Q. भारत के स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में महिलाओं की भागीदारी में बाधा उत्पन्न करने वाली बाधाओं की जाँच कीजिए। लक्षित नीतिगत हस्तक्षेप इन चुनौतियों का समाधान कैसे कर सकता है और महिला उद्यमियों के लिए अपने व्यवसाय को बढ़ाने और अधिक रोजगार सृजित करने के लिए अधिक अनुकूल इकोसिस्टम कैसे बना सकता है। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत के स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र में महिलाओं की भागीदारी में बाधा डालने वाली बाधाओं का वर्णन कीजिए।
  • इन चुनौतियों का समाधान करने वाले लक्षित नीतिगत मध्यक्षेपों का उल्लेख कीजिए।
  • महिला उद्यमियों के लिए अधिक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण हेतु अधिक सुधारों की आवश्यकता है।

उत्तर

भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, फिर भी महिलाओं की भागीदारी अनुपातहीन रूप से कम है। भारत में लगभग 7000 महिला-नेतृत्व वाले स्टार्टअप हैं, जो देश के सभी स्टार्टअप का लगभग 7.5% है। इन सबके बावजूद, महिला श्रम शक्ति की पूर्ण भागीदारी में गंभीर बाधाएँ हैं।

भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में महिलाओं की भागीदारी में बाधा डालने वाली बाधाएँ

  • वित्तपोषण तक सीमित पहुँच: महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स को पुरुष समकक्षों की तुलना में उद्यम पूंजी वित्तपोषण का कम हिस्सा प्राप्त होता है।
  • लैंगिक पूर्वाग्रह और रूढ़िवादिता: सदियों से चले आ रहे सामाजिक मानदंड महिलाओं की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाते हैं, जिससे आत्मविश्वास और अवसर कम हो जाते हैं।
  • कार्य-जीवन संतुलन की चुनौतियाँ: व्यवसाय और पारिवारिक जिम्मेदारियों दोनों को संभालने की अपेक्षा अतिरिक्त दबाव उत्पन्न करती है। 
    • उदाहरण के लिए: चाइल्डकेयर सुविधाओं जैसे सहायक बुनियादी ढाँचे की कमी इस समस्या को और बढ़ा देती है।
  • सीमित मार्गदर्शन और नेटवर्किंग अवसर: महिला उद्यमियों के पास अक्सर मजबूत मार्गदर्शन और नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म तक पहुँच की कमी होती है। इससे उद्योग की अंतर्दृष्टि और संभावित सहयोग तक उनकी पहुँच सीमित हो जाती है।
  • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: व्यक्तिगत सुरक्षा संबंधी चिंताएँ, विशेषकर यात्रा के दौरान या देर रात तक करय करने के दौरान, महिलाओं की गतिशीलता और भागीदारी को प्रतिबंधित करती हैं।

चुनौतियों से निपटने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप

  • वित्तीय सहायता में वृद्धि: वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में पहली बार महिला उद्यमियों के लिए पांच वर्षों की अवधि में ₹2 करोड़ तक के टर्म लोन की शुरुआत की गई। 
    • उदाहरण के लिए: किनारा कैपिटल के हर विकास (Her Vikas) जैसे कार्यक्रम महिलाओं के नेतृत्व वाले MSME को बिना किसी जमानत के लोन देते हैं।
  • कौशल विकास और प्रशिक्षण: महिला उद्यमिता मंच (WEP) जैसी पहल महत्त्वाकांक्षी महिला उद्यमियों को प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान करती है।
    उदाहरण के लिए: IIM बैंगलोर का NSRCEL महिलाओं के लिए विशेष कार्यक्रम प्रदान करता है, जिसमें मेंटरशिप और इनक्यूबेशन सहायता शामिल है।
  • मेंटरशिप और नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म: मेंटरशिप कार्यक्रमों का विस्तार करने और विशेष रूप से महिलाओं के लिए नेटवर्किंग कार्यक्रम बनाने से मौजूदा अंतराल कम हो सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: IIM बैंगलोर द्वारा महिला स्टार्ट-अप कार्यक्रम जैसे कार्यक्रम महिला उद्यमियों को मेंटरशिप प्रदान करते हैं।
  • बुनियादी ढाँचा और सुरक्षा उपाय: सुरक्षित परिवहन और कार्यस्थल सुरक्षा जैसे सुरक्षा उपायों को लागू करने से सुरक्षा संबंधी चिंताएँ कम हो सकती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: चाइल्डकेयर सुविधाएँ और लचीले वर्क-ऑवर प्रदान करने से वर्क-लाइफ प्रतिबद्धताओं को संतुलित करने में मदद मिल सकती है।
  • जागरूकता अभियान और सांस्कृतिक बदलाव: लैंगिक रूढ़िवादिता को चुनौती देने और उद्यमिता में समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: सरकारी स्वामित्व वाले टीवी, रेडियो चैनलों आदि पर “शार्क टैंक” जैसे शो में महिला उद्यमियों को मंच प्रदान करना चाहिए।

