Q. भारत यह कैसे सुनिश्चित कर सकता है, कि उसके विमानन क्षेत्र में तीव्र वृद्धि, यात्री सुरक्षा और सुदृढ़ नियामक निगरानी की कीमत पर न हो? (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत के विस्तारित विमानन क्षेत्र द्वारा यात्री सुरक्षा और नियामक निरीक्षण के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
  • वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप यात्री सुरक्षा और नियामक तंत्र को मजबूत करने के उपाय सुझाइये।

उत्तर

भारत का विमानन क्षेत्र तेजी से विस्तार कर रहा है, जो वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार बनकर उभर रहा है। अहमदाबाद में वर्ष 2024 में एयर इंडिया की दुर्घटना जिसमें विमान में सवार 242 लोगों में से एक को छोड़कर सभी की मृत्यु हो गई, यात्रियों के जीवन और परिचालन अखंडता की रक्षा करते हुए विकास को बनाए रखने के लिए सुरक्षा ढाँचे और नियामक निरीक्षण को बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती है।

भारतीय विमानन क्षेत्र में तीव्र वृद्धि

  • रिकॉर्ड घरेलू यात्री वृद्धि: भारत का घरेलू यात्री यातायात 17 नवंबर, 2024 को एक दिन में 5 लाख के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुँच गया, जो वैश्विक स्तर पर तीसरे सबसे बड़े विमानन बाजार के रूप में इसके उभरने को दर्शाता है।
  • ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे का विस्तार: वर्ष 2014 से, भारत ने मोपा, राजकोट और ईटानगर सहित 12 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों का संचालन किया है जबकि नोएडा और नवी मुंबई का संचालन वित्त वर्ष 2025-26 तक होने की उम्मीद है।
  • उड़ान का क्षेत्रीय प्रभाव: अपने 9वें वर्ष में UDAN योजना ने 88 हवाई अड्डों को जोड़ा और 619 मार्ग शुरू किए  जिससे ग्रामीण और पहाड़ी संपर्क को बढ़ावा मिला।

भारत के विस्तारित विमानन क्षेत्र में चुनौतियाँ

  • DGCA द्वारा प्रतिक्रियात्मक निरीक्षण: नागरिक विमानन महानिदेशालय (DGCA) अक्सर जोखिमों की सक्रिय रूप से पहचान करने के बजाय, दुर्घटना घटित होने के बाद ही कार्रवाई करता है।
  • पायलट थकान और चालक दल का तनाव: पायलटों को अक्सर ड्यूटी के घंटों में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ता है, जिससे सतर्कता और उड़ान सुरक्षा से समझौता होता है। 
    • उदाहरण के लिए, 1 जुलाई, 2025 से भारत पायलटों के लिए 48 घंटे का साप्ताहिक आराम अवधि अनिवार्य कर देगा जो पहले 36 घंटे था।
  • प्रौद्योगिकीय जनशक्ति की कमी: भारत का प्रौद्योगिकीय जनशक्ति-से-विमान अनुपात अपर्याप्त है, जो नियमित निरीक्षण और रखरखाव की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। 
    • उदाहरण के लिए, ICAO ऑडिट (वर्ष 2022) में  भारत ने अपने प्रभावी कार्यान्वयन (EI) स्कोर को 70% से 85% तक सुधारा फिर भी तकनीकी स्टाफिंग एक चिंता का विषय बनी रही।
  • बार-बार होने वाली परिचालन चूक: इंजन जाँच, लोड प्लानिंग और कॉन्फ़िगरेशन में विफलताए, उड़ान योग्यता को प्रभावित करती हैं और जोखिम बढ़ाती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: अहमदाबाद दुर्घटना की जाँच में गलत इंजन कैलिब्रेशन और अधूरी उड़ान-पूर्व जाँच को योगदान देने वाले कारकों के रूप में उद्धृत किया गया।
  • साइबर सुरक्षा और सामान प्रबंधन जोखिम: हवाई अड्डों को बढ़ते साइबर खतरों और अकुशल सामान प्रणालियों का सामना करना पड़ता है, जो यात्री सेवा और सुरक्षा से समझौता करते हैं।
  • शहरी अतिक्रमण के खतरे: हवाई अड्डों के पास अनियमित शहरी विकास लैंडिंग और टेकऑफ के दौरान सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा उत्पन्न करता है। 
    • उदाहरण के लिए, वर्ष 2024 की DGCA रिपोर्ट ने दिल्ली और पटना हवाई अड्डों के पास उच्च जोखिम वाले अतिक्रमणों पर सवाल उठाए।
  • अपर्याप्त वित्तपोषित दुर्घटना जाँच ब्यूरो (AAIB): AAIB के पास दुर्घटनाओं की गहन जाँच करने के लिए पर्याप्त धन और बुनियादी ढाँचे का अभाव है। 
    • उदाहरण के लिए, कई हवाई अड्डों पर अभी भी इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) की कमी है  जिससे कम दृश्यता की स्थिति में सुरक्षित लैंडिंग में बाधा आती है।

