प्रश्न की मुख्य माँग
- मूल्य संवर्द्धन को बढ़ावा देने में भारत के नीतिगत ढाँचे की प्रभावशीलता की जाँच कीजिए।
- अपव्यय को कम करने में भारत के नीतिगत ढाँचे की प्रभावशीलता पर चर्चा कीजिए।
- क्षेत्र को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी बनाने के लिए आवश्यक सुधारों का उल्लेख कीजिए।
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उत्तर
खाद्य सुरक्षा, अपव्यय को कम करने एवं आर्थिक मूल्य को बढ़ाने के लिए एक मजबूत खाद्य आपूर्ति शृंखला महत्त्वपूर्ण है। हालाँकि भारत की नीतियों ने मूल्य संवर्द्धन को आगे बढ़ाया है, बुनियादी ढाँचे तथा प्रौद्योगिकी में अंतराल बने हुए हैं। वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा के लिए इन्हें पाटना आवश्यक है।
मूल्य संवर्द्धन को बढ़ावा देने में भारत के नीतिगत ढाँचे की प्रभावशीलता
- ऑपरेशन ग्रीन्स का क्रियान्वयन और उपयोग: इस योजना का उद्देश्य 22 जल्दी खराब होने वाली फसलों के लिए उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन को एकीकृत करना है, लेकिन बजट का उपयोग कम है।
- कृषि निर्यात नीति के लक्ष्य बनाम परिणाम: इस नीति में उच्च मूल्य वाले उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करते हुए वर्ष 2022 तक निर्यात को लगभग US$30 बिलियन से दोगुना करके लगभग US$60 बिलियन करने का प्रयास किया गया।
- उदाहरण: भारत का कृषि निर्यात वर्ष 2024-25 में 6.4% बढ़कर 51.9 बिलियन डॉलर हो गया, जो मार्च 2024 को समाप्त पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 48.8 बिलियन डॉलर था।
- खाद्य प्रसंस्करण में उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI): फर्मों को प्रसंस्करण क्षमताओं एवं ब्रांड विकास का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- उदाहरण: PLI समर्थित खाद्य प्रसंस्करण निर्यात वर्ष 2020 से ₹ 5.31 लाख करोड़ (यूएस $ 61.8 बिलियन) को पार कर गया है।
- खाद्य प्रसंस्करण में वृद्धि GVA: इस क्षेत्र में सकल मूल्य वर्द्धन (GVA) द्वारा मापा गया मूल्य संवर्द्धन लगातार बढ़ा है।
- PMKSY के तहत कोल्ड चेन प्रोत्साहन: खेत-स्तर से गोदाम कोल्ड स्टोरेज के लिए सब्सिडी का उद्देश्य फसल-उपरांत प्रसंस्करण को बढ़ाना है।
- उदाहरण: प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत निवेश ने स्वचालित कोल्ड सुविधाओं का समर्थन किया है, हालाँकि अपनाने में असमानता बनी हुई है।
बर्बादी को कम करने में भारत के नीतिगत ढाँचे की प्रभावशीलता
- कोल्ड चेन दायरा बनाम नुकसान: विकास के बावजूद, कई खराब होने वाली वस्तुएँ अभी भी बिना प्रशीतन के परिवहन की जाती हैं, जिससे वे खराब हो जाती हैं।
- उदाहरण: हैंडलिंग एवं परिवहन में अक्षमताएँ महत्त्वपूर्ण बर्बादी का कारण बनती हैं तथा उचित कोल्ड चेन के बिना प्रत्येक वर्ष अनुमानित 19.4 मिलियन अमेरिकी डॉलर की फसलें बर्बाद हो जाती हैं।
- E-NAM डिजिटल बाजार एकीकरण: ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का उद्देश्य आपूर्ति शृंखलाओं को छोटा करना एवं खराब होने को कम करना है।
- खाद्य हानि टास्कफोर्स एवं दिशा-निर्देश: सरकार के नेतृत्व वाली पहल सर्वोत्तम प्रथाओं की रूपरेखा प्रस्तुत करती है, लेकिन उनका क्रियान्वयन नहीं हो पाता है।
- उदाहरण: ऐसा टास्कफोर्स खाद्य हानि एवं बर्बादी (Food Loss And Wastage- FLW) को कम करने तथा SDG 12.3 को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जिससे वर्ष 2030 तक खाद्य हानि एवं बर्बादी को आधे से कम किया जा सकता है।
- कोल्ड चेन संबंधी बुनियादी ढाँचा अंतराल: क्षमता की तुलना में माँग कहीं अधिक है, विशेषकर फार्मगेट स्तर पर।
- उदाहरण: भारत में उगाए जाने वाले फलों एवं सब्जियों का लगभग 30% (40 मिलियन टन, जिसका मूल्य 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर है) प्रतिवर्ष शीत शृंखला में अंतराल के कारण बर्बाद हो जाता है।
क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाने के लिए आवश्यक सुधार
- बजट निष्पादन में वृद्धि एवं दायरे का विस्तार: ऑपरेशन ग्रीन्स के तहत स्वीकृतियों को सुव्यवस्थित करना एवं फसल कवरेज को व्यापक बनाना।
- राजकोषीय प्रोत्साहनों के माध्यम से निजी निवेश को बढ़ावा देना: कोल्ड चेन एवं प्रसंस्करण इकाइयों के लिए कर छूट तथा व्यवहार्यता अंतर निधि का विस्तार करना।
- गुणवत्ता एवं सुरक्षा मानकों को मजबूत करना: निर्यात मानदंडों को पूरा करने के लिए ग्रेडिंग, पैकेजिंग एवं ट्रेसबिलिटी पर सख्त FSSAI नियम लागू करना।
- उदाहरण: यूरोपीय संघ शैली की ट्रेसेबिलिटी अपनाने से भारतीय आम और मसाला निर्यात को प्रीमियम क्षेत्रों पर बढ़त बनाने में मदद मिल सकती है।
- डिजिटल आपूर्ति-शृंखला समाधानों का विस्तार करना: E-NAM का विस्तार करना, एंड-टू-एंड ट्रेसबिलिटी एवं वास्तविक समय की निगरानी के लिए ब्लॉकचेन को एकीकृत करना।
- उदाहरण: आंध्र प्रदेश में एक ब्लॉकचेन परियोजना ने खेतों से निर्यात बाजारों तक लाल मिर्च को ट्रैक किया, जिससे पारदर्शिता और उपभोक्ता विश्वास बढ़ा। इस नवाचार ने स्थानीय किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद की।
- वैश्विक भागीदारी एवं क्षमता निर्माण को बढ़ावा देना: बुनियादी ढाँचे को उन्नत करने एवं कार्यबल को प्रशिक्षित करने के लिए बहुपक्षीय फंडिंग (जैसे- विश्व बैंक) तथा PPP का लाभ उठाना।
बुनियादी ढाँचे, प्रौद्योगिकी एवं किसान-केंद्रित नीतियों में सुधार से दक्षता तथा स्थिरता को बढ़ाया जा सकता है। भारत की खाद्य आपूर्ति शृंखला को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी एवं नवाचार महत्त्वपूर्ण हैं।
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