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Q. स्थानीय जलवायु, वायु गुणवत्ता और ऊर्जा खपत पर पड़ने वाले प्रभावों और इसके कारणों के आधार पर नगरीय ऊष्मा द्वीप प्रभाव की घटना की व्याख्या करें। (15 अंक, 250 शब्द)

उत्तर:

प्रश्न हल करने का दृष्टिकोण

  • भूमिका
    • नगरीय ऊष्मा द्वीप प्रभाव को परिभाषित करें।
  • मुख्य भाग
    • घटना पर संक्षेप में चर्चा करें।
    • प्रभाव के कारणों पर चर्चा करें।
    • शहरी क्षेत्रों में स्थानीय जलवायु, वायु गुणवत्ता और ऊर्जा खपत पर प्रभावों पर चर्चा करें।
  • निष्कर्ष
    • उपरोक्त बिंदुओं के आधार पर निष्कर्ष निकालें और कुछ समाधान प्रदान करें।

 

भूमिका

ऊष्मा द्वीप प्रभाव उस घटना को संदर्भित करता है जिसमें शहरी क्षेत्र अपने आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में काफी अधिक तापमान का अनुभव करते हैं।

मुख्य भाग

इमारतें और सड़कें जैसी संरचनाएं प्राकृतिक परिदृश्यों की तुलना में सौर ताप को अधिक अवशोषित और पुन: उत्सर्जित करती हैं, जिससे शहरी क्षेत्र उच्च तापमान वाले अलग-थलग क्षेत्र बन जाते हैं। अधिक हरियाली वाले आसपास के क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में दिन का तापमान 1-7 डिग्री फ़ारेनहाइट अधिक और रात का तापमान 2-5 डिग्री फ़ारेनहाइट अधिक होता है।

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कारण:

शहरीकरण और भूमि उपयोग परिवर्तन: इससे वनस्पति की हानि होती है जिससे अभेद्य सतहों में वृद्धि होती है, जो गर्मी को अवशोषित और बरकरार रखती है। वाष्पीकरण-उत्सर्जन में कमी के कारण प्राकृतिक शीतलन प्रक्रियाओं में भी कमी आती है।

मानवीय गतिविधियाँ: उद्योगों, वाहनों और ऊर्जा खपत से निकलने वाली अपशिष्ट ऊष्मा, एयर कंडीशनिंग और हीटिंग सिस्टम से ऊष्मा उत्सर्जन। उदाहरण- दिल्ली में कचरे के पहाड़

शहरी ज्यामिति और डिज़ाइन  Geometry and Design:

संकुचित शहरी लेआउट वायु प्रवाह और प्राकृतिक वायु-संचालन में बाधा डालते हैं। इसके अलावा, अपर्याप्त हरे स्थान और छायांकन ऊष्मा अवशोषण को बढ़ाता है

जलवायु परिवर्तन: बढ़ता वैश्विक तापमान, ऊष्मा द्वीप प्रभाव को तीव्र करने में योगदान देता है। इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) द्वारा जारी एक हालिया रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि गर्म होती जलवायु दुनिया भर में शहरी ऊष्मा द्वीपों की स्थिति को और खराब कर रही है।

प्रभाव:

  • स्थानीय जलवायु पर:
    • तापमान में वृद्धि: दिन और रात के दौरान, ग्रीष्म लहरें(Heat Waves)  बढ़ रही हैं और इससे निवासियों को परेशानी हो रही है।उदाहरण- दिल्ली के दो क्षेत्रों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के करीब दर्ज किया गया, जबकि आसपास के क्षेत्रों में तुलनात्मक रूप से कम तापमान का अनुभव हुआ।
    • वर्षा के पैटर्न में बदलाव और बादलों का आवरण कम होना : वायुमंडलीय स्थितियों पर नगरीय ऊष्मा के प्रभाव के कारण।
    • हवा के पैटर्न में बदलाव और प्राकृतिक वायु-संचालन में कमी: हवा स्थिर हो जाती है साथ ही हवा की गतिशीलता कम हो जाती है।
  • वायु गुणवत्ता:
    • वायु प्रदूषक: उच्च तापमान और ओजोन जैसे द्वितीयक प्रदूषकों के निर्माण के कारण वायु प्रदूषकों का ऊंचा स्तर।
    • प्रदूषकों का सीमित फैलाव: वायु के प्रवाह में कमी और स्थिर वायु के कारण।
    • स्वास्थ्य जोखिम में वृद्धि: खराब वायु गुणवत्ता और प्रदूषकों में वृद्धि के कारण विशेष रूप से सुभेद्य आबादी को इस जोखिम का सामना करना पड़ता है।
  • ऊर्जा की खपत:
    • शीतलन की अधिक मांग : ऊष्म अवधि के दौरान, ऊर्जा की खपत बढ़ जाती है, और पावर ग्रिड पर दबाव पड़ता है। इससे ऊर्जा की कमी हो सकती है या बिजली की लागत बढ़ सकती है।
    • एयर कंडीशनिंग और रेफ्रिजरेशन सिस्टम का बढ़ता उपयोग : बिजली की खपत में वृद्धि।
    • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: नगरीय शीतलन की मांग के लिये उपयोग किये जाने वाले एयर कंडीशनिंग और प्रशीतन (refrigeration ) से ऊर्जा की खपत बढ़ती है, जो मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन पर निर्भर है, जिससे ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं और जलवायु परिवर्तन में वृद्धि होती है।
    • उच्च ऊर्जा आवश्यकताएँ: वनस्पति और प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कम शीतलन प्रभाव के कारण सर्दियों में स्वयं को गर्म रखने के लिए उपयोग किए जाने वाले माध्यम जैसे हीटर के कारण ऊर्जा आवश्यकता बढ़ जाती है।

निष्कर्ष

शहरी क्षेत्रों में बढ़ते तापमान और पर्यावरणीय चुनौतियों के मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए, शहरी ताप द्वीप प्रभाव का समाधान करना महत्वपूर्ण है। शहरी हरियाली, टिकाऊ डिज़ाइन और ऊर्जा दक्षता जैसे सक्रिय उपाय तापमान के प्रभाव को कम करने, वायु की गुणवत्ता बढ़ाने और ऊर्जा की खपत को कम करने में मदद कर सकते हैं।

 

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