Explore Our Affordable Courses

Click Here

Q. भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कारणों एवं अपर्याप्त सुरक्षा उपायों के प्रभाव की जाँच कीजिये। दुर्घटनाओं को कम करने एवं सुरक्षित गतिशीलता सुनिश्चित करने के लिए भारत सड़क सुरक्षा संबंधी सर्वोत्तम प्रथाओं से क्या सीख सकता है? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कारणों की जाँच कीजिए।
  • सड़क दुर्घटनाओं पर अपर्याप्त सुरक्षा उपायों के प्रभाव की जाँच कीजिए।
  • मृत्यु दर को कम करने एवं सुरक्षित गतिशीलता सुनिश्चित करने के लिए सड़क सुरक्षा की सर्वोत्तम प्रथाओं से भारत को सीखने का सुझाव दीजिए।

 

उत्तर:

भारत में सड़क दुर्घटनाएँ एक गंभीर चिंता का विषय हैं, जिनमें प्रतिवर्ष लगभग 150,000 लोगों की मृत्यु हो जाती है। सड़कों पर वाहनों की लगातार बढ़ती संख्या के साथ, भारत को सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। तेज गति, खराब सड़क की स्थिति एवं प्रवर्तन की कमी जैसे कारक इन दुर्घटनाओं में योगदान करते हैं। इन मुद्दों के समाधान के लिए मजबूत नीतिगत उपायों तथा सड़क सुरक्षा में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने की आवश्यकता है।

भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कारण

  • तेज गति एवं लापरवाही से गाड़ी चलाना: भारत में सड़क दुर्घटनाओं के लिए अत्यधिक गति तथा लापरवाही से गाड़ी चलाना प्रमुख कारण है। 
    • उदाहरण के लिए: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के अनुसार, वर्ष 2022 में 70% घातक दुर्घटनाओं का कारण तेज गति थी, जिससे प्रतिक्रिया समय कम हो जाता है तथा दुर्घटनाओं की गंभीरता बढ़ जाती है।
  • नशे में गाड़ी चलाना: शराब के नशे में गाड़ी चलाने से मष्तिष्क की निर्णयन प्रक्रिया एवं समन्वय खराब हो जाता है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना काफी बढ़ जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने बताया कि वर्ष 2021 में 3,314 मौतें सीधे तौर पर नशे में गाड़ी चलाने संबंधित थीं, जिससे यह सड़क पर होने वाली मौतों का लगातार कारण बन गया।
  • यातायात नियमों का पालन न करना: यातायात संकेतों की अनदेखी करना, सीट बेल्ट का उपयोग न करना एवं सड़क लेन संबंधी अनुशासन का पालन न करना दुर्घटनाओं के सामान्य कारण हैं। 
    • उदाहरण के लिए: सड़क सुरक्षा पर वर्ष 2024 की ‘भारत स्थिति रिपोर्ट’ इस बात पर प्रकाश डालती है कि केवल 45% दोपहिया चालक हेलमेट पहनते हैं, जो मोटरसाइकिल चालकों के बीच उच्च मृत्यु दर में योगदान देता है।
  • सड़कों की खराब अवसंरचना: सड़कों का अपर्याप्त रखरखाव, गड्ढे एवं खराब पहचानसूचक बोर्ड दुर्घटनाओं के महत्वपूर्ण कारण हैं, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में। 
    • उदाहरण के लिए: विश्व बैंक ने कहा कि भारत में ग्रामीण सड़कों पर खराब बुनियादी ढाँचे के कारण दुर्घटनाओं की घटनाएँ अधिक होती हैं, जिनमें से अधिकांश दुर्घटनाएँ खराब रखरखाव वाली सड़कों पर होती हैं।
  • वाहनों में ओवरलोडिंग: ट्रकों एवं यात्री वाहनों में ओवरलोडिंग से वाहन की स्थिरता प्रभावित होती है तथा दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है।

सड़क दुर्घटनाओं पर अपर्याप्त सुरक्षा उपायों का प्रभाव

  • अपर्याप्त यातायात प्रवर्तन: यातायात नियमों के असंगत प्रवर्तन से तेज गति एवं लापरवाही से वाहन चलाने जैसी असुरक्षित ड्राइविंग प्रथाओं को बढ़ावा मिलता है। 
    • उदाहरण के लिए: MoRTH के अनुसार, उत्तर प्रदेश जैसे कम प्रवर्तन स्तर वाले राज्यों में सख्त प्रवर्तन वाले राज्यों की तुलना में दुर्घटना दर अधिक है।
  • सड़क चिह्नों एवं पहचानसूचक बोर्डों का अभाव: खराब चिह्नित सड़कें एवं अपर्याप्त पहचानसूचक बोर्ड भ्रम उत्पन्न करते हैं तथा दुर्घटना के जोखिम को बढ़ाते हैं, विशेषकर रात में। 
    • उदाहरण के लिए: भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने पाया कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर कई दुर्घटनाएँ अपर्याप्त पहचानसूचक बोर्डों एवं खराब सड़क चिह्नों के कारण हुईं।
  • हेलमेट का उपयोग न करना: दोपहिया सवारों के बीच हेलमेट के उपयोग का कम अनुपालन एक गंभीर सुरक्षा चूक है।
  • राजमार्ग ऑडिट का अभाव: नियमित राजमार्ग ऑडिट के अभाव के परिणामस्वरूप ऐसे मुद्दे सामने नहीं आते जिनका निदान किया जा सकता था।
  • अपर्याप्त आपातकालीन प्रतिक्रिया सेवाएँ: किसी दुर्घटना के बाद ‘गोल्डन ऑवर’ के दौरान समय पर आघात संबंधी देखभाल की कमी से मृत्यु दर बढ़ जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अनुसार, भारत में सड़क दुर्घटना के 60% पीड़ितों को देर से चिकित्सा देखभाल मिलने के कारण मृत्यु हो जाती हैं, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ आघात देखभाल सुविधाओं की कमी है।

