Q. एक अधिक न्यायपूर्ण और मानवीय भविष्य को बढ़ावा देने में डॉ. बी.आर. अंबेडकर की विरासत की भूमिका की जाँच कीजिए। उनके विचारों को वर्तमान नीति-निर्माण प्रक्रियाओं में प्रभावी रूप से कैसे एकीकृत किया जा सकता है? (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • अधिक न्यायपूर्ण और मानवीय भविष्य को बढ़ावा देने में डॉ. बी.आर. अंबेडकर की विरासत की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
  • चर्चा करें कि उनके विचारों को वर्तमान नीति-निर्माण प्रक्रियाओं में प्रभावी ढंग से कैसे एकीकृत किया जा सकता है।

उत्तर

डॉ. बीआर अंबेडकर की विरासत न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांतों पर निर्मित समतावादी भारत के दृष्टिकोण में निहित है। संविधान के मुख्य वास्तुकार के रूप में, उनके विचार सामाजिक सुधारों को प्रेरित करते हैं, समावेशी नीति निर्माण का मार्गदर्शन करते हैं और सभी नागरिकों के लिए न्यायपूर्ण और मानवीय भविष्य को बढ़ावा देते हैं।

अधिक न्यायपूर्ण और मानवीय भविष्य को बढ़ावा देने में डॉ. बी.आर. अंबेडकर की विरासत की भूमिका

  • संवैधानिक नैतिकता और कानून का शासन: अंबेडकर ने न्याय को बनाए रखने के लिए संवैधानिक नैतिकता की आवश्यकता पर बल दिया। उनकी विरासत ने मौलिक अधिकारों और विधि के शासन के प्रति गहरा सम्मान पैदा किया, विशेषकर हाशिए पर स्थित समुदायों के लिए। 
    • उदाहरण: समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18) सार्वजनिक रोजगार और संसाधनों तक पहुँच में गैर-भेदभाव सुनिश्चित करता है।
  • अस्पृश्यता और जातिगत भेदभाव का उन्मूलन: अम्बेडकर की अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई ने संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत इसके उन्मूलन का मार्ग प्रशस्त किया जिससे भारत के कानूनी  ढाँचे को सामाजिक न्याय की दिशा में परिवर्तित किया गया। 
    • उदाहरण: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 दलितों को जाति-आधारित हिंसा से बचाता है।
  • शिक्षा के माध्यम से सशक्तिकरण: अंबेडकर शिक्षा को मुक्ति का साधन मानते थे। उनकी विरासत हाशिए पर स्थित समूहों के लिए समान शैक्षिक अवसरों को बढ़ावा देती है।
    • उदाहरण: SC छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति, उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे लाखों छात्रो को सहायता प्रदान करती है।
  • श्रम अधिकार और आर्थिक न्याय: अंबेडकर ने श्रम कल्याण की वकालत की तथा उचित वेतन, विनियमित वर्क ऑवर और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून पेश किए। 
    • उदाहरण: राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत (अनुच्छेद 39, 41, 42, 43), कार्य की न्यायसंगत स्थिति, समान वेतन और काम करने के अधिकार और सार्वजनिक सहायता पर बल देते हैं।
  • लैंगिक समानता और महिला अधिकार: अंबेडकर महिला सशक्तिकरण के अग्रदूत थे, उन्होंने विवाह, उत्तराधिकार और तलाक कानूनों में सुधार की वकालत की। 
    • उदाहरण: हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 2005, बेटियों को समान उत्तराधिकार अधिकार प्रदान करता है, जो हिंदू कोड बिल के लिए उनके प्रयास से प्रेरित था।
  • प्रतिनिधित्व और राजनीतिक समावेशन: अंबेडकर ने विधायी निकायों में आरक्षित सीटों के माध्यम से हाशिए पर स्थित समुदायों के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया।
    • उदाहरण: संविधान के अनुच्छेद 330 और अनुच्छेद 332 में लोक सभा और राज्य विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान है
  • कानून के माध्यम से सामाजिक सुधार: अंबेडकर का मानना था कि कानून का उपयोग सामाजिक परिवर्तन के साधन के रूप में किया जाना चाहिए ताकि सम्मान और समानता प्राप्त की जा सके। 
    • उदाहरण: नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 सार्वजनिक स्थानों पर भेदभाव के खिलाफ कानूनी सुरक्षा उपायों को बनाए रखता है ।

