Q. भारत के गृह मंत्रालय (MHA) के संकट-प्रतिक्रिया संस्थान से संरचनात्मक सुरक्षा सुधारों पर केंद्रित एक सक्रिय निकाय के रूप में विकास की जाँच कीजिए। इस बदलाव ने भारत में आंतरिक सुरक्षा और शासन को कैसे प्रभावित किया है? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत के गृह मंत्रालय (MHA) के एक संकट-प्रतिक्रिया संस्थान से संरचनात्मक सुरक्षा सुधारों पर केंद्रित एक सक्रिय निकाय के रूप में विकास का परीक्षण कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि इस परिवर्तन ने भारत में आंतरिक सुरक्षा और शासन को किस प्रकार प्रभावित किया है।
  • आगे की राह लिखिये।

उत्तर

आंतरिक सुरक्षा के लिए नोडल एजेंसी, गृह मंत्रालय (MHA) ऐतिहासिक रूप से उग्रवाद और सांप्रदायिक दंगों जैसे संकटों के प्रति प्रतिक्रियाशील रहा है। हालाँकि, हाल के वर्षों में, बढ़ते साइबर खतरों, सीमा पार आतंकवाद और सुशासन की माँगों से प्रेरित होकर, गृह मंत्रालय ने एक निवारक और सुधार-उन्मुख दृष्टिकोण अपनाया है, जो ICJS और आपराधिक कानून सुधारों जैसी पहलों में स्पष्ट है।

भारत के गृह मंत्रालय (MHA) का विकास

  • प्रतिक्रियात्मक से निवारक तक: गृह मंत्रालय ने अशांति के बाद के समाधान से लेकर संस्थागत और विधायी सुधारों के माध्यम से खतरों को सक्रिय रूप से रोकने तक का विकास किया है।
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2019 के बाद आतंकवाद का संरचनात्मक रूप से मुकाबला करने और आंतरिक खतरों को रोकने के लिए UAPA और NIA अधिनियमों में संशोधन सहित 27 से अधिक विधायी सुधार प्रस्तुत किए गए।
  • एकीकृत सुरक्षा ढाँचा: मंत्रालय अब सुरक्षा कार्यों को संघीय शासन के साथ एकीकृत करता है, जिससे एकीकृत और भविष्य के लिए तत्पर  आंतरिक सुरक्षा संरचना का निर्माण होता है।
    • उदाहरण के लिए: अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (CCTNS) की स्थापना ने 17,130 पुलिस स्टेशनों, अदालतों, जेलों और फोरेंसिक प्रयोगशालाओं को एकीकृत किया है, जिससे देशव्यापी समन्वय में सुधार हुआ है।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाने से गृह मंत्रालय का ध्यान मैनपॉवर-हैवी- पुलिसिंग से हटकर खुफिया-आधारित शासन की ओर स्थानांतरित हो गया है।
    • उदाहरण के लिए: टेक डेटाबेस के निर्माण और मल्टी-एजेंसी सेंटर (MAC) के पुनरुद्धार से “खुफिया जानकारी साझा करने का कर्तव्य” दृष्टिकोण के माध्यम से अंतर-एजेंसी समन्वय में सुधार हुआ है।
  • स्थिर नेतृत्व: प्रधानमंत्री मोदी के सतत नेतृत्व ने दीर्घकालिक योजना निर्माण को सक्षम बनाया है, जबकि पूर्ववर्ती सरकारों में अक्सर मंत्रिस्तरीय परिवर्तन होते रहते थे।
    • उदाहरण के लिए: नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में, मंत्रालय ने स्थिर नेतृत्व बनाए रखा, जिससे नीतिगत व्यवधानों के बिना भारतीय न्याय संहिता के अधिनियमन जैसे महत्त्वपूर्ण सुधार संभव हो सके।
  • बजट प्राथमिकताओं में बदलाव: बजट में यह वृद्धि, गृह मंत्रालय के आधुनिकीकरण और सुधार-संचालित शासन पर ध्यान केंद्रित करने वाले एक रणनीतिक निकाय में परिवर्तन को दर्शाती है।
    • उदाहरण के लिए: गृह मंत्रालय का बजट वर्ष 2019 में ₹1 लाख करोड़ से बढ़कर वर्ष 2025 में ₹ 2.33 लाख करोड़ हो गया जिससे प्रौद्योगिकी, फोरेंसिक और अर्धसैनिक बलों में निवेश संभव हो सका।

