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उत्तर:
प्रश्न हल करने का दृष्टिकोण
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भूमिका
ऊष्मा द्वीप प्रभाव उस घटना को संदर्भित करता है जिसमें शहरी क्षेत्र अपने आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में काफी अधिक तापमान का अनुभव करते हैं।
मुख्य भाग
इमारतें और सड़कें जैसी संरचनाएं प्राकृतिक परिदृश्यों की तुलना में सौर ताप को अधिक अवशोषित और पुन: उत्सर्जित करती हैं, जिससे शहरी क्षेत्र उच्च तापमान वाले अलग-थलग क्षेत्र बन जाते हैं। अधिक हरियाली वाले आसपास के क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में दिन का तापमान 1-7 डिग्री फ़ारेनहाइट अधिक और रात का तापमान 2-5 डिग्री फ़ारेनहाइट अधिक होता है।
कारण:
शहरीकरण और भूमि उपयोग परिवर्तन: इससे वनस्पति की हानि होती है जिससे अभेद्य सतहों में वृद्धि होती है, जो गर्मी को अवशोषित और बरकरार रखती है। वाष्पीकरण-उत्सर्जन में कमी के कारण प्राकृतिक शीतलन प्रक्रियाओं में भी कमी आती है।
मानवीय गतिविधियाँ: उद्योगों, वाहनों और ऊर्जा खपत से निकलने वाली अपशिष्ट ऊष्मा, एयर कंडीशनिंग और हीटिंग सिस्टम से ऊष्मा उत्सर्जन। उदाहरण- दिल्ली में कचरे के पहाड़
शहरी ज्यामिति और डिज़ाइन Geometry and Design:
संकुचित शहरी लेआउट वायु प्रवाह और प्राकृतिक वायु-संचालन में बाधा डालते हैं। इसके अलावा, अपर्याप्त हरे स्थान और छायांकन ऊष्मा अवशोषण को बढ़ाता है
जलवायु परिवर्तन: बढ़ता वैश्विक तापमान, ऊष्मा द्वीप प्रभाव को तीव्र करने में योगदान देता है। इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) द्वारा जारी एक हालिया रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि गर्म होती जलवायु दुनिया भर में शहरी ऊष्मा द्वीपों की स्थिति को और खराब कर रही है।
प्रभाव:
निष्कर्ष
शहरी क्षेत्रों में बढ़ते तापमान और पर्यावरणीय चुनौतियों के मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए, शहरी ताप द्वीप प्रभाव का समाधान करना महत्वपूर्ण है। शहरी हरियाली, टिकाऊ डिज़ाइन और ऊर्जा दक्षता जैसे सक्रिय उपाय तापमान के प्रभाव को कम करने, वायु की गुणवत्ता बढ़ाने और ऊर्जा की खपत को कम करने में मदद कर सकते हैं।
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