Q. बैंकॉक में 6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के आलोक में, दक्षिण एशिया में एक क्षेत्रीय समूह के रूप में बिम्सटेक के विकास की आलोचनात्मक जाँच कीजिए। यह अपनी चुनौतियों और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की क्षमता के संदर्भ में सार्क (SAARC) से कैसे भिन्न है? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • बैंकॉक में आयोजित छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के आलोक में, दक्षिण एशिया में एक क्षेत्रीय समूह के रूप में BIMSTEC के विकास का परीक्षण कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की चुनौतियों के संदर्भ में यह SAARC से किस प्रकार भिन्न है।
  • चर्चा कीजिए कि क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की अपनी क्षमता के संदर्भ में यह सार्क से किस प्रकार भिन्न है।
  • BIMSTEC के लिए आगे की राह लिखिये।

उत्तर

1997 में गठित बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (BIMSTEC) क्षेत्रीय सहयोग के माध्यम से दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ती है। बैंकॉक (वर्ष 2025) में होने वाले 6वें शिखर सम्मेलन के साथ, BIMSTEC व्यापार, संपर्क और सुरक्षा पर फिर से ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो इंडो-पैसिफिक में बदलते भू-राजनीतिक संरेखण के बीच इसकी बढ़ती प्रासंगिकता को दर्शाता है।

दक्षिण एशिया में BIMSTEC का विकास

  • प्रारंभिक सेतु निर्माण की भूमिका: BIMSTEC की परिकल्पना SAARC और ASEAN के बीच एक सेतु के रूप में की गई थी,  जो व्यापार, पारगमन और सहयोग के लिए दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया को जोड़ेगा।
    • उदाहरण के लिए: इसमें भारत, बांग्लादेश और थाईलैंड जैसे देशों को शामिल किया गया ताकि दक्षिण एशियाई और दक्षिण-पूर्व एशियाई बाजारों का लाभ उठाया जा सके और SAARC की सीमाओं से परे क्षेत्रीय तालमेल को बढ़ाया जा सके।
  • SAARC में गतिरोध के बाद परिवर्तन: वर्ष 2014 के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में आये तनाव के बाद, BIMSTEC को नई प्रासंगिकता प्राप्त हुई, क्योंकि भारत ने पंगु पड़े SAARC से दूरी बना ली।
    • उदाहरण के लिए: भारत ने अपनी क्षेत्रीय नीति में BIMSTEC पर बल देना तब शुरू किया जब पाकिस्तान ने SAARC पहलों को अवरुद्ध कर दिया, विशेष रूप से वर्ष 2016 में उरी हमलों के बाद।
  • COVID के बाद पुनरुद्धार: 6वें शिखर सम्मेलन ने पुनरुद्धार की शुरुआत की और महामारी संबंधी व्यवधानों और क्षेत्रीय आपदाओं पर काबू पाकर कई क्षेत्रों में सहयोग की पुष्टि की।
    • उदाहरण के लिए: म्यांमार-थाईलैंड भूकंप के बावजूद, नेताओं ने बैठक की और ‘विज़न 2030’ को अपनाया, जिसमें प्रत्यास्थता और साझा लक्ष्य प्रदर्शित किए गए।
  • फोकस क्षेत्रों का विस्तार: BIMSTEC, आर्थिक सहयोग से विकसित होकर आपदा प्रबंधन, परिवहन संपर्क और आतंकवाद-रोधी कार्यों को भी शामिल करने लगा है जिससे बहुआयामी क्षेत्रीय आवश्यकताओं की पूर्ति हो रही है।
    • उदाहरण के लिए: भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना का उद्देश्य भारत के पूर्वोत्तर को दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ना है, जिससे व्यापार और गतिशीलता को बढ़ावा मिलेगा।
  • संस्थागत विकास: यह समूह BIMSTEC FTA, सीमा शुल्क समझौतों और वाणिज्य मंडल जैसे संस्थागत तंत्रों की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
    • उदाहरण के लिए: शिखर सम्मेलन में अपनाए गए विजन वर्ष 2030 दस्तावेज में आर्थिक एकीकरण और सुव्यवस्थित क्षेत्रीय व्यापार नीतियों के लिए रोडमैप की रूपरेखा दी गई है।

SAARC की तुलना में चुनौतियों में अंतर

  • पाकिस्तान की अनुपस्थिति: BIMSTEC को पाकिस्तान को शामिल न करने से लाभ होगा, तथा भारत-पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता से बचा जा सकेगा, जो अक्सर SAARC के कामकाज को बाधित करती है।
    • उदाहरण के लिए: द्विपक्षीय तनाव के कारण सार्क शिखर सम्मेलन स्थगित या रद्द कर दिए गए हैं, जैसे कि वर्ष 2016 इस्लामाबाद शिखर सम्मेलन को भारत द्वारा अवरूद्ध कर दिया गया था।
  • भू-राजनीतिक सहमति: BIMSTEC राष्ट्र प्रायः अधिक रणनीतिक संरेखण साझा करते हैं जबकि SAARC के विपरीत भिन्न विदेश नीतियां प्रायः गतिरोध का कारण बनती हैं।
    • उदाहरण के लिए: BIMSTEC सदस्य मोटे तौर पर भारत की एक्ट ईस्ट नीति का समर्थन करते हैं, जबकि SAARC में पाकिस्तान के विरोध के कारण भारत के नेतृत्व वाली पहलों का विरोध देखा गया।
  • सीमित ऐतिहासिक बोझ: BIMSTEC के सदस्य देशों के बीच ऐतिहासिक संघर्ष कम हैं जिससे कूटनीतिक और आर्थिक वार्ताएं अधिक सुचारू रूप से हो पाती हैं।
    • उदाहरण के लिए: जहाँ भारत और पाकिस्तान जैसे SAARC सदस्य देशों के बीच युद्धों का इतिहास रहा है, वहीं नेपाल, भूटान और श्रीलंका जैसे BIMSTEC देशों के बीच स्थिर संबंध हैं।
  • कार्यात्मक भूमिका न कि राजनीतिक: BIMSTEC वैचारिक उलझनों से बचते हुए राजनीतिक संवाद की तुलना में व्यावहारिक सहयोग पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है।
    • उदाहरण के लिए: ऊर्जा ग्रिड या तटीय शिपिंग समझौते जैसी BIMSTEC पहलों में इसका उदाहरण देखने को मिल सकता है।
  • सदस्यता का आकार और दायरा: केवल सात देशों के साथ, BIMSTEC सार्क की व्यापक और अधिक जटिल संरचना की तुलना में अधिक छोटा और संभावित रूप से अधिक प्रभावी है।
    • उदाहरण के लिए: सार्क के 8 सदस्यों में अफगानिस्तान और पाकिस्तान शामिल हैं, जिससे आम सहमति बनाना जटिल हो जाता है, जबकि BIMSTEC के सीमित सदस्य होने से निर्णयन में तेजी आती है।

