Q. भारत अगले दशक में पर्यटन के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में योगदान को 5% से दोगुना करके 10% करने की आकांक्षा रखता है। चुनौतियों का परीक्षण कीजिए और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के उपाय सुझाइए। (उत्तर 150 शब्दों में, 10 अंक)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • पर्यटन क्षेत्र के समक्ष आने वाली चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
  • अगले दशक में पर्यटन के योगदान को 5% से बढ़ाकर 10% करने के लिए उपाय सुझाइए।

उत्तर

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) द्वारा जारी ट्रैवल एंड टूरिज्म डेवलपमेंट इंडेक्स 2024 में भारत ने सराहनीय प्रगति करते हुए वर्ष 2021 की 54वीं रैंक से सुधार कर 39वाँ स्थान प्राप्त किया है। यह संकेत करता है कि वैश्विक स्तर पर भारत की पर्यटन प्रतिस्पर्द्धात्मकता (Tourism Competitiveness) में सुधार हुआ है और नीतिगत प्रयासों के कुछ सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। इसके बावजूद, एक गंभीर चिंता यह है कि भारत में पर्यटन क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में योगदान केवल 5% तक सीमित है, जबकि विश्व औसत लगभग 10% है। इसका अर्थ है कि भारत, जिसके पास अत्यंत समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, विविध भौगोलिक परिदृश्य, धार्मिक–आध्यात्मिक परंपराएँ और प्राकृतिक सौंदर्य की प्रचुरता है, वह अपनी वास्तविक क्षमता (Full Potential) का अभी तक पूर्ण उपयोग नहीं कर पाया है।

पर्यटन क्षेत्र की चुनौतियाँ

  • वैश्विक औसत की तुलना में निम्न GDP योगदान: भारत में पर्यटन क्षेत्र का GDP में योगदान मात्र 5% है, जबकि वैश्विक औसत लगभग 10% है। इसका अर्थ है कि भारत के पास उपलब्ध समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर, सांस्कृतिक विविधता और प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद, इनका आर्थिक लाभ पर्याप्त रूप से नहीं उठाया जा सका है।
    • उदाहरण के लिए: स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे देश पर्यटन से अपने GDP का लगभग 12% अर्जित करते हैं। यह स्पष्ट करता है कि भारत के पास विशाल संभावनाएँ होने के बावजूद वह अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुँच पाया है।
  • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा और क्षमता संबंधी बाधाएँ: पर्यटन की माँग की तुलना में होटल व आवासीय ढाँचा अत्यंत कमजोर है। वर्तमान में भारत के पास लगभग 1.8 लाख ब्रांडेड होटल कक्ष और 1.5 मिलियन अनब्रांडेड कमरे हैं, जो वास्तविक माँग से बहुत कम हैं।
    • उदाहरण के लिए: यदि भारत को वैश्विक स्तर की कॉन्फ्रेंस, खेल आयोजन या बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम आकर्षित करने हैं, तो मौजूदा क्षमता को कम-से-कम तीन गुना बढ़ाने की आवश्यकता होगी।
  • पर्यटक सुविधा और कनेक्टिविटी में कमी: पर्यटकों को मिलने वाली सेवाएँ और यात्रा की सरलता अब भी सीमित है। ई-वीजा प्रक्रिया लंबी और जटिल है, अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की कनेक्टिविटी असमान है और अप्रवासन में अत्यधिक समय लगता है। ये सभी कारक भारत की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को कम करते हैं और पर्यटकों के अनुभव को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।
  • उच्च आउटबाउंड पर्यटन और विदेशी मुद्रा निकासी: वर्ष 2024 में लगभग 2.8 करोड़ भारतीय पर्यटक विदेश यात्रा पर गए और वहाँ 28–31 अरब डॉलर व्यय किए। यह पूँजी देश में सृजित होने वाले राजस्व की बजाय विदेशी अर्थव्यवस्थाओं में चली जाती है।
    • उदाहरण के लिए: भारतीय पर्यटक वैश्विक स्तर पर उच्चतम खर्च करने वालों में गिने जाते हैं, जो अक्सर विदेशों में लक्जरी और इमर्सिव अनुभव (Immersive Experiences) लेना पसंद करते हैं।
  • कमजोर ब्रांडिंग और मार्केटिंग: भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अक्सर केवल “देखने लायक जगह” (Place to See) के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, न कि “अनुभव करने योग्य स्थान” (Place to Experience) के रूप में।
    • उदाहरण के लिए: भारत में वेलनेस टूरिज्म, आध्यात्मिक यात्रा और सांस्कृतिक पर्यटन की अपार संभावनाएँ हैं, लेकिन डिजिटल स्टोरीटेलिंग, वैश्विक इन्फ्लुएंसर सहयोग और सशक्त ब्रांडिंग के अभाव में यह क्षमता पर्याप्त रूप से सामने नहीं आ पाती।
  • विनियामक और निवेश अंतराल: पर्यटन क्षेत्र को अब तक पूर्ण रूप से इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर का दर्जा नहीं दिया गया है। इस कारण होटल, रोपवे, कन्वेंशन सेंटर जैसे क्षेत्रों में निजी निवेश और पब्लिक–प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल का अपेक्षित विस्तार नहीं हो सका है। 
    • उदाहरण के लिए: बुनियादी ढाँचे की सामंजस्यपूर्ण मास्टर सूची (Harmoniser Master List Of Infrastructure) में पर्यटन का आंशिक समावेशन किया गया है, लेकिन अभी भी कई उप-क्षेत्र इससे बाहर हैं। इससे बड़े पैमाने पर पूँजी निवेश (Capital Inflows) बाधित होता है।

