तीय समावेशन नहीं है।
उदाहरण के लिए: वित्त मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023 तक लगभग 19% जन धन खाते निष्क्रिय थे, जो दर्शाता है कि कई लाभार्थी नियमित रूप से वित्तीय लेनदेन के लिए अपने खातों का उपयोग नहीं कर रहे हैं।
PMJDY के माध्यम से वित्तीय समावेशन को बढ़ाने की आगे की राह
- वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों को सुदृढ़ बनाना: वित्तीय साक्षरता पहलों को बढ़ाने से व्यक्तियों को उचित वित्तीय निर्णय लेने और बैंकिंग सेवाओं का पूर्ण उपयोग करने में सशक्त बनाया जा सकेगा, जिससे सतत वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।
उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय वित्तीय शिक्षा केंद्र (NCFE) जैसी पहलों को अधिक ग्रामीण क्षेत्रों तक विस्तारित करने से वित्तीय साक्षरता दर में सुधार हो सकता है।
- अधिक पहुँच के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: डिजिटल प्लेटफॉर्म और मोबाइल बैंकिंग का उपयोग करके वित्तीय सेवाओं की पहुँच को दूरदराज और वंचित क्षेत्रों तक बढ़ाया जा सकता है, जिससे व्यापक समावेशन सुनिश्चित हो सकेगा।
- खाता उपयोग को बढ़ाना और निष्क्रियता को कम करना: बैंक खातों के सक्रिय उपयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बनाई गई नीतियाँ, जैसे कि अधिक सरकारी सेवाओं को बैंकिंग गतिविधियों से जोड़ना, खाता निष्क्रियता दरों को कम कर सकती हैं।
- नियामक निरीक्षण और निगरानी को मजबूत करना: मजबूत निगरानी और मूल्यांकन तंत्र को लागू करने से यह सुनिश्चित होगा कि PMJDY अपने उद्देश्यों को पूरा करे और चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करे।
- अनुकूलित वित्तीय उत्पादों के माध्यम से समावेशी विकास को बढ़ावा देना: महिलाओं और छोटे किसानों जैसे विभिन्न वर्गों के लिए अनुरूप वित्तीय उत्पादों और सेवाओं का विकास करके व्यापक और अधिक प्रभावी वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया जा सकता है।
उदाहरण के लिए: मुद्रा जैसी योजनाओं के तहत लघु किसानों और महिला उद्यमियों के लिए विशेष ऋण उत्पाद शुरू करने से आर्थिक भागीदारी और सशक्तिकरण को बढ़ावा मिल सकता है।
जैसे-जैसे PMJDY विकसित हो रही है, इसका ध्यान वित्तीय साक्षरता बढ़ाने, खाता निष्क्रियता को कम करने और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना चाहिए। भविष्य के सुधारों में एक सतत और समावेशी वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समाज के सभी वर्ग आर्थिक विकास से लाभान्वित हों और आर्थिक झटकों के खिलाफ प्रत्यास्थता बढ़ाया जाए और अंततः: इस प्रकार एक अधिक समतापूर्ण भारत में योगदान दिया जाए।
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