Q. भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) के विकास की जाँच कीजिए। LoC से जुड़े प्रमुख मुद्दे क्या हैं, और इस सीमा पर तनाव को प्रबंधित करने के लिए क्या उपाय किए गए हैं? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

● भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LOC) के विकास का परीक्षण कीजिए।

● नियंत्रण रेखा से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर चर्चा कीजिए।

● नियंत्रण रेखा पर तनाव को प्रबंधित करने के लिए उठाए गए कदमों पर चर्चा कीजिए।

उत्तर

नियंत्रण रेखा (LOC) 740 किलोमीटर लंबी सैन्य सीमा है, जो भारतीय प्रशासित जम्मू और कश्मीर तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को विभाजित करती है, जिसे शिमला समझौते (वर्ष 1972) के तहत वर्ष 1971 के युद्ध के बाद बनाया गया था। यह एक संघर्ष-ग्रस्त सीमा बनी हुई है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच अनसुलझे क्षेत्रीय और राजनीतिक विवादों का प्रतीक है।

भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LOC) का विकास

  • वर्ष 1947-48 के युद्ध के बाद उत्पत्ति: प्रथम भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा सैन्य अभियानों को रोकने के लिए मध्यस्थता करके नियंत्रण रेखा की उत्पत्ति, युद्ध विराम रेखा के रूप में हुई।
  • शिमला समझौता और नाम बदलना (वर्ष 1972): वर्ष 1971 के युद्ध के बाद, शिमला समझौते ने युद्धविराम रेखा को नियंत्रण रेखा के रूप में पुनः परिभाषित किया तथा द्विपक्षीय समाधान की आवश्यकता पर बल दिया।
  • कारगिल युद्ध और नियंत्रण रेखा का उल्लंघन (वर्ष 1999): पाकिस्तान समर्थित सेना ने नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय भूमि पर कब्ज़ा कर लिया, जिससे कारगिल में संघर्ष हुआ। 
    • उदाहरण के लिए: ऑपरेशन विजय (वर्ष 1999) के दौरान भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा तक नियंत्रण स्थापित करते हुए महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर फिर से कब्जा  कर लिया।
  • समय-समय पर युद्ध विराम समझौते: सैन्य गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए कई युद्ध विराम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, लेकिन बढ़ते तनाव के बीच अक्सर उनका उल्लंघन किया गया। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2003 के युद्ध विराम समझौते के परिणामस्वरूप शुरू में सीमा पार से गोलीबारी की घटना कम हुई, हालाँकि वर्ष 2008 के बाद उल्लंघन बढ़ गए।
  • युद्ध विराम की पुनः पुष्टि (वर्ष 2021): फरवरी 2021 में युद्ध विराम के लिए नए सिरे से प्रतिबद्धता से हिंसा में उल्लेखनीय कमी आई।

नियंत्रण रेखा से जुड़े प्रमुख मुद्दे

  • निरंतर संघर्ष विराम उल्लंघन: सीमा पार से लगातार होने वाली गोलाबारी से सैनिक  हताहत होते हैं और सीमावर्ती गांवों में नागरिक विस्थापित होते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने वर्ष 2020 में पाकिस्तान द्वारा 5,100 से अधिक उल्लंघनों की सूचना दी, जो कि किसी एक वर्ष में अब तक का सबसे अधिक है, MoD के अनुसार।
  • आतंकवादी घुसपैठ: असुरक्षित नियंत्रण रेखा भारतीय क्षेत्र में आतंकवादी घुसपैठ को सक्षम बनाती है, जिससे आंतरिक सुरक्षा अस्थिर होती है।
  • नागरिक आघात और विस्थापन: जारी शत्रुता दैनिक जीवन को बाधित करती है, संपत्ति को नष्ट करती है, और स्थानीय आबादी को आघात पहुंचाती है।
  • शांति वार्ता का पटरी से उतरना: नियंत्रण रेखा पर नियमित तनाव, द्विपक्षीय कूटनीति और विश्वास-निर्माण प्रयासों में बाधा डालता है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2016 के उरी हमले और उसके बाद की सर्जिकल स्ट्राइक ने राष्ट्रों के बीच सभी औपचारिक वार्ता चैनलों को बाधित कर दिया।
  • पर्यावरण क्षरण: नियंत्रण रेखा के पास सैन्यीकरण केपरिणामस्वरूप, वनों की कटाई और अपशिष्ट संवेदनशील पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करते हैं।
    • उदाहरण के लिए: MoEFCC ने सेना की तैनाती और निर्माण के कारण पीर पंजाल क्षेत्र में बढ़ते इकोलॉजिकल स्ट्रेस की सूचना दी।

नियंत्रण रेखा पर तनाव प्रबंधन के लिए उठाए गए कदम

  • युद्ध विराम समझौते: भारत और पाकिस्तान समय-समय पर शत्रुता को रोकने के लिए सहमत हुए हैं, विशेषकर उच्च तनाव अवधि के दौरान। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2003 के युद्ध विराम ने नियंत्रण रेखा को स्थिर किया और उरी जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में अस्थायी शांति स्थापित की।
  • हॉटलाइन और सैन्य वार्ता: सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच संचार चैनल तनाव को बढ़ने से रोकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 1990 से चालू DGMO हॉटलाइन ने वर्ष 2021 के युद्धविराम को लागू करने में महत्त्वूर्ण भूमिका निभाई।
  • क्रॉस-LOC विश्वास-निर्माण उपाय: बस सेवा और व्यापार आदान-प्रदान जैसी पहल पीपुल-टू-पीपुल को बढ़ावा देती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2005 में शुरू की गई श्रीनगर -मुजफ्फराबाद बस सेवा ने बिछड़े परिवारों को फिर से जोड़ा।
  • नागरिक सुरक्षा अवसंरचना: भारत ने निवासियों की सुरक्षा के लिए सामुदायिक बंकर, सीमा बाड़ और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली का निर्माण किया है।
    • उदाहरण के लिए: गृह मंत्रालय ने वर्ष 2018 से जम्मू और कश्मीर में 14,460 सामुदायिक और व्यक्तिगत बंकरों को मंजूरी दी है।
  • तकनीक-संवर्धित निगरानी और गश्त: सीमा सुरक्षा में घुसपैठ पर नजर रखने के लिए ड्रोन, थर्मल इमेजिंग और CIBMS का प्रयोग  किया जाता है।
    • उदाहरण के लिए: सभी मौसमों में निगरानी बढ़ाने के लिए LOC सेक्टरों में व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS) स्थापित की गई थी।

सैन्य गतिरोध, नागरिक पीड़ा और कूटनीतिक गतिरोध के कारण नियंत्रणरेखा पर अस्थिरता बनी हुई है। हालाँकि युद्ध विराम, CBM और निगरानी उन्नयन जैसे प्रयासों से तनाव कम हुआ है, लेकिन स्थायी शांति के लिए गहन राजनीतिक भागीदारी और अहिंसा द्विपक्षीय समाधान के प्रति प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।

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