Q. H-1B वीजा भारत-अमेरिका संबंधों में एक सेतु और एक अवरोध दोनों बना हुआ है। हाल के अमेरिकी आव्रजन सुधारों और वैश्विक ज्ञान अर्थव्यवस्था में भारत की रुचि के संदर्भ में इस कथन का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • हाल के अमेरिकी इमिग्रेशन सुधारों और भारत के हितों के संदर्भ में H-1B वीजा कैसे एक सेतु का कार्य करता है।
  • इस मुद्दे से संबंधित चुनौतियाँ।
  • आगे की राह।

उत्तर

संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा नए H-1B वीजा पर $1,00,000 शुल्क लगाने (जिसे बाद में शिथिल किया गया) का कदम संरक्षणवाद और वैश्विक प्रतिभा गतिशीलता के बीच के तनाव को दर्शाता है। H-1B वीजा, जो अमेरिका के प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत के कुशल कार्यबल के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, दोनों देशों के वैश्विक ज्ञान अर्थव्यवस्था में विकसित होते साझेदारी का केंद्रीय तत्त्व बना हुआ है।

कैसे H-1B वीजा भारत–अमेरिका संबंधों में सेतु भी है और अवरोध भी

  • प्रौद्योगिकी और प्रतिभा के आदान-प्रदान का पुल:  H-1B कार्यक्रम भारत की कुशल प्रतिभा को अमेरिकी नवाचार से जोड़ता है, जिससे अमेरिकी तकनीकी उद्योगों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता बनी रहती है।
    • उदाहरण: अमेरिका में लगभग 7.3 लाख H-1B वीजा धारकों में से 70% भारतीय हैं, जो TCS, इन्फोसिस, और विप्रो जैसी कंपनियों में कार्यरत हैं।
  • द्विपक्षीय आर्थिक परस्पर निर्भरता का चालक: भारतीय आईटी कंपनियाँ अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अरबों डॉलर का योगदान करती हैं — रोजगार, कर, और सेवा निर्यात के माध्यम से  जिससे व्यापार और तकनीकी साझेदारी सुदृढ़ होती है।
    • उदाहरण: TCS को वर्ष 2025 में 5,500 से अधिक H-1B वीजा स्वीकृत हुए, जो अमेजन के बाद दूसरे स्थान पर रहा, यह दोनों देशों के कॉरपोरेट संबंधों की गहराई को दर्शाता है।
  • प्रतिबंधात्मक सुधारों के कारण अवरोध:  $1,00,000 वीजा शुल्क और वेतन-स्तर प्रस्तावों जैसी नीतियाँ संरक्षणवादी प्रवृत्तियों को दर्शाती हैं, जो गतिशीलता को सीमित करती हैं और भारतीय कंपनियों पर अतिरिक्त बोझ डालती हैं।
  • प्रतिभा पलायन और असमान पहुँच की धारणा: H-1B मार्ग पर अत्यधिक निर्भरता ब्रेन ड्रेन को बढ़ावा देती है और वैश्विक ज्ञान असंतुलन को गहराती है।
    • उदाहरण: अधिकांश भारतीय STEM स्नातक अमेरिकी अवसरों को प्राथमिकता देते हैं, जिससे देश में अनुसंधान और नवाचार प्रतिभा की कमी होती है।
  • रणनीतिक दबाव का साधन:  अमेरिका अक्सर वीजा नीति को व्यापार और प्रौद्योगिकी वार्ताओं में बातचीत के औजार के रूप में प्रयोग करता है, जिससे भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों में अनिश्चितता उत्पन्न होती है।
    • उदाहरण: कठोर आव्रजन नियम प्रायः व्यापार विवादों के साथ सामने आते हैं, जिससे सेवा निर्यात और स्टार्ट-अप सहयोग प्रभावित होता है।

चुनौतियाँ

  • नीतिगत अस्थिरता और कानूनी अनिश्चितता:  अमेरिका की वीजा नीतियों में बार-बार बदलाव भारतीय आईटी और स्टार्ट-अप क्षेत्रों में अस्थिरता पैदा करते हैं, जो सुचारु गतिशीलता पर निर्भर हैं।
  • अमेरिका में घरेलू राजनीतिक दबाव: बढ़ती विरोधी-आप्रवासन भावना और “अमेरिका फर्स्ट” विचारधारा दीर्घकालिक उदारीकरण को कठिन बनाती है।
    • उदाहरण: वेतन-स्तर प्रणाली जैसी सुधार नीतियाँ स्थानीय रोजगार को प्राथमिकता देती हैं, जिससे प्रवेश-स्तर भारतीय पेशेवरों के अवसर घटते हैं।
  • असमान लाभ और केंद्रित जोखिम:  कुछ भारतीय आईटी दिग्गजों पर निर्भरता कौशल विविधता और सेवा निर्यात मॉडल की लचीलापन को कमजोर करती है।
    • उदाहरण: TCS और इनफोसिस जैसी कंपनियाँ H-1B वीजा का अधिकांश हिस्सा प्राप्त करती हैं, जिससे छोटी भारतीय कंपनियों की पहुँच सीमित होती है।
  • गतिशीलता में सीमित पारस्परिकता:  जहाँ अमेरिका भारत की श्रेष्ठ प्रतिभा को आकर्षित करता है, वहीं भारतीय वीजा और कार्य अवसर अमेरिकियों के लिए नगण्य हैं, जो असंतुलन को दर्शाता है।
  • नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव:  वीजा अस्थिरता के कारण उच्च-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों — जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), सेमीकंडक्टर, और स्वच्छ ऊर्जा — में सहयोग बाधित होता है, जहाँ द्विपक्षीय साझेदारी अत्यंत आवश्यक है।

आगे की राह

  • द्विपक्षीय गतिशीलता ढाँचा स्थापित करना:  iCET जैसे रणनीतिक प्रौद्योगिकी और व्यापार साझेदारी मंचों के अंतर्गत एक पूर्वानुमेय तथा पारदर्शी गतिशीलता व्यवस्था स्थापित की जानी चाहिए।
  • कौशल उन्नयन और देशी अनुसंधान को प्रोत्साहन: भारत के नवाचार तंत्र को सशक्त बनाकर विदेशी रोजगार पर अत्यधिक निर्भरता को घटाया जा सकता है।
  • वीजा स्थिरता के लिए राजनयिक संवाद का उपयोग: क्वाड और iCET जैसे रणनीतिक मंचों का प्रयोग कर दीर्घकालिक H-1B स्थिरता और कार्य अनुमति संक्रमण को सरल बनाया जा सकता है।
  • वैश्विक ज्ञान साझेदारियों का विविधीकरण:  यूरोप, जापान, और आसियान देशों के साथ तकनीकी सहयोग बढ़ाकर अमेरिका-नीति अस्थिरता के जोखिम को घटाया जा सकता है।
  • रिवर्स ब्रेन सर्कुलेशन (Reverse Brain Circulation) को प्रोत्साहन:  नवाचार अनुदान, स्टार्ट-अप इनक्यूबेटर, और विदेशी पेशेवरों के लिए अनुसंधान वीजा जैसी योजनाओं से वापसी प्रवास को बढ़ावा दिया जा सकता है।

निष्कर्ष

H-1B वीजा भारत–अमेरिका संबंधों में सहयोग और बाधा दोनों का प्रतीक है। इस विवादित सेतु को स्थिर और परस्पर लाभकारी गतिशीलता ढाँचे में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक है कि भारत घरेलू नवाचार को सशक्त करे और अमेरिका अपने आव्रजन तंत्र को वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता के अनुरूप ढाले।

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