महिला उद्यमियों के लिए अधिक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र हेतु सुधार की आवश्यकता

  • लैंगिक-संवेदनशील खरीद नीतियाँ: महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों से सरकारी खरीद का एक निश्चित प्रतिशत अनिवार्य किया जाना चाहिए।
  • महिलाओं द्वारा संचालित स्टार्टअप्स के लिए कर प्रोत्साहन: महिलाओं द्वारा स्थापित स्टार्टअप्स को प्रारंभिक वर्षों के लिए लक्षित कर छूट और GST छूट प्रदान की जाएगी।
    • उदाहरण के लिए: सिंगापुर स्टार्टअप्स के लिए कर छूट प्रदान करता है, जिसे भारतीय महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों के लिए भी अपनाया जा सकता है।
  • लिंग-केंद्रित राज्य-स्तरीय स्टार्टअप नीतियाँ: राज्यों को वित्त पोषण, इनक्यूबेशन और मेंटरशिप प्रावधानों के साथ महिला-केंद्रित स्टार्टअप नीतियाँ बनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: केरल के स्टार्टअप मिशन ने “शी स्टार्ट्स”  (She Starts) जैसी महिला-विशिष्ट पहल शुरू की है।
  • महिलाओं के लिए समर्पित उद्यम निधि और एन्जिल नेटवर्क: सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ लिंग-केंद्रित उद्यम पूंजी और एन्जल निवेश नेटवर्क का विस्तार करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2025 के बजट में प्रस्तावित 1,000 करोड़ रुपये के “महिला उद्यमिता कोष” को तेजी से आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
  • स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रम में उद्यमिता का एकीकरण: माध्यमिक विद्यालय से ही लड़कियों को उद्यमिता, वित्तीय साक्षरता और डिजिटल कौशल का प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: फिनलैंड स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों में उद्यमशीलता को एकीकृत करता है।
  • महिला उद्यमियों के लिए डिजिटल बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना: डिजिटल उपकरणों, विपणन प्लेटफार्मों और साइबर सुरक्षा सहायता तक रियायती पहुंच प्रदान करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: L&T फाइनेंस द्वारा “डिजिटल सखी” कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं को डिजिटल वित्तीय साक्षरता का प्रशिक्षण प्रदान करता है।
  • समावेशी इनक्यूबेटर और सह-कार्य स्थान: केवल महिलाओं के लिए अधिक इनक्यूबेशन केंद्र और बाल देखभाल सुविधाओं के साथ सुरक्षित, सब्सिडी वाले सह-कार्य स्थान स्थापित करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: WE Hub” (तेलंगाना) महिलाओं के लिए भारत का पहला राज्य-नेतृत्व वाला इनक्यूबेटर है।

स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS), स्टार्टअप के लिए फंड्स ऑफ फंड्स (FFS) और स्टार्टअप के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम (CGSS) कुछ ऐसी योजनाएँ हैं, जो शुरुआती चरण के स्टार्टअप को वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं। व्यापक नीतियों के माध्यम से बाधाओं को दूर करके, भारत एक अधिक समावेशी स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र विकसित कर सकता है, जिससे महिला उद्यमी अपने व्यवसाय को बढ़ा सकें और आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकें।

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