वैश्विक सड़क सुरक्षा सर्वोत्तम प्रथाओं से भारत के लिए सीख

  • विजन जीरो दृष्टिकोण को अपनाना: स्वीडन की ‘विजन जीरो नीति’ का उद्देश्य सड़क डिजाइन में सुरक्षा को प्राथमिकता देकर सड़क मृत्यु दर को शून्य करना है।
    • उदाहरण के लिए: भारत समान सिद्धांतों को अपना सकता है, जिसमें सुरक्षित सड़क बुनियादी ढाँचे एवं कमजोर सड़क उपयोगकर्ता सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है, जिसकी शुरुआत तमिलनाडु जैसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में पायलट परियोजनाओं से की जा सकती है।
  • हेलमेट कानूनों का सख्त कार्यान्वयन: हेलमेट कानूनों का सख्त कार्यान्वयन दुर्घटनाओं में सिर की चोट के जोखिम को कम करके जीवन बचाता है। यह सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देता है एवं जिम्मेदार ड्राइविंग की संस्कृति को बढ़ावा देता है।
    • उदाहरण के लिए: वियतनाम जैसे देशों ने लगभग 100% अनुपालन के साथ सख्त हेलमेट कानून लागू किए हैं।
  • व्यापक राजमार्ग सुरक्षा ऑडिट: जर्मनी जैसे देशों में नियमित राजमार्ग ऑडिट एक प्रमुख विशेषता है, जहाँ सड़क सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य है।
    • उदाहरण के लिए: भारत सड़क की गुणवत्ता और सुरक्षा में सुधार के लिए नियमित निगरानी एवं रखरखाव सुनिश्चित करते हुए, राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए अनिवार्य सुरक्षा ऑडिट अपना सकता है।
  • ट्रॉमा देखभाल सेवाओं को मजबूत करना: निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं एवं राज्य सरकारों के साथ साझेदारी के माध्यम से ट्रॉमा देखभाल इकाइयाँ दुर्घटना प्रतिक्रिया समय को बढ़ा सकती हैं तथा त्वरित चिकित्सा प्रतिक्रिया सुनिश्चित कर सकती हैं, जिससे दुर्घटना में होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है।
    • उदाहरण के लिए: राजमार्गों पर ऑस्ट्रेलिया के ट्रॉमा केयर मॉडल का अनुकरण किया जा सकता है।
  • जन जागरूकता अभियानों को बढ़ावा देना: न्यूजीलैंड जैसे देश आम जनता को सड़क सुरक्षा के बारे में शिक्षित एवं सूचित करने के उद्देश्य से राष्ट्रव्यापी जन जागरूकता अभियान चलाते हैं।
    • उदाहरण के लिए: भारत ड्राइवरों एवं पैदल यात्रियों को सुरक्षित प्रथाओं के बारे में शिक्षित करने, सड़क सुरक्षा को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाने के लिए सड़क सुरक्षा जैसे राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू कर सकता है।

भारत का सड़क सुरक्षा परिदृश्य तत्काल सुधारों की माँग करता है। अनिवार्य राजमार्ग ऑडिट एवं सार्वजनिक सुरक्षा अभियान जैसी वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखने से सड़क पर होने वाली मौतों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र कार्रवाई दशक द्वारा निर्धारित वर्ष 2030 तक यातायात से होने वाली मौतों को आधा करने का लक्ष्य मजबूत प्रवर्तन, बेहतर बुनियादी ढाँचे तथा सार्वजनिक जागरूकता पर ध्यान देने के साथ प्राप्त किया जा सकता है।

 

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Download October 2024 Current Affairs.   Srijan 2025 Program (Prelims+Mains) !     Current Affairs Plus By Sumit Sir   UPSC Prelims2025 Test Series.    IDMP – Self Study Program 2025.

 

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Download October 2024 Current Affairs.   Srijan 2025 Program (Prelims+Mains) !     Current Affairs Plus By Sumit Sir   UPSC Prelims2025 Test Series.    IDMP – Self Study Program 2025.

 

Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.