Q. वैश्वीकरण ने विभिन्न वर्गों की कुशल, युवा, अविवाहित महिलाओं के शहरी प्रवास को बढ़ा दिया है। इस प्रवृत्ति ने उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और परिवार के साथ संबंधों पर क्या प्रभाव डाला है? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रभाव।
  • पारिवारिक संबंधों पर प्रभाव।

उत्तर

UN वुमन के एक अध्ययन के अनुसार, बीते दो दशकों में 20–30 आयु वर्ग की अविवाहित महिलाओं में शहरी प्रवासन में 20% वृद्धि दर्ज की गई है। वैश्वीकरण ने इस परिवर्तन को गति दी है, जिसने शहरी रोजगार बाजारों को खोला, महिलाओं को स्वतंत्र रूप से प्रवास करने का अवसर दिया और उनके व्यक्तिगत अधिकारों के साथ-साथ पारंपरिक पारिवारिक रिश्तों को भी पुनर्परिभाषित किया।

व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव नकारात्मक प्रभाव
  • आर्थिक आत्मनिर्भरता और निर्णयात्मक स्वायतता: स्वतंत्र आय से महिलाएँ जीवन शैली, बचत, आवास और कॅरियर संबंधी निर्णय स्वयं ले पाती हैं।
    • उदाहरण:  शहरों में कामकाजी अविवाहित महिलाएँ अपनी वित्तीय और स्वास्थ्य आवश्यकताओं का प्रबंधन बिना पारिवारिक हस्तक्षेप करती हैं।
  • सुरक्षा और गतिशीलता की सीमाएँ: उत्पीड़न और असुरक्षित सार्वजनिक स्थानों की चिंता महिलाओं की स्वतंत्र आवाजाही को सीमित करती है।
    • उदाहरण:  सुरक्षा कारणों से रात्रिकालीन शिफ्ट से बचना।
  • सामाजिक और व्यक्तिगत विकल्पों की स्वतंत्रता: शहरी क्षेत्र में बहुसांस्कृतिक वातावरण महिलाओं को परिधान, मित्रता, रिश्ते और गतिशीलता में स्वतंत्रता प्रदान करता है।
    • उदाहरण:  अंतरजातीय/अंतरधार्मिक रिश्ते या एकल यात्रा पर कम सामाजिक निगरानी।
  • मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक विस्थापन: परिवार से दूरी और उच्च दबाव वाले वातावरण में काम करने से चिंता और अकेलापन बढ़ता है।
    • उदाहरण:  माँगपूर्ण रोजगार  में कार्यरत महिलाओं में ‘बर्नआउट’ की स्थिति देखी जा सकती है।
  • प्रगतिशील विचारों से परिचय और पहचान का सशक्तीकरण: वैश्विक शिक्षा, विविध कार्यस्थल और नारीवादी विमर्श आत्मविश्वास तथा वैचारिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देते हैं।
  • सामाजिक कलंक और नैतिक निगरानी: स्वतंत्र जीवन जीने वाली महिलाओं को पारंपरिक मानदंडों को तोड़ने के लिए आलोचना झेलनी पड़ती है।
    • उदाहरण:  अविवाहित महिलाओं को किराये का घर न मिलना या “गैर-पारंपरिक” कहकर संबोधित  करना।
  • डिजिटल और सूचनात्मक सशक्तीकरण: शहरी क्षेत्रों में बेहतर डिजिटल पहुँच महिलाओं को सीखने, व्यक्त करने और संगठित होने में सक्षम बनाती है।
  • स्वायत्तता और परंपरागत अपेक्षाओं में टकराव: शहरी स्वतंत्रता अक्सर पारिवारिक अपेक्षाओं से टकराती है।
    • उदाहरण:  कॅरियर के कारण विवाह टालना, लेकिन परिवार से लगातार “सेटल होने” का दबाव झेलना।

