Q. भारत में सतत शहरीकरण को प्राप्त करने में परिवहन की भूमिका का परीक्षण कीजिए। प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालिए और समावेशी तथा पर्यावरण की दृष्टि से सुदृढ़ शहरी गतिशीलता प्रणालियों के विकास के लिए उपाय सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत में संधारणीय शहरीकरण प्राप्त करने में परिवहन की भूमिका का परीक्षण कीजिये।
  • शहरी परिवहन प्रणालियों के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
  • समावेशी और पर्यावरण की दृष्टि से स्वस्थ शहरी गतिशीलता प्रणालियों के विकास के लिए उपाय सुझाइये।

उत्तर

भारत का तीव्र शहरीकरण, जिसके कारण वर्ष 2060 तक 60% से अधिक आबादी के शहरों में रहने की संभावना है और ये शहरी परिवहन प्रणालियों पर पर्याप्त दबाव डालेगा। शहरी केंद्रों के विस्तार में आर्थिक विकास में सहायता करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए सतत, समावेशी और कुशल गतिशीलता समाधान विकसित करना महत्त्वपूर्ण है।

संधारणीय शहरीकरण हासिल करने में परिवहन की भूमिका

  • शहरी उत्सर्जन और भीड़भाड़ को कम करना: जन परिवहन प्रणालियाँ निजी वाहनों के उपयोग को कम करती हैं, जिससे उत्सर्जन और यातायात भीड़भाड़ कम होती है अहमदाबाद के जनमार्ग BRTS, जो प्रतिदिन 1.4 लाख यात्रियों को ले जाता है  ने GHZ उत्सर्जन में 35% और यातायात से संबंधित मौतों में 65.7% की कमी की है।
  • गैर-मोटर चालित परिवहन (NMT) को बढ़ावा देना: पैदल चलने और साइकिल चलाने का बुनियादी ढाँचास्वच्छ हवा और बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य का समर्थन करता है। 
    • उदाहरण के लिए, अहमदाबाद और इंदौर में MYBYK बाइक-शेयरिंग नेटवर्क लास्ट माइल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देता है और वाहनों पर निर्भरता को कम कर रहा है।
  • मल्टीमॉडल एकीकरण में सुधार: मेट्रो, बस, फेरी और साइकिल का निर्बाध एकीकरण यात्रा दक्षता को बढ़ाता है और यात्रा के समय को कम करता है। 
    • उदाहरण के लिए, कोच्चि मेट्रो के साथ एकीकृत कोच्चि वाटर मेट्रो, प्रतिदिन 34,000 यात्रियों को सेवा प्रदान करती है जिससे द्वीप और तटीय क्षेत्रों की कनेक्टिविटी में सुधार होता है।
  • सार्वजनिक परिवहन बेड़े का विद्युतीकरण: इलेक्ट्रिक और CNG बसें शहरी वायु प्रदूषण को कम करती हैं और ऊर्जा दक्षता में सुधार करती हैं।
    • उदाहरण: पीएम ई-ड्राइव योजना का लक्ष्य उत्सर्जन में कटौती और शहरी वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए 14,000 ई-बसों और 1.1 लाख ई-रिक्शाओं को चलाना है।
  • पारगमन परियोजनाओं का अभिनव वित्तपोषण: शहर सतत गतिशीलता समाधानों को वित्तपोषित करने के लिए ग्रीन बॉन्ड और सार्वजनिक-निजी भागीदारी का उपयोग कर रहे हैं। 
    • उदाहरण: पिंपरी-चिंचवाड़ के 200 करोड़ रुपये के ग्रीन बांड, पांच गुना अधिक अभिदान प्राप्त हुए, हरित सेतु पैदल यात्री कॉरिडोर और अन्य कम उत्सर्जन परिवहन पहलों को वित्तपोषित करेंगे।

शहरी परिवहन प्रणालियों के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ

  • समावेशी पैदल यात्री बुनियादी ढाँचे का अभाव: अधिकांश भारतीय शहरों में फुटपाथ खराब हैं, जिससे पैदल चलने वालों और दिव्यांग उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा प्रभावित होती है। 
    • उदाहरण के लिए, बेंगलुरु में प्रमुख सड़कों के हर 100 मीटर पर केवल 17 cm फुटपाथ मौजूद है, जिसके कारण 2022 तक 800 से अधिक पैदल यात्री मौतें हुईं
  • वित्तपोषण संबंधी बाधाएं और PPP कार्यान्वयन में देरी: सार्वजनिक-निजी मॉडल में शहरी परिवहन परियोजनाओं को अक्सर वित्तीय तनाव और कार्यान्वयन संबंधी बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
  • असंबद्ध एवं खंडित परिवहन नेटवर्क: मॉडल एकीकरण का अभाव अकुशलता और लम्बी यात्रा का कारण बनता है।
  • स्वच्छ ऊर्जा परिवहन को अपनाने में धीमी गति: शहरों को EV में बदलाव करने में तकनीकी, वित्तीय और विनियामक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। 
    • उदाहरण के लिए, हालांकि FAME II का लक्ष्य 7,000 ई-बसों का समर्थन करना है, लेकिन कई टियर 2 शहरों में अभी भी सार्वजनिक बेड़े में डीजल बसों का उपयोग होता है।
  • परिवहन योजना में नीति-कार्यान्वयन अंतराल: शहरी नियोजन में अक्सर सार्वजनिक या हरित परिवहन निवेश की तुलना में सड़क विस्तार को प्राथमिकता दी जाती है। 
    • उदाहरण के लिए, एक अच्छी रेटिंग वाली BRT प्रणाली के बावजूद, पुणे अपने परिवहन बजट का आधा से भी कम हिस्सा सतत गतिशीलता मोड के लिए आवंटित करता है, जिससे प्रभाव सीमित हो जाता है।

