प्रश्न की मुख्य माँग
- हिंद महासागर में महाशक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा के बारे में चर्चा कीजिए।
- हिंद महासागर में इस महाशक्ति प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में भारत के लिए मॉरीशस के सामरिक महत्त्व का परीक्षण कीजिए।
- सुझाव दीजिए कि भारत मॉरीशस के साथ सतत और पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग सुनिश्चित करते हुए बढ़ते चीनी प्रभाव को कैसे संतुलित कर सकता है?
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उत्तर
हिंद महासागर में महाशक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा का तात्पर्य क्षेत्र में प्रभाव, संसाधनों और रणनीतिक प्रभुत्व के लिए प्रमुख वैश्विक शक्तियों के बीच भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से है। महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों के पास स्थित मॉरीशस भारत की सुरक्षा और नीली अर्थव्यवस्था पहलों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत-मॉरीशस व्यापार पिछले 17 वर्षों में 132% बढ़ा है, जो 2005-06 में 206.76 मिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 554.19 मिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है।
हिंद महासागर में महाशक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा
- चीन की बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति: चीन हिंद महासागर में बंदरगाह अवसंरचना, सैन्य ठिकानों और नौसैनिक गश्त के माध्यम से अपने समुद्री प्रभुत्व को बढ़ा रहा है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता को चुनौती मिल रही है।
- उदाहरण के लिए: चीन का जिबूती सैन्य अड्डा तथा हंबनटोटा (श्रीलंका) और ग्वादर (पाकिस्तान) में उसके निवेश, इस क्षेत्र में उसकी रणनीतिक पहुँच का विस्तार करते हैं।
- अमेरिकी सैन्य उपस्थिति और हिंद-प्रशांत रणनीति: संयुक्त राज्य अमेरिका का लक्ष्य हिंद-प्रशांत रणनीति के तहत रणनीतिक साझेदारी, सैन्य गठबंधन और नौसैनिक अभियानों के माध्यम से चीन का मुकाबला करना है।
- उदाहरण के लिए: QUAD गठबंधन (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) समुद्री सुरक्षा बढ़ाने और चीनी विस्तारवाद को रोकने के लिए मालाबार नौसैनिक अभ्यास का आयोजन करता है।
- यूरोपीय और खाड़ी हित: फ्रांस, ब्रिटेन और खाड़ी देश हिंद महासागर में अपने आर्थिक और सैन्य संबंधों को मजबूत कर रहे हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।
- उदाहरण के लिए: फ्रांस का रियूनियन में एक स्थायी सैन्य अड्डा है, जबकि खाड़ी देश मेडागास्कर और मॉरीशस में बंदरगाह के बुनियादी ढाँचे में निवेश कर रहे हैं।
- रूस और ईरान का बढ़ता प्रभाव: रूस और ईरान क्षेत्र में सुरक्षा और आर्थिक संबंधों को मजबूत कर रहे हैं, विशेष रूप से हथियारों की बिक्री और रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से।
- उदाहरण के लिए: रूस, अफ्रीकी तटीय राज्यों को उन्नत हथियार प्रदान करता है, जबकि ईरान फारस की खाड़ी और हिंद महासागर के पास नौसैनिक अभियानों का समर्थन करता है।
- समुद्री व्यापार का भू-राजनीतिक महत्त्व: वैश्विक कंटेनरीकृत कार्गो का 30 प्रतिशत, जबकि वैश्विक कच्चे तेल का 42 प्रतिशत हिंद महासागर से होकर गुजरता है, जिससे यह एक विवादित रणनीतिक क्षेत्र बन जाता है।
- उदाहरण के लिए: मलक्का जलडमरूमध्य, बाब अल-मन्डेब और मोजाम्बिक चैनल महत्त्वपूर्ण अवरोधक बिंदु हैं, जिन पर प्रतिस्पर्धी वैश्विक शक्तियों का नियंत्रण है।
