प्रश्न की मुख्य माँग
- मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्त्व का परीक्षण कीजिए।
- सहयोगात्मक अंतरिक्ष अन्वेषण में चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
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उत्तर
जैसे-जैसे अंतरिक्ष वैश्विक तकनीक और भू-राजनीति का एक प्रमुख क्षेत्र बनता जा रहा है, अंतरराष्ट्रीय साझेदारियाँ मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के आवश्यक स्तंभ बनकर उभरी हैं। भारत के गगनयान मिशन, जो ₹20,000 करोड़ के बजट वाला उसका पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम है, को विशेष रूप से नासा और Axiom स्पेस से महत्त्वपूर्ण सहयोगात्मक समर्थन मिला है, जो दर्शाता है कि कैसे रणनीतिक सहयोग तकनीकी तैयारी, चालक दल के प्रशिक्षण और लागत दक्षता को बढ़ाता है।
मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग का महत्त्व
- उन्नत प्रशिक्षण और कौशल विकास: विदेशी साझेदारियाँ अत्याधुनिक प्रणालियों और महत्त्वपूर्ण मिशन प्रोटोकॉल का अनुभव प्रदान करती हैं।
- उदाहरण: इसरो अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने Axiom स्पेस के साथ अपने 2 सप्ताह के ISS प्रवास के दौरान अंतरिक्ष यान प्रणालियों, आपातकालीन प्रोटोकॉल, माइक्रोग्रैविटी और अंतरिक्ष चिकित्सा में प्रशिक्षण प्राप्त किया ।
- विशिष्ट परिचालन अनुभव: सहयोग से मैनुअल संचालन, वायुमंडलीय पुनःप्रवेश और विसंगति प्रबंधन में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होता है।
- लागत-प्रभावी क्षमता निर्माण: विदेशों में प्रशिक्षण अक्सर स्वदेशी बुनियादी ढाँचे की तुलना में लागत का बोझ कम करता है।
- उदाहरण के लिए: इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने बताया कि Axiom के तहत प्रशिक्षण की लागत, इसरो द्वारा स्वदेशी स्तर पर प्रशिक्षण की तुलना में कम थी।
- मॉड्यूल प्रणालियों का वैश्विक अनुभव: अंतरिक्ष यात्री वैश्विक एजेंसियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले विभिन्न अंतरिक्ष स्टेशन मॉड्यूलों से परिचित होते हैं।
- चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक तत्परता तक पहुँच: विदेशी सहयोग से अंतरिक्ष चिकित्सा और उत्तरजीविता गुणों में गहन प्रशिक्षण संभव हो पाता है।
- वैश्विक क्षेत्र में विश्वसनीयता और आत्मविश्वास में वृद्धि: ऐसे संयुक्त मिशन ISRO की तत्परता को प्रमाणित करते हैं और वैश्विक अंतरिक्ष कूटनीति में भारत की छवि को मजबूत करते हैं।
- उदाहरण: नासा-Axiom के साथ गगनयान का सहयोग शीर्ष स्तरीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों के साथ तालमेल बिठाने की भारत की क्षमता को स्थापित करता है।
सहयोगात्मक अंतरिक्ष अन्वेषण में चुनौतियाँ
- अपारदर्शी संचार और सार्वजनिक सहभागिता: इसरो की सीमित पारदर्शिता सार्वजनिक समर्थन और रुचि को कमजोर करती है।
- उच्च वित्तीय लागत: प्रशिक्षण और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी बहुत अधिक महगा होता है।
- विदेशी अवसंरचना पर निर्भरता: बाहरी एजेंसियों पर निर्भरता से घरेलू स्तर पर क्षमता निर्माण में देरी हो सकती है।
- पूर्ण मिशन स्वायत्तता तक सीमित पहुँच: अंतरराष्ट्रीय मिशन कमांड सिस्टम जैसे महत्त्वपूर्ण पहलुओं तक पहुँच को प्रतिबंधित कर सकते हैं।
- सार्वजनिक संचार रणनीति का अभाव: अंतरिक्ष यात्रियों और उनकी यात्रा को प्रदर्शित करने में विफलता से सॉफ्ट पॉवर के अवसर चूक जाते हैं।
निष्कर्ष
नासा और Axiom स्पेस के साथ भारत की साझेदारी गगनयान मिशन की दिशा में एक रणनीतिक कदम है, जो प्रशिक्षण संबंधी कमियों, लागत और प्रशिक्षण समय को कम करने में मदद करेगी। इसका पूरा लाभ उठाने के लिए, भारत को पारदर्शी संचार, स्वदेशी क्षमता निर्माण और सॉफ्ट पॉवर पर ध्यान केंद्रित करना होगा। अपने प्रारंभिक अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण देते समय, वैश्विक सहयोग के लाभों को अधिकतम करने के लिए जन-संपर्क और घरेलू ढाँचे को मजबूत करना होगा।
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