Explore Our Affordable Courses

Click Here

Q. वर्ष 2047 की ओर बढ़ते हुए भारतीय कृषि क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों की जाँच कीजिये। इन चुनौतियों से निपटने में वर्तमान सरकारी पहलों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करते हुए सतत कृषि विकास के लिए उपाय सुझाएँ। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • वर्ष 2047 की ओर बढ़ते हुए भारतीय कृषि के समक्ष आने वाली चुनौतियों का परीक्षण कीजिए।
  • इन चुनौतियों से निपटने में वर्तमान सरकारी पहलों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिए।
  • सतत कृषि विकास के लिए उपाय सुझाएँ।

 

उत्तर:

वर्ष 2047 तक उत्पादकता को बढ़ाकर और पर्यावरणीय संधारणीयता सुनिश्चित करके भारतीय कृषि क्षेत्र में सतत विकास हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के आँकड़ों के अनुसार, भारत का 45.76% कार्यबल, कृषि क्षेत्र में संलग्न हैं और सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान 14-15% हैइस तरह से खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए कृषि क्षेत्र महत्त्वपूर्ण हो जाता है। रणनीतियों में जलवायु परिवर्तन और संसाधन बाधाओं को दूर करने के लिए संधारणीय कृषि पद्धतियों को अपनाना और बुनियादी ढाँचे में सुधार करना शामिल है।

वर्ष 2047 तक भारतीय कृषि के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ

  • जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण क्षरण: भारतीय कृषि को अप्रत्याशित और चरम मौसम पैटर्न का सामना करना पड़ रहा है, जिससे फसल की पैदावार एवं खाद्य सुरक्षा प्रभावित हो रही है। जलवायु परिवर्तन इन मुद्दों को और बढ़ा देता है जिसके लिए तत्काल अनुकूलन रणनीतियों की आवश्यकता होती है।
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 1901-2018 के दौरान भारत में औसत तापमान लगभग 0.7˚C बढ़ गया है, जिससे फसल उत्पादकता और कृषि आय प्रभावित हो रही है।
  • जल की कमी और सिंचाई संबंधी चुनौतियाँ: भारत में कृषि, मानसूनी वर्षा पर बहुत ज्यादा निर्भर है, 60% खेती वाले क्षेत्र इस पर निर्भर हैं। अत्यधिक निकासी और अकुशल सिंचाई पद्धतियों के कारण जल की कमी, संधारणीय कृषि विकास में बाधा डालती है
    •  उदाहरण के लिए: केंद्रीय भूजल बोर्ड (2017) के अनुसार, भारत के लगभग 256 जिलों में भूजल संसाधनों का अत्यधिक दोहन किया गया है, जिससे कृषि गतिविधियाँ प्रभावित हो रही हैं।
  • विखंडित भूमि जोत: जनसंख्या वृद्धि और उत्तराधिकार कानूनों के कारण भारत में भूमि जोत का औसत आकार घट रहा है, जिससे ‘इकोनॉमी ऑफ स्केल’ कम हो रही है और मशीनीकरण एवं आधुनिक कृषि पद्धतियों में चुनौतियाँ आ रही हैं।
    • उदाहरण के लिए: कृषि जनगणना 2015-16 में बताया गया है कि भारत में 86.1% किसान छोटे और लघु किसान हैं जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है
  • अपर्याप्त अवसंरचना और बाजार तक पहुँच: भंडारण सुविधाओं, कोल्ड चेन और परिवहन सहित अन्य खराब बुनियादी ढाँचे के कारण फसल कटाई के बाद काफी नुकसान होता है और किसानों की बाजारों तक पहुँच सीमित हो जाती है , जिससे उनकी आय की संभावना कम हो जाती है।
    • उदाहरण के लिए: खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के वर्ष 2022 के अध्ययन के अनुसार, भारत में फसल कटाई के बाद होने वाली वार्षिक हानि लगभग ₹1,52,790 करोड़ है।
  • प्रौद्योगिकी अपनाने और विस्तार सेवाओं का अभाव: किसानों की आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकियों और प्रभावी विस्तार सेवाओं तक पहुँच सीमित है, जिससे उत्पादकता और स्थिरता में बाधा आ रही है

