Q. भाई-भतीजावाद अक्सर विभिन्न सामाजिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में अवसरों को प्रभावित करता है। समझाइए कि भाई-भतीजावाद योग्यता-आधारित व्यवस्था से कैसे भिन्न है और भारतीय समाज पर इसके प्रभावों पर चर्चा कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भाई-भतीजावाद और योग्यता आधारित व्यवस्था में अंतर।
  • भारतीय समाज पर प्रभाव।

उत्तर

भूमिका

भाई-भतीजावाद (Nepotism), अर्थात् रिश्तेदारों या निकट सहयोगियों को तरजीह देना, प्रायः राजनीति, व्यवसाय और मनोरंजन जगत में योग्यता तथा निष्पक्षता को कमजोर करता है। हाल ही में नेपाल में जेन Z के पारदर्शिता की माँग वाले विरोध प्रदर्शनों ने ऐसी प्रथाओं के विरुद्ध बढ़ती असंतुष्टि और जवाबदेही की ओर धकेलने की प्रवृत्ति को उजागर किया है।

मुख्य भाग

पैरामीटर भाई-भतीजावाद योग्यता-आधारित प्रणाली
अवसर का आधार अवसर परिवार, रिश्तेदारी या व्यक्तिगत संपर्कों के आधार पर दिए जाते हैं। अवसर कौशल, प्रदर्शन और योग्यताओं के आधार पर प्रदान किए जाते हैं।
निष्पक्षता प्रायः अन्यायपूर्ण और पक्षपातपूर्ण, जिससे कुछ विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्तियों को लाभ मिलता है। पारदर्शी और न्यायसंगत, जो योग्यता और प्रतिभा को पुरस्कृत करता है।
सामाजिक गतिशीलता वंचित पृष्ठभूमि से आने वाले सक्षम व्यक्तियों की उन्नति सीमित करता है। प्रतिभा को पुरस्कृत करके सामाजिक गतिशीलता और समानता को बढ़ावा देता है।
प्रदर्शन परिणाम क्षमता के आधार पर पद न मिलने से कमतर प्रदर्शन का कारण बनता है। योग्यता पर आधारित पद से उच्च प्रदर्शन और उत्पादकता को प्रोत्साहन मिलता है।
समाज में धारणा अनैतिक माना जाता है और संस्थाओं पर विश्वास को कमजोर करता है। संस्थाओं पर विश्वास मजबूत करता है और जवाबदेही की संस्कृति को बढ़ावा देता है।

भारतीय समाज में भाई-भतीजावाद के निहितार्थ

भाई-भतीजावाद विश्वास, निष्ठा और सुचारु समन्वय को बढ़ावा देता है, त्वरित निर्णय सुनिश्चित करता है, निरंतरता बनाए रखता है और संगठनात्मक मूल्यों को संरक्षित करता है। तथापि, इसके नकारात्मक प्रभाव भी गहरे हैं।

नकारात्मक प्रभाव

  • योग्यता का ह्रास: भाई-भतीजावाद योग्यता को कमजोर करता है, जिससे प्रतिभाशाली व्यक्तियों, विशेषकर हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए अवसर सीमित हो जाते हैं।
    • उदाहरण:  बॉलीवुड या राजनीति में पारिवारिक संबंधों को प्राथमिकता देने से सक्षम नए आने वालों को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
  • सामाजिक असमानता: यह मौजूदा पदानुक्रमों को मजबूत करता है और अभिजात वर्ग तथा आम नागरिकों के बीच की दूरी को अधिक करता है।
  • संस्थागत दक्षता में कमी: संपर्क के आधार पर की गई नियुक्तियाँ, योग्यता की जगह, कार्य की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं—चाहे वह सार्वजनिक हो या निजी क्षेत्र।
  • जन अविश्वास: व्यापक भाई-भतीजावाद अविश्वास उत्पन्न करता है, जिससे संस्थाओं पर भरोसा घटता है और सहभागिता कम होती है।
    • उदाहरण: जब योग्य उम्मीदवारों को पेशेवर क्षेत्रों में नजरअंदाज किया जाता है, तो नागरिक निराश महसूस करते हैं।
  • आर्थिक विकास और नवाचार में बाधा: भाई-भतीजावाद प्रतिस्पर्द्धा को सीमित करता है, कुशल पेशेवरों को हतोत्साहित करता है और सृजनात्मकता को दबाता है।
    • उदाहरण: स्टार्ट-अप्स या योग्यता-आधारित टीमें प्रायः पारिवारिक व्यवसायों से बेहतर प्रदर्शन करती हैं, किंतु भाई-भतीजावाद प्रतिभाओं के एकीकरण में विलंब करता है।

निष्कर्ष

यद्यपि भाई-भतीजावाद विश्वास और निरंतरता को बढ़ावा दे सकता है, किंतु व्यापक रूप से यह योग्यता तंत्र को कमजोर करता है, असमानता को गहरा करता है और संस्थाओं को दुर्बल बनाता है। इससे निपटने के लिए आवश्यक है—पारदर्शी भर्ती, समान अवसर नीतियाँ और ऐसी संस्कृति का विकास, जो संबंधों की बजाय प्रतिभा को प्राथमिकता दे।

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