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Q. “द्वेष किसी व्यक्ति की बुद्धि और विवेक के लिए विनाशकारी है जो एक राष्ट्र की भावना को विषाक्त कर सकती है।” क्या आप इस दृष्टिकोण से सहमत हैं? अपने उत्तर का औचित्य सिद्ध करें। (150 शब्द, 10 अंक)

 उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • परिचय: घृणा या नफरत के बारे में बताएं।
  • मुख्य विषयवस्तु:
    • उदाहरणों का उल्लेख करें कि कैसे घृणा ने विभिन्न क्षेत्रों से व्यक्तियों और पूरे देश को प्रभावित किया है।
    • दुनिया भर या भारत में वर्तमान घटनाओं का उदाहरण प्रस्तुत करें ।   
  • निष्कर्ष: आगे का संभावित रास्ता बताएं

परिचय:

घृणा एक नकारात्मक भावना है जो व्यक्तियों और समाज को महत्वपूर्ण रूप से नुकसान पहुंचा सकती है। जब लोग दूसरों के प्रति घृणा पालते हैं, तो वे निर्णय और तर्क की अपनी भावना को खो देते हैं, और उनके कार्य पूर्वाग्रह से प्रेरित हो जाते हैं। इस प्रकार के व्यवहार से हिंसा, भेदभाव और सामाजिक अशांति हो सकती है, जिसका राष्ट्र की भावना और कल्याण पर महत्वपूर्ण रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

मुख्य विषयवस्तु:

यहां कुछ ऐसे उदाहरण दिए गए हैं जो विभिन्न स्तरों पर घृणा की विनाशकारी प्रकृति को दर्शाते हैं:

व्यक्तिगत स्तर:

  • एडॉल्फ हिटलर: एडॉल्फ हिटलर की कुछ जातीय और धार्मिक समूहों के प्रति गहरी घृणा के कारण उनका नरसंहार किया गया, जिसके परिणामस्वरूप लाखों यहूदियों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों का व्यवस्थित नरसंहार हुआ।
  • एंडर्स बेहरिंग ब्रेविक: बहुसंस्कृतिवाद और इस्लाम के प्रति ब्रेविक की अत्यधिक घृणा के कारण उसने नॉर्वे में 2011 के आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया, जिसमें 77 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।

अंत वैयक्तिक संबंध:

  • झगड़े और प्रतिशोध: व्यक्तियों या परिवारों के बीच घृणा के परिणामस्वरूप लंबे समय से चले आ रहे झगड़े और प्रतिशोध हो सकते हैं। नफरत या घृणा से प्रेरित ये संघर्ष पीढ़ियों तक चल सकते हैं और अथाह दर्द और जानमाल की हानि का कारण बन सकते हैं।

सामाजिक प्रभाव:

  • रवांडा नरसंहार: 1994 में रवांडा नरसंहार हुतु और तुत्सी समुदायों के बीच लंबे समय से चले आ रहे जातीय तनाव और घृणा के कारण हुआ था। इसके परिणामस्वरूप 100 दिनों के भीतर अनुमानित रूप से 800,000 लोगों का क्रूर नरसंहार हुआ।
  • बाल्कन में जातीय सफाया: 1990 के दशक में बोस्नियाई युद्ध में गहरी नफरत से प्रेरित जातीय सफाया हुआ। इसके परिणामस्वरूप हज़ारों बोस्नियाक्स, क्रोएट्स और सर्बों का विस्थापन, यातना और हत्या हुई।

वर्तमान संघर्ष:

  • इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष: इजराइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष और दोनों पक्षों में गहरी जड़ें जमा चुकी घृणा ने इनकी दुश्मनी को बढ़ा दिया है। इन दोनों के बीच घृणा हिंसा के चक्र को कायम रखे हुए है जिसके कारण शांतिपूर्ण समाधान की संभावनाओं में बाधा उत्पन्न हो रही है और दोनों पक्षों के नागरिकों को भारी पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है।
  • रोहिंग्या संकट: म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत और भेदभाव से प्रेरित उत्पीड़न और हिंसा के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर हत्याएं, यौन हिंसा और सैकड़ों हजारों रोहिंग्या लोगों का जबरन विस्थापन हुआ है।

निष्कर्ष:

घृणा की विनाशकारी प्रकृति को पहचानना और एक ऐसे समाज के निर्माण की दिशा में काम करना आवश्यक है जो समावेशिता, एक दूसरे का सम्मान और आपसी समझ पर आधारित हो। महात्मा गांधी जैसे महान नेताओं की शिक्षाओं के माध्यम से हम एक न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण समाज बनाने में प्रेम और अहिंसा का मूल्य सीख सकते हैं।

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