वर्तमान सरकारी पहलों की प्रभावशीलता

  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY): जल उपयोग दक्षता में सुधार और सिंचाई कवरेज का विस्तार करने के उद्देश्य से, PMKSY ने प्रगति की है परंतु अभी भी कार्यान्वयन और सभी किसानों तक प्रभावी रूप से पहुँच सुनिश्चित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
    • उदाहरण के लिए: कृषि मंत्रालय के अनुसार, PMKSY ने 78 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्रों तक सिंचाई का विस्तार किया है , फिर भी कार्यान्वयन अंतराल के कारण कई क्षेत्र अभी भी जल की कमी की समस्या से ग्रसित हैं।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: यह योजना किसानों को बेहतर पोषक तत्व प्रबंधन के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करती है लेकिन अनुवर्ती कार्रवाई और समर्थन की कमी के कारण इसे अपनाने की दरें और फसल की पैदावार पर प्रभाव, असंगत रहा है।
    • उदाहरण के लिए: 23 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए हैं, लेकिन नीति आयोग के अनुसार, केवल 11% किसानों ने अनुशंसित प्रथाओं को अपनाया है।
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): इस फसल बीमा योजना का उद्देश्य किसानों को प्रतिकूल मौसम के कारण होने वाले नुकसान से बचाना है, लेकिन इसमें देरी से क्लेम सेटलमेंट और अपर्याप्त कवरेज जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। 
    • उदाहरण के लिए: PMFBY ने ₹1.45 लाख करोड़ से अधिक के क्लेम का निपटान किया है , फिर भी NABARD की रिपोर्ट में भुगतान में देरी को उजागर किया गया है, जिससे किसानों का विश्वास प्रभावित हो रहा है।
  • राष्ट्रीय कृषि बाजार (eNAM): eNAM का उद्देश्य बेहतर मूल्य प्राप्ति के लिए बाजारों को एकीकृत करना है परंतु अपर्याप्त डिजिटल अवसंरचना और कुछ क्षेत्रों में किसानों की कम भागीदारी के कारण इसका प्रभाव सीमित होता जा रहा है।
    • उदाहरण के लिए: कृषि मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, eNAM ने वर्ष 2023 तक 1,361 मंडियों को एकीकृत किया है, परंतु इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से भारत की कुल कृषि उपज के केवल 5% उत्पादन का ही व्यापार किया जाता है।
  • किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना: KCC का उद्देश्य किसानों को उनकी आवश्यकताओं के लिए समय पर ऋण उपलब्ध कराना है, परंतु इसमें उच्च ब्याज दर, सख्त पात्रता मानदंड और लघु किसानों के बीच अपर्याप्त पहुँच जैसी चुनौतियाँ हैं
    • उदाहरण के लिए: RBI के आँकड़ों के अनुसार, 3 करोड़ से अधिक किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए हैं, फिर भी केवल 50% लघु और सीमांत किसानों के पास ही औपचारिक ऋण तक पहुँच है।

संधारणीय कृषि विकास के उपाय

  • जलवायु-अनुकूल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना: अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से सूखा-प्रतिरोधी और बाढ़- सहिष्णु फसल किस्मों का विकास, कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है।
    • उदाहरण के लिए: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने 300 से अधिक जलवायु-अनुकूल फसल किस्में विकसित की हैं जैसे कि DRR धान 42 (सूखा-प्रतिरोधी चावल किस्म) जबकि पूसा 1121 (ऊष्मा-सहिष्णु बासमती चावल की किस्म)आदि।
  • जल प्रबंधन और सिंचाई दक्षता में वृद्धि: ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई जैसी सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों का विस्तार और वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देने से जल की बर्बादी कम हो सकती है और जल उपयोग दक्षता में सुधार हो सकता है।
    • उदाहरण के लिए: प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देती है जिससे महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में जल का उपयोग 50-60% तक कम हो गया है।
  • ग्रामीण बुनियादी ढाँचे और बाजार तक पहुँच को मजबूत करना: ग्रामीण बुनियादी ढाँचे, जैसे कि सड़कें, भंडारण सुविधाएं और कोल्ड चेन में निवेश करने से फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है और किसानों की बाजारों तक पहुँच में सुधार किया जा सकता है।
    • उदाहरण के लिए: ग्रामीण कृषि बाजार योजना (ग्राम) का उद्देश्य बाजार पहुँच बढ़ाने और लेनदेन लागत कम करने के लिए देश भर में ग्रामीण हाटों में बुनियादी ढाँचे और नागरिक सुविधाओं में सुधार करना है।
  • जैविक और संधारणीय कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना: जैविक कृषि, कृषि वानिकी और एकीकृत कीट प्रबंधन को प्रोत्साहित करने से मृदा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है , रसायनों का उपयोग कम हो सकता है और संधारणीयता को बढ़ावा मिल सकता है
    • उदाहरण के लिए: परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) जैविक कृषि को बढ़ावा देती है।
  • कृषि अनुसंधान और विस्तार सेवाओं को बढ़ावा देना: कृषि अनुसंधान और विस्तार सेवाओं को मजबूत करने से किसानों के बीच ज्ञान, नवाचार और सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रसार हो सकता है, जिससे उत्पादकता और संधारणीयता बढ़ सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: ICAR के नेतृत्व में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (NARS) में 100 से अधिक अनुसंधान संस्थान हैं, जो नवीन कृषि प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए समर्पित हैं।

वर्ष 2047 तक , भारत का कृषि परिदृश्य संधारणीय प्रथाओं, तकनीकी प्रगति और सशक्त नीतियों के माध्यम से बदल सकता है। इसके लिए जलवायु परिवर्तन, जल की कमी और बाजार तक पहुँच जैसी चुनौतियों का समाधान करना अति महत्त्वपूर्ण होगा। वर्तमान पहलों और अभिनव उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के साथ भारत खाद्य सुरक्षा प्राप्त कर सकता है, किसानों की आय बढ़ा सकता है और सतत विकास सुनिश्चित कर सकता है, जिससे वह कृषि में वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में अपनी भूमिका सुनिश्चित कर सकता है।

 

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

 Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023.   Udaan-Prelims Wallah ( Static ) booklets 2024 released both in english and hindi : Download from Here!     Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF  Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing  , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz ,  4) PDF Downloads  UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

 Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023.   Udaan-Prelims Wallah ( Static ) booklets 2024 released both in english and hindi : Download from Here!     Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF  Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing  , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz ,  4) PDF Downloads  UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.