Q. शासन सुधारों और आर्थिक विकास के बावजूद, सार्वजनिक स्थानों पर लैंगिक आधारित हिंसा अभी भी महिलाओं की गतिशीलता को बाधित करती है। भारत में महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण को कमजोर करने वाली संस्थागत और सामाजिक बाधाओं का विश्लेषण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत में महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तीकरण को कमजोर करने वाली संस्थागत बाधाएँ।
  • भारत में महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तीकरण को कमजोर करने वाली सामाजिक बाधाएँ।
  • आगे की राह लिखिए।

उत्तर

हाल ही में इंदौर में हुई घटना, जहाँ महिला क्रिकेटरों को पीछा किए जाने और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, भारत के सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की निरंतर चुनौती को उजागर करती है। शासन सुधारों और आर्थिक प्रगति के बावजूद, लैंगिक हिंसा अभी भी महिलाओं की गतिशीलता, भागीदारी और सशक्तीकरण को सीमित करती है, जो गहराई से जड़ें जमाए हुए संस्थागत और सामाजिक अवरोधों को दर्शाती है।

महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तीकरण को कमजोर करने वाले संस्थागत अवरोध 

  • कमजोर पुलिसिंग और लैंगिक असंवेदनशीलता: पुलिस में लैंगिक संवेदनशीलता की कमी अक्सर पीड़ितों को शिकायत दर्ज करने से हतोत्साहित करती है।
    • उदाहरण: J-PAL के एक अध्ययन में पाया गया कि मध्य प्रदेश की महिला सहायता डेस्क ने मामलों की रिपोर्टिंग तो बढ़ाई, लेकिन पुलिस के लैंगिक दृष्टिकोण में कोई विशेष परिवर्तन नहीं लाया।
  •  न्यायिक विलंब और कम दोषसिद्धि दर:  धीमी न्यायिक प्रक्रिया और कमजोर दोषसिद्धि दर जनता के विश्वास को कमजोर करती है और अपराधियों को प्रोत्साहित करती है।
    • उदाहरण: NCRB की भारत में अपराध 2023 रिपोर्ट के अनुसार, ‘महिला की मर्यादा का अपमान’ श्रेणी के 91.2% मामले लंबित हैं, जबकि दोषसिद्धि दर मात्र 20.9% है।
  • अपर्याप्त शहरी अवसंरचना:  खराब रोशनी वाली सड़कें, असुरक्षित परिवहन और महिलाओं के लिए हॉस्टलों की कमी सार्वजनिक स्थलों पर उनकी असुरक्षा को बढ़ाती हैं।
  • सीमित प्रतिनिधित्व और प्रशासनिक भ्रष्टाचार: स्थानीय निकायों में महिलाओं के दृष्टिकोण से योजना बनाना अक्सर उपेक्षित रहता है, शासन की कमजोरियों और भ्रष्टाचार के कारण।

महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तीकरण को कमजोर करने वाले सामाजिक अवरोध 

  • पितृसत्तात्मक मानसिकता और पीड़िता-दोषारोपण: सांस्कृतिक मानदंड अक्सर महिलाओं को उनकी सुरक्षा के लिए स्वयं जिम्मेदार ठहराते हैं, बजाय इसके कि व्यवस्था की विफलताओं को संबोधित किया जाए।
    • उदाहरण: मध्य प्रदेश के एक मंत्री का कथन ’बाहर जाने से पहले हमें सूचित करें’, महिलाओं की स्वायत्तता को सीमित करने वाला प्रतिगामी दृष्टिकोण दर्शाता है।
  •  सामाजिक कलंक और प्रतिशोध का भय:  पीड़िताएँ शिकायत दर्ज कराने से हिचकती हैं, क्योंकि उन्हें बदले की कार्रवाई या समाज द्वारा अपमानित किए जाने का डर रहता है।
    • उदाहरण: परिवार अक्सर ‘चुपचाप सहने’ को प्राथमिकता देते हैं बजाय इसके कि शिकायत दर्ज करें, जैसा कि रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।
  •  लैंगिक सामाजीकरण और सीमित गतिशीलता: महिलाओं को अक्सर सिखाया जाता है कि वे उत्पीड़न से बचने के लिए अपनी गतिशीलता सीमित करें, जिससे शिक्षा और कार्य में उनकी भागीदारी घटती है।
  • कमजोर जनजागरूकता और नागरिक जिम्मेदारी: सार्वजनिक स्थलों पर उत्पीड़न के प्रति समाज का सहनशील रवैया कम नागरिक चेतना को दर्शाता है।

आगे की राह 

  • लैंगिक-संवेदनशील पुलिसिंग और न्यायिक सुधार: महिला सहायता डेस्कों को मजबूत करना, फास्ट-ट्रैक कोर्ट्स स्थापित करना और पुलिस को लैंगिक संवेदनशीलता पर प्रशिक्षण प्रदान करना।
  • सुरक्षित शहरी अवसंरचना: सड़क प्रकाश व्यवस्था, CCTV निगरानी, सुरक्षित परिवहन, और कार्यरत महिलाओं के लिए हॉस्टल में निवेश करना।
  • सामुदायिक और विद्यालय-आधारित लैंगिक शिक्षा: प्रारंभिक शिक्षा स्तर से ही लैंगिक समानता की संस्कृति को बढ़ावा दें ताकि पितृसत्तात्मक मानसिकता बदली जा सके।
  • संस्थागत जवाबदेही: नगरपालिकाओं और पंचायतों में पारदर्शी शासन सुनिश्चित करना ताकि शहरी नियोजन में लैंगिक दृष्टिकोण को शामिल किया जा सके।
  • विधिक और नीतिगत समन्वय: आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 जैसे कानूनों के कार्यान्वयन को मजबूत करना तथा स्मार्ट सिटी और अमृत मिशन में महिला सुरक्षा लक्ष्यों को एकीकृत करना।

निष्कर्ष

भारत को केवल नारों और घोषणाओं से आगे बढ़कर सार्वजनिक स्थलों को सुरक्षित और समावेशी बनाना होगा। संस्थागत सुधारों और सामाजिक परिवर्तन के माध्यम से महिलाओं को स्वतंत्र रूप से चलने, कार्य करने और आत्मविश्वास से जीवन जीने का अवसर मिलना चाहिए, जिससे ‘सुरक्षा आधारित दृष्टिकोण’ से आगे बढ़कर ‘सशक्तीकरण आधारित ढाँचा’ स्थापित किया जा सके।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.