Q. ‘मंत्रिमंडलीय प्रणाली के विकास के परिणामस्वरूप संसदीय सर्वोच्चता व्यावहारिक रूप से हाशिए पर चली गई है।’ स्पष्ट कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • चर्चा कीजिए कि किस प्रकार कैबिनेट प्रणाली के विकास के परिणामस्वरूप व्यावहारिक रूप से संसदीय सर्वोच्चता हाशिए पर चली गई है।
  • चर्चा कीजिए कि संसद की भूमिका किस प्रकार महत्त्वपूर्ण बनी हुई है।

उत्तर

कैबिनेट प्रणाली के विकास से शक्तियाँ संसद से कार्यपालिका की ओर स्थानांतरित हो गई हैं, जिससे संसदीय सर्वोच्चता के क्षरण की चिंता बढ़ गई है तथा इस पर गहन जाँच की आवश्यकता है।

कैबिनेट प्रणाली का विकास और संसदीय सर्वोच्चता का हाशिए पर जाना

  • सत्ता का संकेंद्रण: कैबिनेट प्रणाली निर्णय लेने को केंद्रीकृत करती है,, जो अनुच्छेद-75 के सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धांत को कमजोर करती है।
  • विधान पर कार्यपालिका का नियंत्रण: विधायी प्रक्रियाओं में कार्यपालिका का प्रभुत्व संसद की स्वतंत्रता को सीमित करता है तथा निजी सदस्यों के विधेयकों पर प्रतिबंध लगाता है।
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 1952 से अब तक केवल 14 निजी विधेयक ही कानून बन पाए हैं।
  • समितियों की उपेक्षा: संसदीय स्थायी समितियों की उपेक्षा अनुच्छेद-118 को दरकिनार करती है, जो संसद को अपनी प्रक्रियाओं को विनियमित करने का अधिकार देता है।
    • उदाहरण: नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019, ने संसदीय स्थायी समिति को दरकिनार कर दिया, जिससे विधायी जाँच में कमी आई है।
  • अध्यादेश संबंधी मुद्दे: अनुच्छेद-123 के अंतर्गत बार-बार जारी किए जाने वाले अध्यादेश संसद की कानून बनाने की भूमिका को कमजोर करते हैं, क्योंकि ये केवल आपात स्थितियों के लिए ही होते हैं।
  • संसदीय बैठकों में कमी: संसद के कार्य दिवसों में कमी से कार्यकारी निगरानी में बाधा उत्पन्न होती है, जो नियमित सत्रों के लिए अनुच्छेद-85 के अधिदेश के साथ विरोधाभासी है।
    • उदाहरण: संसद की औसत एनुअल सिटिंग डेज पहली लोकसभा के 135 से घटकर 17वीं लोकसभा में 55 रह गए ।

संसद की भूमिका महत्त्वपूर्ण क्यों है?’

Marginalisation of Parliamentary Supremacy

  • विधायी कार्य: संसद सर्वोच्च विधायी प्राधिकार को बरकरार रखती है तथा कानून बनाने की शक्तियों के माध्यम से कार्यकारी प्रभुत्व को संतुलित करती है।
  • बजट अनुमोदन: अनुच्छेद-265 के तहत राष्ट्रीय बजट की संसद द्वारा जाँच और अनुमोदन सुनिश्चित करता है कि कर केवल उसकी सहमति से ही लगाए जाएँ, जिससे कार्यकारी शक्ति पर अंकुश लगता है।
  • प्रश्नकाल: इसके माध्यम से संसद अनुच्छेद-105 का उपयोग करके कार्यपालिका को जवाबदेह बनाती है तथा शासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करती है।
    • उदाहरण: सांसदों ने प्रश्नकाल का उपयोग कोविड-19 प्रतिक्रिया और कल्याणकारी योजना कार्यान्वयन पर कार्यपालिका को जवाबदेह ठहराने के लिए किया।
  • महाभियोग शक्तियाँ: संसद अनुच्छेद-124(4) के तहत सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों पर और अनुच्छेद-61 के तहत राष्ट्रपति पर महाभियोग चला सकती है, जिससे संवैधानिक पदाधिकारियों पर नियंत्रण सुनिश्चित हो सके ।
  • अविश्वास प्रस्ताव: अविश्वास प्रस्ताव कार्यपालिका के प्रदर्शन का आकलन करने और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक प्रमुख संसदीय उपकरण है।
    • उदाहरण: अगस्त 2023 में, विपक्ष ने मुख्य रूप से मणिपुर की स्थिति को लेकर सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पेश किया

निष्कर्ष

यद्यपि मंत्रिमंडल की भूमिका का विस्तार हुआ है, फिर भी शासन में लोकतांत्रिक जवाबदेही और संतुलन बनाए रखने के लिए एक मजबूत तथा सक्रिय संसद आवश्यक बनी हुई है, जिससे भारत का लोकतांत्रिक भविष्य सुरक्षित रहे।

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