प्रश्न की मुख्य माँग
- चर्चा कीजिए कि किस प्रकार AI-संचालित निगरानी सुरक्षा और प्रशासन को बढ़ाती है, जबकि गोपनीयता अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रताओं के लिए चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है।
- भारत के वर्तमान नियामक ढाँचे की पर्याप्तता का परीक्षण कीजिए, तथा इसकी शक्तियों और कमजोरियों पर ध्यान केंद्रित कीजिए।
- इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए एक व्यापक कानूनी ढाँचे हेतु उपाय सुझाइये।
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उत्तर
AI-संचालित निगरानी का तात्पर्य कैमरे, सेंसर और डेटा-संग्रह उपकरणों जैसे उपकरणों के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकियों के एकीकरण से है, ताकि रियलटाइम में या रिकॉर्ड किए गए डेटा से गतिविधियों की निगरानी, विश्लेषण और प्रतिक्रिया की जा सके । ये प्रणालियाँ स्वचालित निर्णय लेने , सुरक्षा में सुधार , अनुपालन सुनिश्चित करने और परिचालन दक्षता को अनुकूलित करके परंपरागत निगरानी प्रक्रिया को उन्नत करती हैं, लेकिन गोपनीयता अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रताओं के लिए चुनौतियाँ भी खड़ी करती हैं ।
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AI निगरानी: गोपनीयता और नागरिक स्वतंत्रता के साथ सुरक्षा का संतुलन
उन्नत सुरक्षा और प्रशासन
- अपराध की रोकथाम: फेशियल रिकग्निशन और पूर्वानुमान विश्लेषण जैसी AI-आधारित प्रणालियाँ खतरों की रियलटाइम पहचान और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा त्वरित प्रतिक्रिया को सक्षम बनाती हैं।
- उदाहरण के लिए: दिल्ली पुलिस सार्वजनिक स्थानों की निगरानी करने और सक्रिय अपराध गश्त के माध्यम से अपराधों को रोकने के लिए AI का उपयोग करती है।
- बेहतर डेटा-संचालित कल्याण वितरण: AI जनसांख्यिकीय डेटा का विश्लेषण करके और वंचित समुदायों की पहचान करके लोक कल्याण योजनाओं के लक्षित कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करता है।
- उदाहरण के लिए: हैदराबाद द्वारा ‘समग्र वेदिका’ जैसे कल्याणकारी डेटाबेस के साथ AI का एकीकरण संसाधन वितरण को सुव्यवस्थित करता है।
- सीमा और बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा में वृद्धि: AI-संचालित उपग्रह और निगरानी तकनीकें महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को सुरक्षित करने और सीमाओं की प्रभावी निगरानी करने में मदद करती हैं।
- उदाहरण के लिए: भारत की 50 AI-संचालित उपग्रहों को तैनात करने की योजना आपदा प्रतिक्रिया और राष्ट्रीय रक्षा को मजबूत करती है।
- कुशल शहरी प्रबंधन: CCTV नेटवर्क जैसे AI अनुप्रयोग पुलिसिंग और शहरी शासन में संसाधन आवंटन को अनुकूलित करते हैं, जिससे सार्वजनिक स्थानों का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित होता है।
- उदाहरण के लिए: रेलवे स्टेशनों में AI-संचालित निगरानी, सुरक्षा और प्रबंधन में सुधार करती है।
गोपनीयता और नागरिक स्वतंत्रता के लिए चुनौतियाँ
- अंधाधुंध डेटा संग्रह: AI सिस्टम अक्सर “ड्रैगनेट निगरानी” में संलग्न होते हैं, सभी व्यक्तियों से डेटा एकत्र करते हैं, न कि केवल संदिग्धों से, जिससे सूचनात्मक गोपनीयता कमजोर होती है।
- उदाहरण के लिए: तेलंगाना पुलिस ने स्पष्ट सुरक्षा उपायों या पारदर्शिता के बिना कल्याणकारी योजनाओं के डेटाबेस तक पहुंच बनाई।
- पारदर्शिता का अभाव: डेटा को कैसे एकत्रित, संसाधित या संग्रहीत किया जाता है, इस बारे में सार्वजनिक प्रकटीकरण का अभाव जवाबदेही के संबंध में चिंताएँ उत्पन्न करता है।
- उदाहरण के लिए: दिल्ली में फेशियल रिकग्निशन प्रणाली लागू करने में डेटा उपयोग और भंडारण पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध दिशानिर्देशों का अभाव है।
- अतिक्रमण की संभावना: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDPA) के तहत व्यापक छूट, सरकार को सहमति आवश्यकताओं को दरकिनार करने की अनुमति देती है, जिससे निगरानी शक्तियों के दुरुपयोग का जोखिम होता है।
- उदाहरण के लिए: DPDPA, 2023 की धारा 7(i) पर्याप्त निगरानी के बिना रोजगार उद्देश्यों के लिए डेटा प्रसंस्करण को सक्षम बनाती है।
- AI मॉडल में भेदभाव और पूर्वाग्रह: AI एल्गोरिदम में त्रुटियाँ और पूर्वाग्रह भेदभावपूर्ण प्रथाओं को जन्म दे सकते हैं, जो हाशिए पर स्थित समुदायों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
