प्रश्न की मुख्य माँग
- बच्चों और किशोरों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर डिजिटल एडिक्शन के प्रभाव का परीक्षण कीजिए।
- इन प्रभावों को कम करने के लिए माता-पिता क्या उपाय कर सकते हैं?
- इन प्रभावों को कम करने के लिए सरकार द्वारा क्या उपाय किए जा सकते हैं?
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उत्तर
डिजिटल एडिक्शन एक बढ़ती हुई चिंता है क्योंकि अत्यधिक स्क्रीन टाइम मस्तिष्क के कार्य को प्रभावित करता है, नींद के पैटर्न को बाधित करता है और भावनात्मक कल्याण को प्रभावित करता है। बच्चे और किशोर व उनकी विकासशील संज्ञानात्मक क्षमताएँ इससे असुरक्षित हो गई हैं। इंटरैक्टिव कंटेंट, सोशल मीडिया और गेमिंग के उदय ने निर्भरता को बढ़ा दिया है, जिससे युवा व्यक्तियों में गंभीर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं।
बच्चों और किशोरों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर डिजिटल एडिक्शन का प्रभाव
- ध्यान अवधि में कमी: स्क्रीन के अत्यधिक संपर्क से बच्चों की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे उनके शैक्षणिक प्रदर्शन और संज्ञानात्मक कार्य पर असर पड़ता है।
- नींद संबंधी विकार: लंबे समय तक स्क्रीन का उपयोग, विशेष रूप से सोने से पहले, मेलाटोनिन स्त्रावण को बाधित करता है , जिससे अनिद्रा और थकान होती है।
- शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ: लंबे समय तक स्क्रीन के सामने बैठे रहने से मोटापा , खराब मुद्रा और आँखों में तनाव पैदा होता है, जिससे दृष्टि में समस्या और मस्कुलोस्केलेटल समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- उदाहरण के लिए: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि महामारी के पश्चात् अत्यधिक गैजेट उपयोग के कारण स्कूली बच्चों में निकट दृष्टि दोष में 15% की वृद्धि हुई।
- मानसिक स्वास्थ्य विकार: डिजिटल एडिक्शन चिंता, अवसाद और सामाजिक अलगाव को बढ़ाती है तथा वास्तविक दुनिया में सामाजिक संपर्क को कम करती है।
- उदाहरण के लिए: NIH के अनुसार, प्रतिदिन 5+ घंटे स्क्रीन पर बिताने वाले किशोरों में अवसाद का खतरा 70% अधिक होता है ।
- सामाजिक अलगाव: गैजेट के अत्यधिक उपयोग से बाहरी गतिविधियाँ कम हो जाती हैं, पारस्परिक कौशल कमजोर हो जाते हैं और भावनात्मक विनियमन में कठिनाई होती है।
इन प्रभावों को कम करने के लिए माता-पिता क्या उपाय कर सकते हैं
- स्क्रीन समय सीमा निर्धारित करना: माता-पिता को इस एडिक्शन को रोकने और स्वस्थ आदतों को प्रोत्साहित करने के लिए गैजेट के उपयोग पर डेली टाइम लिमिट लागू करनी चाहिए।
- बाह्य गतिविधियों को प्रोत्साहित करना: माता-पिता को बच्चों को स्क्रीन के अत्यधिक संपर्क से बचाने के लिए खेल, शारीरिक खेल और शौक को बढ़ावा देना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: जापान की स्कूल प्रणाली में प्रतिदिन बाहर खेलना अनिवार्य है, जिससे अन्य देशों की तुलना में बच्चों में मोटापा कम होता है।
- माता-पिता का पर्यवेक्षण और डिजिटल डिटॉक्स: नियमित “स्क्रीन-फ्री जोन” और टेक-फ्री फैमिली टाइम डिजिटल निर्भरता को रोक सकता है।
- उदाहरण के लिए: “जो डिवाइस डिनर रूल” का पालन करने वाले परिवारों ने बच्चों के ध्यान और संचार कौशल में सुधार की सूचना दी।
- मनोरंजन की बजाय शैक्षिक सामग्री: माता-पिता को बच्चों को निष्क्रिय मनोरंजन की बजाय उत्पादक डिजिटल सामग्री की ओर मार्गदर्शन करना चाहिए।
- पेशेवर सहायता लेना: यदि इसके लक्षण दिखाई दें, तो माता-पिता को डिजिटल एडिक्शन विशेषज्ञों से परामर्श लेना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: दक्षिण कोरिया ने पुनर्वास शिविर स्थापित किए, जिससे प्रतिभागियों के बीच डिजिटल निर्भरता कम हो गई।
इन प्रभावों को कम करने के लिए सरकार क्या उपाय कर सकती है
- स्कूलों में डिजिटल स्वास्थ्य शिक्षा: स्कूलों को छात्रों को गैजेट के संतुलित उपयोग के संबंध में शिक्षित करने के लिए स्क्रीन-टाइम जागरूकता कार्यक्रमों को एकीकृत करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: फिनलैंड के स्कूल पाठ्यक्रम में मीडिया साक्षरता कक्षाएँ शामिल हैं, जिससे छात्रों में स्क्रीन एडिक्शन के मामलों में कमी आई है।
- हानिकारक डिजिटल सामग्री पर सख्त नियम: सरकारों को आयु-उपयुक्त सामग्री कानून लागू करना चाहिए और एडिक्टिव गेमिंग पैटर्न को विनियमित करना चाहिए।
- राष्ट्रव्यापी जन जागरूकता अभियान: अभियानों में डिजिटल एडिक्शन के खतरों को उजागर किया जाना चाहिए तथा गैजेट के सावधानीपूर्वक उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
- आउटडोर गतिविधियों के लिए बुनियादी ढाँचा: सुरक्षित पार्क, खेल के मैदान और खेल सुविधाओं का विकास बच्चों को स्क्रीन पर निर्भरता कम करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- उदाहरण के लिए: निःशुल्क खेल कार्यक्रमों में नॉर्वे के निवेश से स्कूली बच्चों के बीच आउटडोर गतिविधियों में वृद्धि हुई।
- डिजिटल नशामुक्ति क्लीनिक और हेल्पलाइन: अत्यधिक स्क्रीन उपयोग से जूझ रहे बच्चों के लिए परामर्श केंद्र स्थापित करने से पेशेवर मार्गदर्शन मिल सकता है।
- उदाहरण के लिए: बंगलूरू में भारत का डिजिटल डिटॉक्स सेंटर ‘ बियॉन्ड स्क्रीन्स’ डिजिटल एडिक्शन से जूझ रहे व्यक्तियों की मदद करेगा।
अनियंत्रित डिजिटल एडिक्शन युवाओं के संज्ञानात्मक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य को खतरे में डालती है। इस संदर्भ में एक बहु-हितधारक दृष्टिकोण आवश्यक है। माता-पिता को डिजिटल अनुशासन लागू करना चाहिए, जबकि सरकार को स्क्रीन एक्सपोजर को विनियमित करना चाहिए, शिक्षा में डिजिटल साक्षरता को एकीकृत करना चाहिए और मानसिक स्वास्थ्य पहलों को मजबूत करना चाहिए। MANAS, पोषण अभियान और साइबर वेलनेस कार्यक्रमों का विस्तार एक स्वस्थ डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगा।
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