प्रश्न की मुख्य माँग
- पाकिस्तान एवं बांग्लादेश के साथ चीन के उभरते त्रिपक्षीय संबंध भारत के क्षेत्रीय हितों के लिए रणनीतिक चुनौती कैसे प्रस्तुत करते हैं, इसकी जाँच कीजिए।
- इस उभरते हुए संरेखण को प्रभावी ढंग से संतुलित करने के लिए भारत द्वारा अपनाई जा सकने वाली रणनीतियों पर चर्चा कीजिए।
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उत्तर
19 जून, 2025 को कुनमिंग में पाकिस्तान एवं बांग्लादेश के साथ चीन का पहला त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन दक्षिण एशियाई भू-राजनीति में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। यह सम्मेलन क्षेत्र में चीन के रणनीतिक प्रवेश को गहरा करता है तथा मध्य एशिया एवं बंगाल की खाड़ी में भारत के पारंपरिक प्रभाव को चुनौती देता है।
चीन के उभरते त्रिपक्षीय संबंध भारत के लिए रणनीतिक चुनौतियाँ प्रस्तुत करते हैं
- सामरिक घेराबंदी: चीन अपनी समुद्री पहुँच का विस्तार करने एवं भारत को घेरने के लिए पाकिस्तान तथा बांग्लादेश के साथ संबंधों का उपयोग करता है।
- उदाहरण के लिए, सिलीगुड़ी कॉरिडोर के करीब लालमोनिरहाट के पास चीनी गतिविधियाँ पूर्वोत्तर भारत तक पहुँच को खतरे में डालती हैं।
- चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का विस्तार: चीन का लक्ष्य बांग्लादेश को CPEC में शामिल करना है और इसे बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से जोड़ना है।
- उदाहरण के लिए, मई 2025 में बांग्लादेश को CPEC में एकीकृत करने के लिए एक कार्य समूह का गठन किया गया था।
- रक्षा एवं समुद्री सहयोग: चीन पाकिस्तान एवं बांग्लादेश के बीच सैन्य संबंधों को सुविधाजनक बना रहा है।
- उदाहरण के लिए, संयुक्त राष्ट्र कॉमट्रेड डेटाबेस के अनुसार, वर्ष 2024 के दौरान पाकिस्तान से बांग्लादेश को हथियारों, गोला-बारूद, पुर्जों और सहायक उपकरणों का निर्यात 12.78 हजार अमेरिकी डॉलर था।
- सुरक्षा कमजोरियाँ: त्रिपक्षीय सहयोग भारत-बांग्लादेश सीमा के पास विद्रोहियों को अप्रत्यक्ष सहायता प्रदान कर सकता है।
- उदाहरण के लिए, नए सिरे से रक्षा संबंध पूर्वोत्तर भारत में निष्क्रिय विद्रोही नेटवर्क को पुनर्जीवित कर सकते हैं।
- जल एवं संपर्क लाभ: चीन, तीस्ता नदी जल-बँटवारे जैसे विवादास्पद मुद्दों पर बांग्लादेश के रुख को प्रभावित कर सकता है।
- उदाहरण के लिए, बांग्लादेश की तीस्ता परियोजना के लिए चीनी समर्थन भारत के प्रभाव को कमजोर कर सकता है।
- भारत की भूमिका का कूटनीतिक रूप से कमजोर होना: त्रिपक्षीय मंच SAARC एवं BIMSTEC में भारत के प्रभाव को चुनौती देता है।
- उदाहरण के लिए, कुनमिंग त्रिपक्षीय बैठक BIMSTEC की प्रासंगिकता को कम करने का जोखिम उठाती है।
- आर्थिक हाशिए पर जाना: चीन बुनियादी ढाँचे एवं रक्षा सौदों के माध्यम से क्षेत्रीय व्यापार पर हावी होने की कोशिश कर रहा है।
- उदाहरण के लिए, चीन से बांग्लादेश के हथियारों का आयात एवं CPEC में भागीदारी भारतीय आर्थिक प्रभाव को कमजोर करती है।
त्रिपक्षीय संरेखण को संतुलित करने के लिए भारत की जवाबी रणनीतियाँ