परिवार के साथ संबंधों पर प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव नकारात्मक प्रभाव
  • पारिवारिक सम्मान में वृद्धि: आर्थिक योगदान से परिवार में सम्मान और निर्णयों पर प्रभाव बढ़ता है।
    • उदाहरण:  बहन की शिक्षा में सहयोग कर परिवारिक भूमिका मजबूत करना।
  • मूल्य टकराव और तनाव: शहरी दृष्टिकोण पारंपरिक अपेक्षाओं से टकराता है।
    • उदाहरण:  कपड़ों और जीवनशैली को लेकर आपत्ति। 
  • लैंगिक मानदंडों में क्रमिक परिवर्तन: शहरी जीवन का अनुभव परिवार की सोच को महिलाओं की स्वतंत्रता के प्रति सकारात्मक बनाता है। 
    • उदाहरण:  देर रात तक काम करना या आधुनिक जीवनशैली धीरे-धीरे स्वीकार होना।
  • परंपरा की ओर लौटने का दबाव: जल्दी विवाह या घर वापसी का दबाव।
    • उदाहरण:  कॅरियर केंद्रित होने पर भी “सेटल होने” की बार-बार याद दिलाना।
  • छोटे भाई-बहनों पर प्रेरणादायक प्रभाव: उच्च शिक्षा और कॅरियर की आकांक्षाएँ जागृत होती हैं।
    • उदाहरण: बड़ी बहन की सफलता देखकर छोटी बहन उच्च शिक्षा हेतु प्रेरित होती है।
  • भावनात्मक अनुपस्थिति का अपराध बोध: पारिवारिक अवसरों में अनुपस्थिति रिश्तों में दूरी ला सकती है।
    • उदाहरण:  वृद्ध माता-पिता की देखभाल या पारिवारिक समारोहों में शामिल न हो पाना।

 

  • निर्भरता की पारंपरिक भूमिका का बदलना: बेटियाँ आत्मनिर्भर होकर पुत्र-केंद्रित मानदंडों को चुनौती देती हैं।
    • उदाहरण:  माता-पिता के चिकित्सा व्यय का वहन करना।
  • विच्छेदन की धारणा: सफलता को “जड़ों से अलगाव” मानकर आलोचना।
    • उदाहरण:  शहर में बसने के बाद “परिवारिक मूल्यों को भूलने” का आरोप। 

निष्कर्ष

वैश्वीकरण ने युवा महिलाओं को शिक्षा और आर्थिक अवसरों के माध्यम से व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रदान की है, किंतु इसके साथ ही पारिवारिक रिश्तों में तनाव और परिवर्तन भी लाया है। भविष्य इसी में है कि एक ऐसा वातावरण तैयार हो, जहाँ स्वायत्तता और पारिवारिक संबंध परस्पर सम्मान के साथ सह-अस्तित्व में विकसित हों।

विशेष 

वैश्वीकरण के प्रभाव से कुशल, युवा, अविवाहित महिलाओं का शहरी प्रवासन

  • आर्थिक अवसरों का विस्तार: IT, मीडिया, हॉस्पिटैलिटी और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में महिलाओं के लिए नए अवसर।
  • उच्च शिक्षा और अंग्रेजी दक्षता तक पहुँच: वर्ष 1990 के उदारीकरण के बाद शिक्षा के विस्तार से महिलाओं को डिग्री और कौशल प्राप्त हुए।
  • लैंगिक-समावेशी कार्यस्थल: वैश्विक MNCs विविधता और समावेशन को प्रोत्साहित करती हैं।
    • उदाहरण:  मातृत्व अवकाश, उत्पीड़न निवारण, लचीले कार्य समय जैसी कंपनी नीतियाँ।
  • आकांक्षी शहरी संस्कृति: वैश्विक मीडिया से प्रभावित शहरी परिवेश, महिलाओं को घरेलू भूमिकाओं से आगे बढ़कर व्यक्तिगतता और गतिशीलता की प्रेरणा देता है।
    •  उदाहरण:  युवा महिलाएँ शिक्षा, उद्यमिता और गिग्स के लिए अकेले महानगरों की ओर प्रवास कर रही हैं।

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