समावेशी और पर्यावरण की दृष्टि से सुदृढ़ शहरी गतिशीलता प्रणालियों के लिए उपाय

समावेशी गतिशीलता समाधान

  • वंचित उपयोगकर्ताओं के लिए किराया सब्सिडी: किफायती किराया महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और निम्न आय वर्ग के लिए पहुँच  सुनिश्चित करता है। 
    • उदाहरण: वर्ष 2023 में शुरू की गई कर्नाटक की ‘शक्ति योजना’ महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा की सुविधा प्रदान करती है जिससे दैनिक सवारियों की संख्या 85 लाख से बढ़कर 1 करोड़ हो जाएगी।
  • सार्वजनिक अवसंरचना में सार्वभौमिक डिजाइन: शहरी सड़कों और सुविधाओं को विकलांगों, बुजुर्गों और बच्चों की जरूरतों को पूरा करना चाहिए। पिंपरी-चिंचवाड़ की स्वस्थ सड़कें पहल के तहत राष्ट्रीय NMT डिजाइन मानकों के तहत 90 किलोमीटर सुरक्षित पैदल यात्री और साइकिल लेन विकसित की गई ।
  • समुदाय-नेतृत्व वाले साझा गतिशीलता मॉडल को बढ़ावा देना: किफायती, स्वच्छ लास्ट माइल विकल्पों के माध्यम से समुदायों को सशक्त बनाना समावेशिता को बढ़ावा देता है। 
    • उदाहरण: सरकार द्वारा समर्थित बेंगलुरु के ई-रिक्शा पायलट ने ट्रांसजेंडर समुदाय को रोजगार प्रदान किया जिससे सामाजिक समावेशन को बढ़ावा मिला।

पर्यावरण की दृष्टि से सुदृढ़ परिवहन प्रणालियाँ

  • शहरी सार्वजनिक परिवहन का विद्युतीकरण: ई-बसों और CNG पर स्विच करने से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो जाती है और वायु गुणवत्ता में सुधार होता है। 
    • उदाहरण: नागपुर के EV बस बेड़े ने वास्तविक समय फ्लैश चार्जिंग के साथ GHG उत्सर्जन और ईंधन लागत में काफी कमी की
  • बस रैपिड ट्रांजिट (BRT) सिस्टम का विस्तार: समर्पित लेन दक्षता, विश्वसनीयता और सवारियों की संख्या बढ़ाती है। 
    • उदाहरण: विश्व बैंक और GEF द्वारा वित्त पोषित हुबली-धारवाड़ BRTS प्रतिदिन 1 लाख से अधिक यात्रियों को सेवा प्रदान करता है तथा स्वच्छ और तीव्र कनेक्टिविटी प्रदान करता है।
  • हरित और जलवायु वित्त जुटाना: शहरों को नवीन वित्तीय साधनों के माध्यम से पर्यावरण-गतिशीलता के लिए निरंतर वित्त पोषण की आवश्यकता है। 
    • उदाहरण के लिए, इंदौर नगर निगम ने वर्ष 2023 में भारत का पहला खुदरा हरित नगरपालिका बांड जारी किया, जिसका उद्देश्य 60-MLD सौर ऊर्जा से चलने वाले सीवेज संयंत्र को वित्तपोषित करना है, जो शहरी सेवाओं के लिए स्केलेबल जलवायु-वित्तपोषण को दर्शाता है।

जैसे-जैसे भारत वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है, शहरीकरण का भविष्य समावेशी, प्रत्यास्थ और जलवायु-स्मार्ट गतिशीलता प्रणालियों के निर्माण पर निर्भर करता है। मल्टी-मॉडल परिवहन, जीवन-चक्र-आधारित निवेश योजना और तकनीकी नवाचार को अपनाकर  भारत अपने शहरों को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए उपयुक्त उत्पादक, सुलभ और पर्यावरण की दृष्टि से संधारणीय शहरी इंजनों में बदल सकता है।

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