- बंगाल की खाड़ी में गहराई से जुड़ना: भारत को बांग्लादेश एवं BIMSTEC देशों के साथ द्विपक्षीय तथा क्षेत्रीय संबंधों को बढ़ाना चाहिए।
- उदाहरण के लिए, सीमावर्ती क्षेत्रों में विद्युत निर्यात एवं बुनियादी ढाँचा भारत की पड़ोसी पहले नीति का समर्थन करता है।
- भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका एवं QUAD संबंधों को मजबूत करना: संयुक्त राज्य अमेरिका तथा क्वाड (QUAD) के साथ घनिष्ठ संबंध चीन की शक्ति को संतुलित करेंगे।
- उदाहरण के लिए, भारत विमानवाहक पोत बना रहा है एवं QUAD भागीदारों के साथ संयुक्त रक्षा पहलों में संलग्न है।
- पूर्वोत्तर कॉरिडोर को सुरक्षित करना: भारत को सिलीगुड़ी कॉरिडोर एवं कमजोर पूर्वोत्तर क्षेत्रों को सुरक्षित करना चाहिए।
- आर्थिक साधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करना: भारत को बांग्लादेश के साथ व्यापार, ऋण एवं कनेक्टिविटी में निवेश करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए, भारत भारत-बांग्लादेश सीमा पर सड़कों तथा रेलवे का निर्माण जारी रखता है।
- साइबर एवं रक्षा क्षमता को उन्नत करना: नए खतरों का सामना करने के लिए साइबर सुरक्षा को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है।
- उदाहरण के लिए, भारत-बांग्लादेश सीमा पर सड़कों एवं रेलवे का निर्माण जारी है।
- साइबर एवं रक्षा क्षमता को उन्नत करना: नए खतरों का सामना करने के लिए साइबर सुरक्षा को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है।
- उदाहरण के लिए, भारत-बांग्लादेश सीमा पर सड़कों एवं रेलवे का निर्माण जारी है।
- साइबर एवं रक्षा क्षमता को उन्नत करना: नए खतरों का सामना करने के लिए साइबर सुरक्षा को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है।
- उदाहरण के लिए, भारत-बांग्लादेश सीमा पर सड़कों एवं रेलवे का निर्माण जारी है।
- साइबर एवं रक्षा क्षमता को उन्नत करना: नए खतरों का सामना करने के लिए साइबर सुरक्षा को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है।
- उदाहरण के लिए, ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत ने साइबर सुरक्षा बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा दिया।
- बांग्लादेश के साथ कूटनीतिक संतुलन: भारत, बांग्लादेश को त्रिपक्षीय ब्लॉकों में तटस्थ रहने के लिए राजी कर सकता है।
- उदाहरण के लिए, भारत के दबाव के कारण बांग्लादेश ने SCO में पाकिस्तान के नेतृत्व वाले प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया।
- तीस्ता जल एवं सांस्कृतिक कूटनीति: भारत को तीस्ता विवाद को हल करना चाहिए तथा सांस्कृतिक जुड़ाव को गहरा करना चाहिए।
निष्कर्ष
भारत को चीन-पाकिस्तान-बांग्लादेश त्रिपक्षीय वार्ता का जवाब बहुआयामी रणनीति के साथ देना चाहिए। सीमा सुरक्षा को मजबूत करना, कूटनीतिक जुड़ाव को आगे बढ़ाना, आर्थिक प्रभाव का विस्तार करना एवं क्षेत्रीय साझेदारी का लाभ उठाना तेजी से बदलती दक्षिण एशियाई व्यवस्था में भारत के दीर्घकालिक रणनीतिक हितों को सुरक्षित करेगा।
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