प्रश्न की मुख्य माँग
- भारत-यूरोपीय संघ संबंधों की उभरती गतिशीलता का परीक्षण कीजिए, विशेष रूप से उनकी रणनीतिक प्राथमिकताओं में अभिसरण पर बल देते हुए।
- भारत-यूरोपीय संघ संबंधों की उभरती गतिशीलता का परीक्षण कीजिए, विशेष रूप से उनकी रणनीतिक प्राथमिकताओं में विचलन पर बल देते हुए।
- विश्लेषण कीजिए कि रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखते हुए इस साझेदारी का भारत के विकास के लिए किस प्रकार लाभ उठाया जा सकता है।
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उत्तर
रणनीतिक साझेदारी, व्यापार, सुरक्षा और सतत विकास को शामिल करते हुए भारत-यूरोपीय संघ (EU), एक बहुआयामी संबंध के रूप में विकसित हुई है। यूरोपीय संघ, भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। दोनों संस्थाएँ लोकतंत्र और मानवाधिकार जैसे साझा मूल्यों को बनाए रखती हैं। हालाँकि, व्यापार वार्ता और भू-राजनीतिक दृष्टिकोण जैसे क्षेत्रों में मतभेद बने हुए हैं। हाल ही में रणनीतिक विदेश नीति वार्ता आयोजित करने के लिए किया गया समझौता, वैश्विक चुनौतियों का एक साथ सामना करने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक प्राथमिकताओं में अभिसरण
- नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था: भारत और यूरोपीय संघ दोनों ही प्रभावी बहुपक्षवाद और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
- उदाहरण के लिए: भारत और यूरोपीय संघ ने जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते में सहयोग किया, जो संधारणीय वैश्विक शासन के लिए साझा समर्पण दर्शाता है।
- जलवायु परिवर्तन शमन: भारत और यूरोपीय संघ, वैश्विक जलवायु प्रोटोकॉल पर एकमत होते हुए सतत विकास के माध्यम से जलवायु परिवर्तन का समाधान करने में रुचि रखते हैं।
- उदाहरण के लिए: यूरोपीय संघ ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के तहत तकनीकी और वित्तीय सहायता के साथ भारत के राष्ट्रीय सौर मिशन में सहायता की है।
- व्यापार और आर्थिक सहयोग: यूरोपीय संघ, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है। भारत और यूरोपीय–संघ दोनों का लक्ष्य जैव प्रौद्योगिकी और नैनो-प्रौद्योगिकी जैसे उभरते क्षेत्रों के व्यापार में विविधता लाना है ।
- उदाहरण के लिए: वर्ष 2023 में, भारत और यूरोपीय संघ के बीच वस्तुओं का व्यापार €124 बिलियन तक पहुँच गया जिसमें फार्मास्यूटिकल्स और IT सेवाओं जैसे महत्त्वपूर्ण भारतीय निर्यात शामिल हैं।
- सामाजिक क्षेत्र में सहयोग: भारत और यूरोपीय संघ शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पर सहयोग करते हैं, जिससे ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में विकास और वृद्धि को बढ़ावा मिलता है।
- उदाहरण के लिए: यूरोपीय संघ भारत के सर्व शिक्षा अभियान (SSA) और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) में सहायता करता है , जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच बढ़ती है।
- ऊर्जा सुरक्षा और संधारणीयता: दोनों ही प्रमुख ऊर्जा आयातक हैं और नवीकरणीय स्रोतों व तकनीकी सहयोग के माध्यम से सस्ती, संधारणीय और सुरक्षित ऊर्जा आपूर्ति के महत्त्व पर बल देते हैं।
भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक प्राथमिकताओं में भिन्नता
- राजनीतिक संगठन और सुरक्षा: भारत एक संप्रभु अभिकर्ता है, जबकि यूरोपीय संघ 27 देशों का प्रतिनिधित्व करता है जो वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में मतभेद उत्पन्न करता है।
- उदाहरण के लिए: भारत रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखता है, गठबंधनों से बचता है, जबकि यूरोपीय संघ अपनी सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए NATO की ट्रांसअटलांटिक साझेदारी पर निर्भर करता है।
- भू-राजनीतिक आकांक्षाएँ: भारत, दक्षिण एशिया की स्थिरता और घरेलू विकास को प्राथमिकता देता है, जबकि यूरोपीय संघ आर्थिक लाभ के लिए चीन के साथ जुड़ने पर ध्यान केंद्रित करता है।
- उदाहरण के लिए: मानवाधिकारों की चिंताओं के बावजूद चीन के साथ यूरोपीय संघ की सक्रिय भागीदारी, चीनी प्रभाव के प्रति भारत के सतर्क दृष्टिकोण के विपरीत है।
- मानवाधिकार आलोचना: यूरोपीय संघ ने कभी-कभी भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड की आलोचना की है जिससे तनाव उत्पन्न हुआ है और रणनीतिक साझेदारी कमजोर हुई है।
