Q. फाइव आईज इंटेलिजेंस अलायन्स ने वैश्विक सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालाँकि, हालिया आंतरिक तनाव और अमेरिकी विदेश नीति प्राथमिकताओं में बदलाव ने इसकी स्थिरता के बारे में चिंताएँ उत्पन्न कर दी हैं। वैश्विक खुफिया सहयोग पर इन घटनाक्रमों के प्रभाव और भारत की सुरक्षा और कूटनीतिक रणनीतियों के लिए उनके संभावित निहितार्थों का विश्लेषण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • वैश्विक सुरक्षा में फाइव आईज इंटेलिजेंस गठबंधन द्वारा निभाई गई महत्त्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा कीजिए।
  • हाल के आंतरिक तनावों और अमेरिकी विदेश नीति प्राथमिकताओं में परिवर्तन के कारण इसकी स्थिरता के संबंध में उठाई गई चिंताओं पर प्रकाश डालिये।
  • वैश्विक खुफिया सहयोग पर इन घटनाक्रमों के प्रभाव का विश्लेषण कीजिये।
  • भारत की सुरक्षा और कूटनीतिक रणनीतियों के लिए संभावित निहितार्थों का विश्लेषण कीजिए।
  • आगे की राह लिखिये।

उत्तर

फाइव आईज (FVEY) एक खुफिया-साझाकरण गठबंधन है जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के युग के सहयोग से स्थापित, यह आतंकवाद, साइबर खतरों और भू-राजनीतिक खुफिया जानकारी के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण बना हुआ है। वर्ष 2023 में, FVEY ने चीन की जासूसी गतिविधियों और AI-संचालित सुरक्षा जोखिमों पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे इसकी वैश्विक रणनीतिक प्रासंगिकता मजबूत हुई।

वैश्विक सुरक्षा में फाइव आईज की महत्त्वपूर्ण भूमिका

  • इंटेलिजेंस शेयरिंग: यह गठबंधन साइबर हमलों, आतंकवाद और राज्य जासूसी सहित
    वैश्विक खतरों पर रियलटाइम खुफिया जानकारी प्रदान करता है। 

    • उदाहरण के लिए: फाइव आईज ने शीत युद्ध के दौरान सोवियत संचार पर नजर रखी, जिससे NATO की रणनीतिक तत्परता सुनिश्चित हुई।
  • आतंकवाद-रोधी समन्वय: संयुक्त खुफिया प्रयास सीमाओं के पार चरमपंथी नेटवर्क पर नज़र रखकर आतंकवादी हमलों को रोकने में मदद करते हैं।
  • साइबर सुरक्षा खतरे को कम करना: यह गठबंधन साइबर खतरों की पहचान करता है और उनका मुकाबला करता है व महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे और वित्तीय प्रणालियों को सुरक्षित करता है। 
    • उदाहरण के लिए: फाइव आईज ने संवेदनशील सरकारी डेटाबेस को लक्षित करने वाली चीनी साइबर जासूसी के बारे में भागीदारों को सचेत किया।
  • चीन को रोकने की रणनीति: यह गठबंधन वैश्विक बुनियादी ढांचे में चीनी प्रभाव को सीमित करता है विशेषकर 5G नेटवर्क में। 
    • उदाहरण के लिए: फाइव आईज ने हुवावे के 5G में शामिल होने के खिलाफ अभियान चलाया, जिसके कारण कई देशों में इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
  • समुद्री और हिंद-प्रशांत सुरक्षा: खुफिया जानकारी साझा करने से नौसेना समन्वय और खतरे का पता लगाने में मदद मिलती है विशेषकर चीन के खिलाफ। 
    • उदाहरण के लिए: फाइव आइज ने हिंद-प्रशांत निगरानी पर जापान के साथ मिलकर काम किया, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा मजबूत हुई।

फाइव आईज की स्थिरता को लेकर चिंताएँ

आंतरिक तनाव

  • अमेरिका-कनाडा व्यापार संघर्ष: कनाडा के खिलाफ अमेरिका के व्यापार युद्ध ने गठबंधन की एकता को कमजोर कर दिया है। 
    • उदाहरण के लिए: कनाडा को फाइव आईज से बाहर निकालने के ट्रम्प के आह्वान ने कूटनीतिक बेचैनी को बढ़ावा दिया।
  • ब्रिटेन का राजनीतिक अलगाव: अमेरिका का दक्षिणपंथी वर्ग ब्रिटेन को एक पतन का सामना करते हुए देश के रूप में देखता है, जिससे खुफिया एजेंसियों पर भरोसा कम हो रहा है।
  • छोटे सदस्यों में असंतोष: न्यूज़ीलैंड और कनाडा महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने में स्वयं को हाशिए पर महसूस करते हैं।
    • उदाहरण के लिए: AUKUS परमाणु चर्चाओं से कनाडा को बाहर रखे जाने से चिंताएँ उत्पन्न हुईं।

अमेरिकी विदेश नीति की बदलती प्राथमिकताएँ

  • रूस के साथ मेल-मिलाप: रूस के प्रति कम संघर्षपूर्ण अमेरिकी रुख, पारंपरिक सुरक्षा नीतियों  को बाधित करता है
  • NATO और यूरोपीय संघ के संबंधों का कमजोर होना: अमेरिका बहुपक्षीय सुरक्षा की अपेक्षा द्विपक्षीय सुरक्षा को प्राथमिकता देता है, जिससे गठबंधन की एकजुटता कम होती है।
  • सामरिक सहमति का क्षरण: अमेरिकी कार्रवाई दीर्घकालिक गठबंधन मानदंडों के विपरीत है, जिससे अनिश्चितता उत्पन्न होती है।