यात्री सुरक्षा और नियामक निरीक्षण को मजबूत करने के उपाय

यात्री सुरक्षा

  • पायलट कल्याण और आराम नियम: थकान से संबंधित जोखिमों को कम करने के लिए पायलटों का पर्याप्त आराम और मानसिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। 
    • उदाहरण के लिए, जुलाई 2025 से पायलटों के लिए 48 घंटे का साप्ताहिक आराम अनिवार्य करने वाला नया नियम पायलट कल्याण को प्राथमिकता देने की दिशा में एक बदलाव को दर्शाता है।
  • पूर्वानुमानित रखरखाव और AI उपकरण: उन्नत विश्लेषण और रियलटाइम निदान तकनीकी विफलताओं को रोक सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए, Indigo जैसी एयरलाइनों ने परिचालन जोखिमों का पहले से पता लगाने के लिए फ्लाइट ऑपरेशंस क्वालिटी एश्योरेंस (FOQA) सिस्टम लागू किया है।
  • सिम्युलेटर-आधारित आपातकालीन प्रशिक्षण: यथार्थवादी प्रशिक्षण दबाव में तैयारी और निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाता है। 
    • उदाहरण के लिए, विंग्स इंडिया 2026 के तहत कार्यक्रम सिविल पायलट प्रशिक्षण को मजबूत करने के लिए AI-संचालित सिमुलेटर पर बल देते हैं।
  • रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम को अपनाना: कॉकपिट वॉयस/डेटा रिकॉर्डर और सैटेलाइट ट्रैकिंग जैसे उपकरण परिस्थितिजन्य जागरूकता को बढ़ा सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए, भारत विमान की रियल-टाइम ट्रैकिंग को बेहतर बनाने के लिए ADS-B सिस्टम के उपयोग को आगे बढ़ा रहा है ।

नियामक निरीक्षण

  • DGCA की स्वायत्तता बढ़ाना: DGCA को अधिक स्वतंत्रता प्रदान करके भारत को FAA और EASA जैसे वैश्विक विनियामक मॉडलों के साथ संरेखित करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए, भारतीय वायुयान अधिनियम (वर्ष 2024) का उद्देश्य विमानन विनियमन को आधुनिक बनाना और सक्रिय निगरानी को बढ़ावा देना है।
  • AAIB के लिए बेहतर वित्तपोषण और बुनियादी ढाँचा: एक मजबूत AAIB समय पर और गहन व निष्पक्ष जाँच सुनिश्चित करता है।
  • केप टाउन कन्वेंशन प्रवर्तन: अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का कानूनी पालन लीजिंग और वित्तपोषण में निवेशकों का विश्वास बढ़ाता है। 
    • उदाहरण के लिए, भारत ने GIFT सिटी ढाँचे के तहत सुरक्षित विमानन वित्तपोषण की सुविधा प्रदान करते हुए केप टाउन कन्वेंशन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
  • राज्य सुरक्षा कार्यक्रम (SSP) का कार्यान्वयन: एक संरचित SSP, प्रदर्शन और संस्थागत जवाबदेही को ट्रैक करने में मदद करता है। 
    • उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय विमानन सुरक्षा योजना (वर्ष 2024-2028) में पाँच लक्ष्य शामिल हैं, जैसे डेटा-शेयरिंग नेटवर्क का विस्तार करना और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाना।

अहमदाबाद में हुई दुखद दुर्घटना विमानन सुरक्षा में खामियों की एक स्पष्ट याद दिलाती है। भारत को अब नियामक स्वतंत्रता, सक्रिय जोखिम प्रबंधन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर केंद्रित दीर्घकालिक सुधारों के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए ताकि एक प्रत्यास्थ और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी विमानन पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जा सके जो सभी के लिए सुरक्षित आकाश सुनिश्चित करे।

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