SAARC की तुलना में क्षमता में अंतर

  • भू-रणनीतिक स्थिति: BIMSTEC बंगाल की खाड़ी के तटवर्ती राज्यों को जोड़ता है तथा वाणिज्य और ऊर्जा प्रवाह के लिए एक सामरिक समुद्री कॉरिडोर प्रदान करता है।
    • उदाहरण के लिए: बंगाल की खाड़ी एक वैश्विक व्यापार मार्ग के रूप में उभर रही है, जिससे BIMSTEC क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण और समुद्री सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण बन गया है।
  • आर्थिक पूरकताएँ: सदस्यों की अर्थव्यवस्थाएँ एक दूसरे की पूरक हैं – भारत का आकार, थाईलैंड का उद्योग, बांग्लादेश का कपड़ा, जिससे पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार विस्तार संभव हो रहा है।
    • उदाहरण के लिए: भारत-बांग्लादेश व्यापार वर्ष 2022 में 18 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया, जो इस क्षेत्र की गहन आर्थिक निर्भरता की क्षमता को दर्शाता है।
  • कनेक्टिविटी पर ध्यान: BIMSTEC भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी को प्राथमिकता देता है जबकि SAARC अक्सर सीमा पार बुनियादी ढाँचे के क्रियान्वयन में कमी महसूस करता है।
    • उदाहरण के लिए: परिवहन संपर्क के लिए BIMSTEC मास्टर प्लान का लक्ष्य वर्ष 2030 तक पूरे क्षेत्र में बंदरगाहों, सड़कों और रेलवे को लिंक करना है।
  • साझा क्षेत्रीय लक्ष्य: BIMSTEC देशों ने सामूहिक आपदा प्रबंधन, जलवायु प्रत्यास्थता और नवीकरणीय ऊर्जा के अंगीकरण में रुचि दिखाई है।
    • उदाहरण के लिए: क्षेत्रीय जलवायु सुभेद्यताओं और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए मौसम और जलवायु सेवाओं हेतु एक BIMSTEC केंद्र का विकास किया जा रहा है।
  • उप-क्षेत्रीयता (Sub-regionalism) की गुंजाइश: बिम्सटेक लचीले सहयोग की अनुमति देता है, जिसमें व्यापक ढांचे के भीतर लक्षित पहल के लिए छोटे देश समूह शामिल हैं।
    • उदाहरण के लिए: BBIN (बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल) मोटर वाहन समझौता, हालाँकि रुका हुआ है, लेकिन BIMSTEC के लचीले एजेंडे के तहत इसे आगे बढ़ाया जा सकता है।

BIMTEC के लिए आगे की राह 

  • संस्थागत सुदृढ़ीकरण: BIMSTEC को निर्णयों के समन्वय और कुशलतापूर्वक कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त संसाधनों के साथ एक स्थायी सचिवालय स्थापित करना चाहिए।
  • समयबद्ध लक्ष्य: प्रमुख पहलों के लिए स्पष्ट समय-सीमा निर्धारित करने से जवाबदेही और सतत राजनीतिक गति सुनिश्चित होगी।
  • नागरिक समाज की सहभागिता: BIMSTEC को जमीनी स्तर पर जागरूकता और नीति नवाचार उत्पन्न करने के लिए थिंक टैंक, मीडिया और शिक्षाविदों को शामिल करना चाहिए।
  • राजनीतिक इच्छाशक्ति: सदस्य राज्यों को क्षेत्रीय मुद्दों का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए तथा राष्ट्रवाद या बयानबाजी के बजाय विकास और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • भारत के नेतृत्व का लाभ उठाना: सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत को एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करना चाहिए, न कि प्रभुत्वशाली राष्ट्र के रूप में, तथा आम सहमति और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देना चाहिए।

क्षेत्र-संचालित दृष्टिकोण के अंतर्गत कनेक्टिविटी, सुरक्षा और आर्थिक एकीकरण को प्राथमिकता देते हुए BIMSTEC की प्रच्छन्न क्षमता का उपयोग किया जा सकता है। मजबूत संस्थागत तंत्र और गैर-राजनीतिक एजेंडों के समर्थन से BIMSTEC क्षेत्रीय समृद्धि के लिए एक मजबूत, कार्रवाई-उन्मुख प्लेटफॉर्म  के रूप में विकसित होगा।

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