भारत के लिए मॉरीशस का सामरिक महत्त्व
- महत्त्वपूर्ण समुद्री चौकी: पश्चिमी हिंद महासागर में मॉरीशस की अवस्थिति, भारत की समुद्री सुरक्षा और महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों में व्यापार प्रभुत्व को बढ़ाता है।
- उदाहरण के लिए: भारत की अगलेगा सैन्य अवसंरचना परियोजना क्षेत्रीय निगरानी और रसद क्षमताओं को मजबूत करती है।
- चीनी प्रभाव का मुकाबला करना: मॉरीशस के साथ भारत के मजबूत ऐतिहासिक और आर्थिक संबंध चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) निवेश को संतुलित करने में मदद करते हैं।
- उदाहरण के लिए: मॉरीशस में भारत का 500 मिलियन डॉलर का बुनियादी ढांचा निवेश, चीन के वहां प्रमुख आर्थिक उपस्थिति स्थापित करने के प्रयासों से कहीं अधिक है।
- बहुपक्षीय और क्षेत्रीय नेतृत्व: हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) और SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) में मॉरीशस की भूमिका भारत की रणनीतिक दृष्टि के अनुरूप है।
- अफ्रीका के लिए राजनयिक और आर्थिक प्रवेशद्वार: मॉरीशस, भारत को अफ्रीकी और मध्य पूर्वी बाजारों से जोड़ने वाले वित्तीय केंद्र के रूप में कार्य करता है।
- उदाहरण के लिए: भारत-मॉरीशस व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CECPA) भारत और अफ्रीका के बीच व्यापार और निवेश प्रवाह को सुविधाजनक बनाता है।
- बहुपक्षीय गठबंधनों को मजबूत करना: IORA (हिंद महासागर रिम एसोसिएशन) और अन्य बहुपक्षीय निकायों में मॉरीशस की भागीदारी, भारत के क्षेत्रीय नेतृत्व को बढ़ाती है।
- उदाहरण के लिए: वरुण और मिलन जैसे भारत-मॉरीशस संयुक्त अभ्यास क्षेत्रीय समुद्री सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
चीनी प्रभाव को संतुलित करना और सतत सहयोग सुनिश्चित करना
- उन्नत रक्षा सहयोग: चीनी रणनीतिक पैठ को सीमित करने के लिए सैन्य सहयोग, समुद्री गश्त और खुफिया जानकारी साझाकरण को और बढ़ावा देना चाहिए।
- रणनीतिक अवसंरचना विकास: मॉरीशस की स्वायत्तता सुनिश्चित करते हुए चीनी निवेश को संतुलित करने के लिए दोहरे उपयोग वाले अवसंरचना (बंदरगाह, हवाई अड्डे, लॉजिस्टिक्स केंद्र) का निर्माण करना चाहिए।
- आर्थिक और डिजिटल संबंधों को बढ़ावा देना: चीनी पूंजी पर निर्भरता कम करने के लिए वित्तीय सेवाओं, व्यापार और डिजिटल कनेक्टिविटी का विस्तार करना चाहिए।
- सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति का लाभ उठाना: भारत की सद्भावना और प्रभाव को सुदृढ़ करने के लिए ऐतिहासिक, भाषाई और शैक्षिक संबंधों का उपयोग करना।
- उदाहरण के लिए: भारत, मॉरीशस के पेशेवरों को छात्रवृत्ति, चिकित्सा सहायता और राजनयिक प्रशिक्षण प्रदान करता है।
मॉरीशस हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक दृष्टि का एक प्रमुख स्तंभ बना हुआ है, जो सुरक्षा चौकी और आर्थिक प्रवेश द्वार दोनों के रूप में कार्य करता है। रक्षा सहयोग को मजबूत करके, व्यापार साझेदारी का विस्तार करके और ऐतिहासिक संबंधों का लाभ उठाकर, भारत टिकाऊ और पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग सुनिश्चित करते हुए चीन के बढ़ते प्रभाव को प्रभावी ढंग से संतुलित कर सकता है। विकास-केंद्रित, जलवायु-प्रत्यास्थ और सुरक्षा-संचालित दृष्टिकोण न केवल एक क्षेत्रीय नेतृत्वकर्ता के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा बल्कि मॉरीशस के साथ दीर्घकालिक विश्वास को भी बढ़ावा देगा।
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