प्रश्न की मुख्य माँग
- आईटी-आधारित शहरीकरण से उत्पन्न नए रोजगार के अवसर।
- आईटी-आधारित शहरीकरण से उत्पन्न नई चुनौतियाँ।
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उत्तर
भारत का सूचना प्रौद्योगिकी (IT) क्षेत्र, जो सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7% से अधिक योगदान देता है (NASSCOM, 2023), ने बंगलूरू और गुरुग्राम जैसे शहरों को वैश्विक प्रौद्योगिकी केंद्रों में परिवर्तित कर दिया है। इस विकास ने विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित किया है, लेकिन साथ ही बुनियादी ढाँचे पर दबाव और शहरी असमानता जैसी समस्याओं को भी बढ़ाया है, जिससे इसके द्विपक्षीय प्रभाव का गहन मूल्यांकन आवश्यक हो गया है।
आईटी-प्रेरित शहरीकरण से उत्पन्न नए रोजगार अवसर
- मुख्य आईटी रोजगारों का विस्तार: सॉफ्टवेयर सेवाएँ, डेटा एनालिटिक्स और क्लाउड कंप्यूटिंग के विस्तार ने शहरी आईटी केंद्रों में प्रत्यक्ष रोजगार के बड़े अवसर उत्पन्न किए हैं।
- उदाहरण: NASSCOM (वर्ष 2023) के अनुसार, भारत का टेक उद्योग 5.4 मिलियन से अधिक पेशेवरों को रोजगार देता है, जिनमें से बंगलूरू अकेले 1.5 मिलियन का योगदान करता है।
- महिलाओं की कार्यबल भागीदारी: आईटी क्षेत्र ने शिक्षित शहरी महिलाओं को अपेक्षाकृत सुरक्षित और औपचारिक कार्यस्थल प्रदान किए हैं, विशेष रूप से BPO, HR और कोडिंग क्षेत्रों में।
- उदाहरण: महिलाएँ भारत के आईटी कार्यबल का लगभग 35% हिस्सा बनाती हैं (NASSCOM, 2023), जो राष्ट्रीय औसत 19.9% (PLFS 2022) से अधिक है।
- स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र: टेक पार्कों और इनक्यूबेशन हबों की वृद्धि ने नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित किया है।
- उदाहरण: बंगलूरू भारत के 40% से अधिक यूनिकॉर्न्स का केंद्र है (Invest India, 2023), जिससे डिजाइन, मार्केटिंग, टेक और एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में नौकरियाँ सृजित हुई हैं।
- गिग इकोनॉमी और प्लेटफॉर्म-आधारित रोजगार: आईटी केंद्रों के विकास के साथ-साथ प्लेटफॉर्म-आधारित और सहायक सेवाओं में रोजगार बढ़ा है, जिससे हजारों लोगों को लचीले कार्य अवसर मिले हैं।
- उदाहरण: नीति आयोग (वर्ष 2022) के अनुसार, भारत में 7.7 मिलियन गिग वर्कर थे, जो वर्ष 2030 तक 23.5 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है, जिनमें अधिकांश आईटी-प्रधान शहरों में केंद्रित हैं।
- अर्द्ध-कुशल और ग्रामीण कार्यबल के लिए रोजगार: सुविधा प्रबंधन, लॉजिस्टिक्स, और सपोर्ट सेवाओं जैसे क्षेत्रों में माँग बढ़ने से सीमित शिक्षा वाले अर्द्ध-कुशल श्रमिकों को रोजगार के अवसर मिले हैं।
- विपरीत प्रवासन और द्वितीय श्रेणी शहरों का विकास: आईटी ने भुवनेश्वर और कोच्चि जैसे छोटे शहरों को नए रोजगार केंद्रों के रूप में उभारा है, जिससे विकास विकेंद्रीकृत हुआ है।
- उदाहरण: कोच्चि इन्फोपार्क और भुवनेश्वर का आईटी–SEZ , MeitY वार्षिक रिपोर्ट (वर्ष 2023) के अनुसार, हजारों नए रोजगार सृजित कर रहे हैं।
आईटी-प्रेरित शहरीकरण से उत्पन्न नई चुनौतियाँ
- जीवन-यापन की लागत और आवास असमानता में वृद्धि: आईटी कर्मियों के प्रवाह से आवास की कीमतें और किराए बढ़ जाते हैं, जिससे निम्न-आय वर्गों को शहरों के बाहरी क्षेत्रों में रहना पड़ता है।
- उदाहरण: IIHS (वर्ष 2021) के अध्ययन के अनुसार, बंगलूरू के व्हाइटफील्ड क्षेत्र में घरेलू कामगारों को 15 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करनी पड़ती है क्योंकि पास में आवास वहनीय नहीं है।
- शहरी बुनियादी ढाँचे पर दबाव: आईटी क्लस्टरों के आस-पास तेज और अनियोजित वृद्धि से बिजली, परिवहन और जल आपूर्ति प्रणालियों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है।
- उदाहरण: हैदराबाद में गर्मियों के दौरान आईटी जोन में जल माँग 30% बढ़ी, जिसके कारण निम्न-आय क्षेत्रों में जल कटौती करनी पड़ी।
- गैर-डिजिटल श्रमिकों का बहिष्करण: शहरी विकास तकनीक-आधारित सेवाओं के पक्ष में झुक जाता है, जिससे अनौपचारिक और पारंपरिक व्यवसाय हाशिए पर चले जाते हैं।
- उदाहरण: रेहड़ी पटरी वाले विक्रेता और कारीगर अक्सर पुनर्विकसित टेक जिलों से विस्थापित हो जाते हैं।
- पर्यावरणीय क्षरण: टेक पार्कों की तेजी से वृद्धि ने वनस्पति में कमी, जल निकायों के प्रदूषण, और ई-कचरे में वृद्धि की है।
- उदाहरण: बंगलूरू की बेलंदूर झील कई बार अनुपचारित औद्योगिक कचरे के कारण आग पकड़ चुकी है; NGT (वर्ष 2022) ने नागरिक निकायों को जिम्मेदार ठहराया।
- मानसिक स्वास्थ्य और कार्य संस्कृति संबंधी समस्याएँ: उच्च दबाव वाली आईटी कार्य संस्कृति से तनाव, अकेलापन, और चिंता जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं, विशेष रूप से युवाओं में।
निष्कर्ष
“शहर विकास के इंजन हैं पर तभी जब उनका ईंधन लोग और बुनियादी ढाँचा दोनों के संतुलन में चलें।” आईटी-प्रेरित शहरीकरण ने भारत को वैश्विक पहचान और रोजगार सृजन प्रदान किया है, परंतु इसके साथ ही सामाजिक–आर्थिक असमानता और बुनियादी ढाँचे पर अत्यधिक दबाव भी बढ़ा है। भारत के आईटी शहरों का भविष्य इस पर निर्भर करता है कि वे आर्थिक गतिशीलता, पर्यावरणीय स्थिरता, और स्थानिक समानता के बीच संतुलन कैसे स्थापित करते हैं।
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