भारत में आंतरिक सुरक्षा और शासन पर प्रभाव

  • हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में कमी: संरचनात्मक सुधारों के परिणामस्वरूप कश्मीर, उत्तर-पूर्व और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हिंसा की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है।
    • उदाहरण के लिए: प्रमुख संघर्ष क्षेत्रों में हिंसा में 70% की कमी देखी गई; अनुच्छेद 370 के कमजोर होने के बाद से कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में भारी कमी आई है।
  • मजबूत कानूनी ढाँचा: अद्यतन आपराधिक कानूनों और आतंकवाद की परिभाषाओं ने कानून प्रवर्तन के लिए एक मजबूत और पूर्वानुमानित कानूनी वातावरण तैयार किया है।
    • उदाहरण के लिए: भारतीय दंड संहिता जैसे नए आपराधिक कोड और UAPA के तहत पुनर्परिभाषित आतंकवाद स्पष्ट कानूनी उपाय सुनिश्चित करते हैं और अपराधियों के लिए उपलब्ध खामियों को कम करते हैं।
  • पुलिस की कार्यकुशलता में वृद्धि: बेहतर बुनियादी ढाँचे और डेटा-संचालित पुलिसिंग के साथ, राज्य बल स्वतंत्र रूप से कानून और व्यवस्था को संभालने में अधिक सक्षम होते हैं।
    • उदाहरण के लिए: CCTNS और फोरेंसिक पृथक्करण का उपयोग करने वाले राज्य अब अधिक सटीक जाँच करते हैं, जिससे RAF या CRPF जैसे केंद्रीय बलों पर उनकी निर्भरता कम हो जाती है।
  • संघवाद को बढ़ावा: केंद्र-राज्य समन्वय को सुविधाजनक बनाने में गृह मंत्रालय की भूमिका ने सहकारी सुरक्षा तंत्र के माध्यम से संवेदनशील क्षेत्रों के शासन में सुधार किया है।
    • उदाहरण के लिए: अनुच्छेद 355 और 256 के प्रावधानों का उपयोग अब केवल हस्तक्षेप के लिए नहीं किया जाता है, बल्कि आंतरिक सुरक्षा को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में राज्यों का मार्गदर्शन करने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए भी किया जाता है।
  • बेहतर संकटकालीन तैयारी: गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली एजेंसियां, जैसे NCB और आपदा प्रबंधन इकाइयाँ, अब आपातकालीन प्रतिक्रिया के बजाय तत्परता और रोकथाम पर काम करती हैं।
    • उदाहरण के लिए: गृह मंत्रालय के भीतर आपदा प्रबंधन के एकीकरण ने संरचित, पूर्व-निवारक आपदा प्रोटोकॉल सुनिश्चित किया है, जो चक्रवात और महामारी प्रतिक्रियाओं में दिखाई देता है।

आगे की राह

  • साइबर सुरक्षा पर ध्यान: गृह मंत्रालय को साइबर प्रत्यास्थता में निवेश करना चाहिए, क्योंकि डिजिटल प्लेटफार्मों से खतरे तेजी से बढ़ रहे हैं, जो राष्ट्रीय अवसंरचना और नागरिकों को निशाना बना रहे हैं।
  • सामुदायिक पुलिसिंग मॉडल: जागरूकता, सतर्कता कार्यक्रमों और स्थानीय साझेदारी के माध्यम से सुरक्षा में जनता की भागीदारी को प्रोत्साहित करने से विश्वास का निर्माण हो सकता है और कट्टरपंथ को रोका जा सकता है।
  • खुफिया जानकारी साझाकरण का विकेंद्रीकरण: त्वरित प्रतिक्रिया के लिए खुफिया नेटवर्क को स्थानीयकृत किया जाना चाहिए, तथा जिला और शहर स्तर के प्रवर्तन निकायों को वास्तविक समय पर पहुंच प्रदान की जानी चाहिए।
  • केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को प्रशिक्षित और सुसज्जित करना: केन्द्रीय बलों के लिए निरंतर व्यावसायिक विकास, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और आधुनिक उपकरण परिचालन परिणामों में सुधार लाएंगे और तनाव को कम करेंगे।
  • समीक्षा तंत्र को संस्थागत बनाना: सभी गृह मंत्रालय योजनाओं और कानूनों के लिए आवधिक समीक्षा प्रणालियां स्थापित करनी चाहिए, ताकि समय पर अद्यतनीकरण सुनिश्चित किया जा सके और अकुशलताओं को समाप्त किया जा सके।

गृह मंत्रालय एक दूरदर्शी संस्था के रूप में विकसित हुआ है, जो निवारक ढाँचों, तकनीकी एकीकरण और संस्थागत समन्वय पर बल देता है। आने वाले वर्षों में प्रत्यास्थ आंतरिक सुरक्षा संरचना और उत्तरदायी शासन सुनिश्चित करने के लिए जमीनी स्तर पर खुफिया जानकारी, क्षमता निर्माण और अंतर-एजेंसी तालमेल को मजबूत करना महत्त्वपूर्ण होगा।

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