- उदाहरण के लिए: अक्षम फेशियल रिकग्निशन उपकरणों ने कुछ लोगों की गलत पहचान करने की उच्च दर दिखाई है।
- शासन में विश्वास का क्षरण: सुरक्षा उपायों और सार्वजनिक निगरानी की कमी से अविश्वास बढ़ता है, क्योंकि नागरिक इस बात से अनजान रहते हैं कि उनके व्यक्तिगत डेटा को कैसे हैंडल किया जा रहा है।
- उदाहरण के लिए: हैदराबाद डेटा उल्लंघन ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा नागरिक जानकारी के दुरुपयोग को उजागर किया।
भारत के वर्तमान नियामक ढाँचे की पर्याप्तता
शक्ति
- निजता को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता: के.एस. पुट्टस्वामी निर्णय (2017) ने निजता को अनुच्छेद 21 का अभिन्न अंग माना, तथा डेटा अंतर्वेधन के लिए आनुपातिकता और वैधानिकता की आवश्यकता को दर्शाया, तथा संवैधानिक मानदंडों के तहत AI निगरानी का मार्गदर्शन किया।
- DPDPA (2023) का प्रारंभ: इस अधिनियम का उद्देश्य डेटा प्रसंस्करण को विनियमित करना, सहमति-आधारित ढाँचे को अनिवार्य करना और व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग के लिए शिकायत निवारण तंत्र प्रदान करना है।
- जवाबदेही पर ध्यान: DPDPA के तहत डेटा हैंडल करने वाली संस्थाओं को डेटा संरक्षण अधिकारी (DPO) नियुक्त करने और गोपनीयता उल्लंघनों के निवारण के लिए प्रणालियाँ स्थापित करने की आवश्यकता होती है।
कमजोरियाँ
- व्यापक सरकारी छूट: DPDPA सरकार को अस्पष्ट धाराओं के तहत डेटा प्रसंस्करण के लिए सहमति को दरकिनार करने की अनुमति देता है, जिससे अतिक्रमण की गुंजाइश बनती है।
- AI-विशिष्ट कानून का अभाव: भारत में AI प्रौद्योगिकियों को विनियमित करने वाले व्यापक कानूनों का अभाव है, जबकि यूरोपीय संघ के पास जोखिम-आधारित ढाँचा है।
- स्वतंत्र निरीक्षण का आभाव: निगरानी गतिविधियों में न्यायिक या थर्ड पार्टी समीक्षा का अभाव होता है, जिससे दुरुपयोग की संभावना बढ़ जाती है।
- विलंबित डिजिटल इंडिया अधिनियम: इस अधिनियम के तहत AI को विनियमित करने के वादों के बावजूद, कोई मसौदा कानून प्रस्तुत नहीं किया गया है।
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व्यापक कानूनी ढाँचे के लिए उपाय
- डेटा प्रथाओं में पारदर्शिता: कौन सा डेटा एकत्र किया जाता है, क्यों एकत्र किया जाता है, और इसे कैसे संग्रहीत या साझा किया जाता है, इस बारे में सार्वजनिक प्रकटीकरण को अनिवार्य करना चाहिए , ताकि निगरानी गतिविधियों में जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
- उदाहरण के लिए: GDPR के तहत इसी तरह के प्रावधानों के अंतर्गत संगठनों को विस्तृत गोपनीयता नोटिस प्रदान करने की आवश्यकता होती है।
- आनुपातिकता और जोखिम-आधारित विनियमन: AI अनुप्रयोगों के जोखिम वर्गीकरण को लागू करना चाहिए व सार्वजनिक स्थानों पर रियलटाइम बायोमेट्रिक पहचान जैसी उच्च जोखिम वाली गतिविधियों को प्रतिबंधित करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: यूरोपीय संघ का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अधिनियम उच्च जोखिम वाले AI अनुप्रयोगों को प्रतिबंधित करता है, जब तक कि सख्त सुरक्षा उपायों के तहत यह उचित न ठहराया गया हो।
- स्वतंत्र निरीक्षण तंत्र: निगरानी गतिविधियों की समीक्षा और निगरानी के लिए न्यायिक या थर्ड पार्टी के निकायों की स्थापना करना, गोपनीयता कानूनों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: संयुक्त राज्य अमेरिका खुफिया-संबंधी गतिविधियों की निगरानी के लिए विदेशी खुफिया निगरानी न्यायालय का उपयोग करता है।
- संकीर्ण और विशिष्ट छूट: दुरुपयोग को रोकने हेतु विशिष्ट मामलों में दी गई सरकारी अनुमति की अनिवार्य निगरानी करनी चाहिए और इसके साथ-साथ पारदर्शिता बनाए रखने का प्रयास किया जाना चाहिए।
- AI प्रणालियों में पूर्वाग्रह शमन: पूर्वाग्रहों का पता लगाने और उन्हें समाप्त करने, निष्पक्षता सुनिश्चित करने और हाशिए पर स्थित समूहों को असंगत रूप से लक्षित करने से रोकने हेतु AI एल्गोरिदम का नियमित ऑडिट आयोजित करना चाहिए।
पारदर्शिता, आनुपातिकता और स्वतंत्र निगरानी के साथ एक संतुलित विनियामक ढाँचा, यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि AI प्रौद्योगिकियाँ संवैधानिक सिद्धांतों को कम किए बिना सार्वजनिक हित में कार्य करें। बुनियादी ढाँचे और निर्णय लेने में गोपनीयता सुरक्षा को शामिल करके, भारत सुरक्षित और न्यायसंगत भविष्य के लिए जिम्मेदारीपूर्वक AI का उपयोग कर सकता है।
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