लक्ष्य प्राप्ति के उपाय

  • विश्व स्तरीय गंतव्यों का विकास करना: भारत को कम-से-कम 50 ऐसे पर्यटन हब विकसित करने चाहिए, जो वैश्विक मानकों पर खरे उतरें। इन हबों में बुनियादी ढाँचा, सतत् विकास और सशक्त ब्रांडिंग का संतुलित मिश्रण होना चाहिए। इसके लिए केंद्र और राज्यों के बीच सक्रिय साझेदारी आवश्यक है।
    • उदाहरण के लिए: हाल ही में केंद्रीय बजट में पूरे भारत से 50 पर्यटन स्थलों की पहचान कर उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित करने की पहल की गई है।
  • सुविधा एवं संपर्क को सरल बनाना: पर्यटकों की आवाजाही को सहज बनाने के लिए ई-वीजा सेवाओं का विस्तार, इमिग्रेशन प्रक्रियाओं में तेजी और हवाई/रेल संपर्क को सुदृढ़ करना आवश्यक है। 
    • उदाहरण के लिए: आगमन अनुभव (Arrival Experience) को सरल बनाने के साथ-साथ भारत द्वारा 1,000 नए विमानों की ख़रीद अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या बढ़ाने में सहायक होगी।
  • डिजिटल मार्केटिंग और वैश्विक ब्रांडिंग को मजबूत करना: भारत को डिजिटल युग में कंटेंट-आधारित प्रचार (Content-led Promotion), वैश्विक इन्फ्लुएंसरों के साथ सहयोग और AI-संचालित टूरिज़्म कंटेंट क्यूरेशन जैसी रणनीतियों का उपयोग करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: ‘देखो अपना देश’ अभियान को एक वैश्विक डिजिटल स्टोरीटेलिंग मूवमेंट में बदलकर भारत की सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधता को विश्व पटल पर अधिक सशक्त ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • घरेलू पर्यटन को प्रोत्साहित करना: भारत में पर्यटन से होने वाले कुल राजस्व का लगभग 86% हिस्सा घरेलू यात्रियों से आता है। अतः राज्यों के बीच यात्रा को किफायती बनाना, सुविधाओं का विस्तार करना और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना, पर्यटन क्षेत्र की वृद्धि में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
  • अवसंरचना टैगिंग के माध्यम से निजी निवेश को प्रेरित करना: यदि पर्यटन क्षेत्र को व्यापक रूप से इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर का दर्जा दिया जाए तो इससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और पब्लिक–प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के अंतर्गत बड़े पैमाने पर आतिथ्य (Hospitality) परियोजनाएँ आकर्षित हो सकती हैं।
    • उदाहरण के लिए: होटल, रोपवे और कन्वेंशन सेंटरों के निर्माण में PPP मॉडल अपनाकर पर्यटन उद्योग की वृद्धि को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। 
  • विशिष्ट शक्तियों का लाभ उठाना- स्वास्थ्य और चिकित्सा पर्यटन: भारत की सभ्यतागत विरासत में आयुर्वेद, योग, अध्यात्म और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएँ निहित हैं। इनको वैश्विक स्तर पर आकर्षक उत्पाद के रूप में प्रस्तुत कर उच्च मूल्य वाले पर्यटकों (High-value Tourists) को आकर्षित किया जा सकता है।
    • उदाहरण के लिए: वेलनेस टूरिज्म और मेडिकल वैल्यू ट्रैवल पहले से ही भारत की सांस्कृतिक और स्वास्थ्य संबंधी क्षमताओं से जुड़ा हुआ है, जिसे आगे और विस्तार दिया जा सकता है।

निष्कर्ष

पर्यटन क्षेत्र भारत के लिए न केवल आर्थिक विकास का एक सशक्त इंजन (Growth Engine) सिद्ध हो सकता है, बल्कि यह विशाल रोजगार सृजन, स्थानीय समुदायों के सशक्तीकरण तथा सांस्कृतिक गौरव (Cultural Pride) को भी गहराई प्रदान करता है। देखो अपना देश, स्वदेश दर्शन 2.0 और प्रसाद जैसी योजनाएँ सतत् पर्यटन के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाती हैं। निजी क्षेत्र के सहयोग से ऐसी पहलों को मजबूत करने से भारत के पर्यटन सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में हिस्सेदारी दोगुनी हो सकती है और इसे एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सकता है।

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