डॉ. बी.आर. अंबेडकर के विचारों को वर्तमान नीति-निर्माण प्रक्रियाओं में एकीकृत करना

  • सकारात्मक कार्रवाई कार्यक्रमों का पुनरुद्धार: गतिशील सामाजिक न्याय के बारे में अंबेडकर का दृष्टिकोण, आधुनिक सामाजिक-आर्थिक संकेतकों के आधार पर आरक्षण नीतियों को अद्यतन करने को प्रोत्साहित करती है। 
    • उदाहरण: सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना के डेटा से लक्षित लाभों के लिए वंचित समुदायों की पहचान करने में मदद मिल सकती है।
  • समावेशी डिजिटल शिक्षा सुधार: शैक्षिक समानता पर उनका जोर देना, उन नीतियों का मार्गदर्शन कर सकता है जो हाशिए पर स्थित छात्रों के लिए 
    • डिजिटल समावेशन सुनिश्चित करती हैं। उदाहरण: PM ई-विद्या पहल SC/ST शिक्षार्थियों के लिए डिजिटल विभाजन को कम करने हेतु ऑनलाइन शिक्षा और टीवी चैनल प्रदान करती है।
  • जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना: अंबेडकर द्वारा विकेंद्रीकृत शासन को समर्थन देना,  समावेशी निर्णयन और स्थानीय सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है। 
    • उदाहरण: PESA अधिनियम जनजातीय क्षेत्रों में ग्राम परिषदों को मजबूत करता है, जिससे समुदाय अपने मामलों का प्रबंधन स्वयं कर सकते हैं।
  • गिग इकॉनमी में श्रमिक कल्याण: आधुनिक नीतियों को अंबेडकर के श्रम अधिकार ढाँचे के अनुरूप गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को शामिल करने के लिए सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करना चाहिए। 
    • उदाहरण: सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 गिग श्रमिकों को औपचारिक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत लाता है।
  • शहरी आवास और गरिमापूर्ण जीवन: जीवन-दशाओं के संदर्भ में गरिमा से संबंधित अंबेडकर का दृष्टिकोण, समावेशी शहरी आवास और बुनियादी ढाँचे के विकास को आकार दे सकती है। 
    • उदाहरण: प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी SC/ST परिवारों सहित शहरी गरीबों को किफायती आवास प्रदान करती है।
  • डेटा-संचालित सामाजिक न्याय निगरानी: वे असमानता की पहचान करने और प्रगति को मापने में डेटा का उपयोग करके साक्ष्य-आधारित शासन में विश्वास करते थे। 
    • उदाहरण: SDG इंडिया इंडेक्स न्याय, समानता और गरीबी संकेतकों पर राज्यवार प्रगति को ट्रैक करता है।
  • त्वरित न्याय के लिए न्यायिक और कानूनी सुधार: अंबेडकर ने सुलभ और समय रहते न्याय की आवश्यकता पर बल दिया। नीतियों के अंतर्गत डिजिटलीकरण और लंबित मामलों को कम करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। 
    • उदाहरण: ई-कोर्ट परियोजना का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए कानूनी सेवाओं तक तेज और पारदर्शी पहुँच सुनिश्चित करना है।

डॉ. बी.आर. अंबेडकर का न्याय, समानता और सम्मान का दृष्टिकोण आधुनिक भारत के लिए एक शक्तिशाली खाका प्रदान करता है। समकालीन नीति निर्माण में उनके विचारों को एकीकृत करने से एक मानवीय और समावेशी समाज सुनिश्चित होता है, जहाँ हर नागरिक, चाहे वह किसी भी जाति या वर्ग का हो, समान अवसर, कानूनी सुरक्षा और सामाजिक सम्मान का आनंद लेता है।

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