वैश्विक खुफिया सहयोग पर प्रभाव

  • खुफिया जानकारी पर भरोसा कम होना: सहयोगी देश अमेरिका की अप्रत्याशितता के डर से खुफिया जानकारी साझा करने को सीमित कर सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी ट्रम्प के बाद अमेरिका के साथ संवेदनशील डेटा साझा करने में संकोच कर सकती है।
  • पश्चिमी गठबंधनों का विखंडन: विभाजित फाइव आईज वैश्विक आतंकवाद विरोधी प्रयासों को कमजोर करता है।
    उदाहरण के लिए: यूरोपीय संघ की खुफिया एजेंसियों ने स्वतंत्र सहयोग शुरू किया, जिससे फाइव आईज पर निर्भरता कम हो गई।
  • अधिक एशियाई सुरक्षा सहयोग: अमेरिकी सहयोगी खुफिया जानकारी साझा करने के विकल्प तलाश सकते हैं जिससे इंडो-पैसिफिक साझेदारी को बढ़ावा मिलेगा। 
    • उदाहरण के लिए: जापान ने अमेरिकी अस्थिरता के बीच भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ खुफिया संबंधों का विस्तार किया।
  • उभरते खतरों का सशक्तिकरण: कमजोर समन्वय से चीन, रूस और साइबर अपराधियों को लाभ होता है। 
    • उदाहरण के लिए: फाइव आईज के आंतरिक विवादों के बाद चीनी जासूसी बढ़ गई।
  • क्षेत्रीय खुफिया नेटवर्क का उदय: राष्ट्र, पाश्चात्य ढाँचे के बाहर स्वतंत्र सुरक्षा गठबंधन विकसित करते हैं।
    उदाहरण के लिए: भारत ने QUAD सदस्यों के साथ खुफिया जानकारी साझा करना मजबूत किया, जिससे पश्चिमी एजेंसियों पर निर्भरता कम हुई।

भारत की सुरक्षा और कूटनीति पर प्रभाव

  • बढ़ी हुई सामरिक स्वायत्तता: भारत को परंपरागत पाश्चात्य नेटवर्क से परे खुफिया साझेदारी में विविधता लानी चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: भारत ने सुरक्षा सहयोग के लिए जापान, फ्रांस और इज़राइल के साथ संबंधों को मजबूत किया।
  • इंडो-पैसिफिक सुरक्षा में बढ़ी भूमिका: फाइव आईज के कमजोर होने से क्षेत्रीय खुफिया जानकारी में भारत के नेतृत्व के लिए जगह बन सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने ASEAN भागीदारों के साथ इंडो-पैसिफिक खुफिया जानकारी साझा करने की पहल का प्रस्ताव रखा।
  • खुफिया जानकारी में कमी का जोखिम: फाइव आईज के साथ सहयोग में कमी के कारण महत्त्वपूर्ण खुफिया जानकारी तक पहुंच सीमित हो सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत आतंकवाद से निपटने के लिए फाइव आईज के डेटा पर निर्भर है, जो‌ अमेरिका के बदलते रुख के साथ एक चिंता की बात हो सकती है।
  • गैर-पश्चिमी सहयोगियों के साथ घनिष्ठ संबंध: भारत को विविध खुफिया नेटवर्क के लिए रूस, UAE और आसियान के साथ जुड़ना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: भारत-रूस साइबर खुफिया सहयोग ने हैकिंग के खतरों का मुकाबला किया।
  • घरेलू खुफिया तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता: भारत को आत्मनिर्भरता के लिए स्वतंत्र खुफिया क्षमताओं में सुधार करना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: RAW और NTRO ने पश्चिमी निर्भरता को कम करने के लिए साइबर सुरक्षा और प्रति-खुफिया कार्यक्रमों का विस्तार किया।

आगे की राह 

  • खुफिया साझेदारी में विविधता: भारत को यूरोपीय और एशियाई देशों के साथ खुफिया जानकारी साझा करने का विस्तार करना चाहिए।
  • घरेलू खुफिया ढांचे को मजबूत करना: AI-संचालित निगरानी और साइबर सुरक्षा को बढ़ाने से बाहरी स्रोतों पर निर्भरता कम होगी। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने पुलवामा हमले के बाद AI-आधारित आतंकवाद-रोधी ट्रैकिंग सिस्टम लॉन्च किया।
  • सुरक्षा सहयोग के लिए QUAD का लाभ उठाना: भारत को QUAD सदस्यों के बीच गहन खुफिया जानकारी साझा करने पर जोर देना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: चीनी नौसेना की गतिविधियों पर QUAD की खुफिया जानकारी साझा करने से समुद्री सुरक्षा मजबूत हुई।
  • बहुपक्षीय सुरक्षा मंचों में भागीदारी: ASEAN, BRICS और SCO के साथ संबंधों को मजबूत करने से वैकल्पिक खुफिया नेटवर्क उपलब्ध होंगे।
  • फाइव आईज सदस्यों के साथ संबंधों में संतुलन: आंतरिक मतभेदों के बावजूद भारत को फाइव आईज देशों के साथ स्वतंत्र संबंध बनाए रखने चाहिए। 

विश्वास-आधारित खुफिया-साझाकरण ढाँचे को मजबूत करना और बहुध्रुवीय गठबंधनों को बढ़ावा देना, फाइव आईज की अस्थिरता से उत्पन्न जोखिमों को कम कर सकता है। भारत को QUAD और उभरते खुफिया नेटवर्क के माध्यम से समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ संबंधों को गहरा करते हुए रणनीतिक स्वायत्तता प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। एक सक्रिय साइबर सुरक्षा संरचना, बढ़ी हुई HUMINT क्षमताएँ और कूटनीतिक अनुकूलनशीलता एक उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य में राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगी।

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