Answer:
दृष्टिकोण:
- भूमिका: आर्थिक विकास और स्थिरता के लिए रोजगार सृजन के महत्व से शुरुआत करें, खासकर भारत जैसे देश के संदर्भ में।
- मुख्य भाग:
- पीएमकेवीवाई, मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत अभियान और स्टार्टअप इंडिया जैसी विभिन्न पहलों तथा उनके उद्देश्यों, कार्यान्वयन और रोजगार सृजन पर पड़ने वाले प्रभाव पर जोर देते हुए चर्चा कीजिये।
- तकनीकी बेरोजगारी और कौशल सम्बन्धी अंतराल जैसी संभावित चुनौतियों पर चर्चा करें जो इनके कारण आ सकती हैं।
- रीस्किलिंग और अपस्किलिंग, स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करना, अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को बढ़ावा देना तथा डिजिटल अवसंरचना में सुधार जैसे उपायों पर भी बात करें।
- निष्कर्ष: चुनौतियों को समाधान में बदलने को लेकरआशावादी निष्कर्ष लिखें।
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भूमिका :
किसी देश की आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए रोजगार सृजन एक महत्वपूर्ण तत्व है। चूँकि भारत में 1.3 बिलियन से भी अधिक लोग हैं, इसलिए भारत के पास एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय लाभांश है, जिसका एक बहुत बड़ा हिस्सा कामकाजी आबादी है, जो आर्थिक विकास को संभावित रूप से गति दे सकती है। परिणामस्वरूप, भारत में रोज़गार कई सरकारी पहलों का केंद्र बिंदु रहा है। हालाँकि, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और डिजिटल परिवर्तन जैसे नए तत्वों का उद्भव अपने साथ चुनौतियां और समाधान दोनों लाता है, जो यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय उपायों की मांग करता है कि हम बदलते परिदृश्य में ना केवल अनुकूलन करें बल्कि उसके साथ-साथ आगे भी बढ़ें।
मुख्य विषयवस्तु:
सरकारी पहल का उद्देश्य भारत में नौकरियाँ पैदा करना है
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY):
- 2015 में शुरू की गई, इस प्रमुख पहल का लक्ष्य 10 मिलियन से अधिक युवाओं को उद्योग-उन्मुख कौशल में प्रशिक्षित करना, उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ाना है।
- सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 के अंत तक इस योजना के तहत लगभग 73 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
- हालाँकि, प्रशिक्षण की गुणवत्ता, नौकरी और प्रतिधारण दर के संबंध में अभी भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
- नीति आयोग की एक रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है, कि योजना के तहत प्रशिक्षित लोगों में से 15% से भी कम को नौकरियां मिलीं, जो बेहतर उद्योग और बेहतर प्रशिक्षण मानकों की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- मेक इन इंडिया:
- 2014 में शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना है, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
- सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस पहल से 2019 में एफडीआई के प्रवाह में 16% की वृद्धि हुई है।
- आत्मनिर्भर भारत अभियान:
- 2020 में शुरू की गई यह नीति आत्मनिर्भरता और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है, जिसका सीधा असर रोजगार सृजन पर पड़ता है।
- नीति के क्रेडिट समर्थन उपायों ने एमएसएमई (जो भारत के कार्यबल के एक महत्वपूर्ण हिस्से को रोजगार प्रदान करते हैं) को कठिन समय के दौरान जीवंत रहने और यहां तक कि विस्तार करने के लिए भी यह आवश्यक सक्षम बनाया है। स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया:
- इस अभियान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2014 में, भारत में लगभग 350 स्टार्टअप थे; यह आंकड़ा जो 2023 तक 115 यूनिकॉर्न के साथ 92,683 स्टार्टअप तक पहुंच गया है। NASSCOM के एक अध्ययन से पता चला है, कि अकेले टेक स्टार्टअप ने 2017 और 2021 के बीच 23 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा की है।
- केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के अनुसार, वर्तमान सरकार ने अपना ध्यान रोजगार सृजन से हटाकर केवल उद्यमिता निर्माण पर केंद्रित कर दिया है।
एआई और डिजिटल परिवर्तन जैसे उभरते तत्वों की चुनौतियाँ
- तकनीकी बेरोजगारी: एआई और स्वचालन से उन क्षेत्रों में नौकरियां खत्म हो सकती हैं जहां विनिर्माण और डेटा प्रविष्टि जैसे कार्य ज्यादा हैं।
- कौशल में अंतर: डिजिटल परिवर्तन की तीव्र गति से मौजूदा कौशल और उद्योग की जरूरतों के बीच बेमेल सी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे रोजगार क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।
उभरते रुझानों के संदर्भ में रोजगार सृजन परिदृश्य में सुधार के उपाय
- रीस्किलिंग और अपस्किलिंग: मौजूदा कार्यबल को नई प्रौद्योगिकियों और कार्य वातावरण के अनुकूल बनाने में मदद करने के लिए स्किल इंडिया जैसी पहल पर जोर दिया जाना चाहिए।
- स्टार्टअप इकोसिस्टम की मजबूती: चूंकि, डिजिटल परिवर्तन नए व्यवसायों के लिए अपार अवसर प्रदान करता है, इसलिए सरकार को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करके, नियामक जटिलताओं को कम करके और व्यापार करने में आसानी में सुधार करके स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करना चाहिए।
- अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को बढ़ावा देना: अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) और एआई और संबंधित क्षेत्रों में नवाचार में अधिक निवेश से ज्यादा कुशल नौकरियां उत्पन्न करने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
- डिजिटल बुनियादी ढांचे में सुधार: सरकार को समावेशी विकास और रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने के लिए, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी ढांचे में सुधार को प्राथमिकता दिया जाना चाहिए।
निष्कर्ष:
जबकि एआई और डिजिटल परिवर्तन महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश करते हैं, वे रोजगार सृजन के असंख्य अवसर भी प्रदान करते हैं। इसकी कुंजी सक्रिय नीति-निर्माण, शिक्षा और कौशल पर ध्यान केंद्रित करना और नवाचार और उद्यमिता के लिए अनुकूल वातावरण विकास है। ये उपाय, मौजूदा सरकारी पहलों के साथ मिलकर, भारत में नौकरी के परिदृश्य को बदल सकते हैं, साथ ही चुनौतियों को भविष्य के लिए समाधान बना सकते हैं।
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