- उदाहरण के लिए: भारत के नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर यूरोपीय संघ की संसद की चर्चाओं ने हाल के वर्षों में द्विपक्षीय संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है।
- व्यापार बाधाएँ: भारत को यूरोपीय संघ के बाज़ार तक पहुँचने में नॉन-टैरिफ बाधाओं का सामना करना पड़ता है जबकि यूरोपीय संघ भारत की उच्च टैरिफ संरचना की आलोचना करता है क्योंकि इसमें पारदर्शिता की कमी है।
- उदाहरण के लिए: भारत ने यूरोपीय संघ की सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी (SPS) शर्तों के संबंध में चिंता जताई है, जिससे कृषि उत्पादों के निर्यात में जटिलता आ रही है।
- लोकतंत्र को बढ़ावा देने पर मतभेद: भारत, नीति के रूप में लोकतंत्र को निर्यात करने से बचता है, जबकि यूरोपीय संघ वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देने की पहल पर अमेरिका के साथ है।
- उदाहरण के लिए: भारत, इराक में अमेरिकी नेतृत्व वाले हस्तक्षेप के लिए यूरोपीय संघ के समर्थन से असहमत था, जो अंतरराष्ट्रीय शासन में विभिन्न प्राथमिकताओं को दर्शाता है।
रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखते हुए भारत के विकास के लिए भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी का लाभ उठाना
- व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना: भारत, घरेलू नीतियों की सुरक्षा करते हुए औद्योगिक नवाचार और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए जैव-प्रौद्योगिकी, नैनो-प्रौद्योगिकी और स्वच्छ ऊर्जा में यूरोपीय संघ की विशेषज्ञता का लाभ उठा सकता है।
- उदाहरण के लिए: Airbus के साथ भारत का सहयोग, जो 80% नागरिक विमानों की आपूर्ति करता है, यूरोपीय प्रौद्योगिकी से लाभ उठाते हुए रणनीतिक स्वायत्तता को दर्शाता है।
- अनुसंधान एवं विकास को मजबूत करना: भारत अपने वैज्ञानिक आधार और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करने के लिए संयुक्त उद्यमों, छात्रवृत्तियों और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं के लिए यूरोपीय संघ के समर्थन का उपयोग कर सकता है।
- उदाहरण के लिए: होराइजन यूरोप जैसे भारत-यूरोपीय संघ कार्यक्रम संयुक्त अनुसंधान पहलों को बढ़ावा देते हैं, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन और उन्नत प्रौद्योगिकियों में।
- ऊर्जा संक्रमण और जलवायु वित्तपोषण: यूरोपीय संघ भारत को नवीकरणीय ऊर्जा में तकनीकी अंतर को कम करने और वित्तपोषण में सहायता कर सकता है, भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ा सकता है और सतत विकास का समर्थन कर सकता है।
- उदाहरण के लिए: यूरोपीय संघ-भारत स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु भागीदारी, भारत में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण और विशेषज्ञता प्रदान करती है।
- बुनियादी ढाँचा और कौशल विकास: भारत, महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के निर्माण और अपने कार्यबल को उन्नत बनाने के लिए यूरोपीय संघ के निवेश का लाभ उठा सकता है, जिससे रोजगार और उत्पादकता को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही इसकी नीतिगत स्वतंत्रता भी बनी रहेगी।
- सामाजिक क्षेत्र में सहयोग का विस्तार: शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में यूरोपीय संघ की सहायता, भारत के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता कर सकती है और इसके साथ ही कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में नीतिगत स्वायत्तता सुनिश्चित कर सकती है।
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भारत-यूरोपीय संघ की साझेदारी को बेहतर भविष्य के लिए बढ़ावा देने हेतु, सहक्रियात्मक व्यापार, प्रौद्योगिकी और हरित ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा देना अनिवार्य है। संवाद और आपसी सम्मान के माध्यम से मतभेदों को दूर करने से संबंध मजबूत होंगे, भारत की रणनीतिक स्वायत्तता सुनिश्चित होगी और साझा विकास को बढ़ावा मिलेगा। भारत और यूरोपीय संघ मिलकर वैश्विक प्रत्यास्थता और समृद्धि का एक नया अध्याय लिख सकते हैं।
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