Q. हाल ही में, राजस्थान में स्कूल की इमारत के ढहने से भारत के सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढाँचे और प्रशासन का गहरा संकट उजागर होता है। इस संदर्भ में, सरकारी स्कूलों के समक्ष सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने में आने वाली चुनौतियों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। साथ ही, उन्हें सुरक्षा और सीखने का केंद्र बनाने के लिए एक व्यापक रोडमैप भी सुझाइए। (250 शब्द, 15 अंक)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने में सरकारी स्कूलों के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
  • सरकारी स्कूलों को सुरक्षा और शिक्षा का केंद्र बनाने के लिए व्यापक रोडमैप का सुझाव दीजिए।

उत्तर

राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्कूल भवन के ध्वस्त होने की दुखद घटना भारत के सरकारी स्कूलों में असुरक्षित बुनियादी ढाँचे, कमजोर प्रशासन और असमान पहुँच जैसी गंभीर समस्याओं को उजागर करती है। नीतिगत प्रयासों और वित्तपोषण के बावजूद, ये प्रणालीगत समस्याएँ अनसुलझी बनी हुई हैं, जिससे विशेषकर वंचित समुदायों के छात्रों की सुरक्षा और शिक्षा के अवसर खतरे में पड़ गए हैं।

सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने में सरकारी स्कूलों के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ

  • जीर्ण-शीर्ण अवसंरचना: राजस्थान की घटना से स्पष्ट है कि भारत में कई सरकारी स्कूल पुराने या खराब रखरखाव वाली इमारतों में संचालित होते हैं, जिससे छात्रों को शारीरिक खतरा होता है।
    • उदाहरण: शिक्षा विभाग (राजस्थान) के अनुमान के अनुसार, राजस्थान में 70,000 सरकारी स्कूलों में से 8,000 स्कूल खराब स्थिति में हैं।
  • अपर्याप्त वित्तपोषण और उपयोग संबंधी समस्याएँ: जब धनराशि आवंटित की जाती है, तब भी निष्पादन में बाधाएँ और वितरण में देरी के कारण कोई ठोस सुधार नहीं हो पाता है।
    • उदाहरण: बुनियादी ढाँचे को बेहतर बनाने के लिए पिछले दो राज्य बजटों में 650 करोड़ रुपये आवंटित किए जाने के बावजूद, सरकारी अक्षमताओं के कारण इसका प्रभाव नगण्य रहा।
  • अप्रभावी निगरानी और लेखा परीक्षा: जिन स्कूलों में दुर्घटनाएँ होती हैं उनकी अक्सर आधिकारिक लेखा परीक्षा में पहचान नहीं की जाती है, जो वर्तमान मूल्यांकन तंत्र की असमर्थता को दर्शाता है।
  • प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी: कई स्कूलों में पर्याप्त और उचित रूप से प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी है, जिससे मौजूदा शिक्षकों पर बोझ बढ़ रहा है और शैक्षिक गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
  • वंचित समुदायों की उपेक्षा: आदिवासी, दलित और आर्थिक रूप से कमजोर समुदाय के बच्चे सरकारी स्कूलों पर बहुत अधिक निर्भर हैं, जो अक्सर सबसे कम संसाधन वाले और सबसे अधिक उपेक्षित होते हैं।
  • सुरक्षा प्रोटोकॉल पर अपर्याप्त ध्यान: नियमित सुरक्षा अभ्यास, संरचनात्मक ऑडिट और आपदा तत्परता को शायद ही कभी लागू किया जाता है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।

सरकारी स्कूलों को सुरक्षा और शिक्षा का केंद्र बनाने के लिए व्यापक रोडमैप

  • आधारभूत बुनियादी ढाँचे का त्वरित उन्नयन: स्वतंत्र थर्ड-पार्टी विशेषज्ञों की सहायता से संपूर्ण सुरक्षा ऑडिट कराना चाहिए; असुरक्षित स्कूल भवनों की शीघ्र मरम्मत, रेट्रोफिटिंग या पुनर्निर्माण को उच्च प्राथमिकता देनी चाहिए।
    • उदाहरण: राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भी शिक्षा पर व्यय में तत्काल वृद्धि और बुनियादी ढाँचे के उन्नयन को प्राथमिकता देने पर बल दिया गया है।
  • कुशल निधि संवितरण और निगरानी: पारदर्शी ट्रैकिंग प्रणाली स्थापित करनी चाहिए ताकि बजट के अनुसार धन का पूर्ण और समय पर उपयोग हो तथा नियमित प्रगति रिपोर्ट सार्वजनिक निगरानी के लिए उपलब्ध हों।
  • शिक्षक भर्ती, प्रशिक्षण और प्रतिधारण: पर्याप्त संख्या में योग्य शिक्षकों की भर्ती करनी चाहिए, विशेष रूप से स्थानीय समुदायों से, और शैक्षणिक नवाचार व समावेशिता पर केंद्रित सतत् प्रशिक्षण में निवेश करना चाहिए।
    • उदाहरण: NISHTHA, “एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण के माध्यम से स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार” के लिए एक क्षमता निर्माण कार्यक्रम है।
  • समावेशी और समग्र नीति कार्यान्वयन: सरकारी स्कूलों को शिक्षा पर एक मजबूत नीतिगत फोकस बनाए रखना चाहिए और वंचितों की आवश्यकताओं को केंद्र में रखना चाहिए तथा जन-शिक्षा के विरुद्ध निजीकरण से बचना चाहिए।
  • सामुदायिक सहभागिता: अधिक जवाबदेही के लिए बुनियादी ढाँचे, सुरक्षा और स्कूल के कामकाज की निगरानी में स्थानीय पंचायतों, अभिभावकों तथा नागरिक समाज को शामिल करना चाहिए।
  • प्रौद्योगिकी एकीकरण और संसाधन संवर्द्धन: डिजिटल उपकरण, पुस्तकालय, स्वच्छता सुविधाएँ प्रदान करनी चाहिए, जिससे प्रत्येक स्कूल न्यूनतम संसाधन मानकों को पूरा करे और समग्र विकास सुनिश्चित हो। 
  • सुरक्षा प्रोटोकॉल को संस्थागत बनाना: सभी स्कूलों में नियमित सुरक्षा अभ्यास, आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण और आपातकालीन तैयारी योजनाओं को मानक संचालन प्रक्रियाओं के रूप में लागू करना चाहिए।

निष्कर्ष

सरकारी स्कूलों को वास्तव में सुरक्षित और प्रभावी अध्ययन स्थल बनाने के लिए भारत को दीर्घकालिक शैक्षिक सुधारों के प्रति प्रतिबद्ध होना होगा, जिसमें मजबूत जवाबदेही, समय पर आधारभूत संरचना निवेश, और निर्धारित शिक्षक भर्ती व प्रशिक्षण शामिल हों। सभी सरकारी स्तरों से समन्वित प्रयास और समुदाय की सक्रिय भागीदारी प्रत्येक बच्चे की सुरक्षा और शैक्षिक विकास सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

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