प्रश्न की मुख्य माँग
- डिजिटल गवर्नेंस प्लेटफॉर्म के एकीकरण से महिलाओं के लिए अधिकारों तक पहुँच में सुधार हुआ है।
- डिजिटल गवर्नेंस प्लेटफॉर्मों के एकीकरण से कानूनी सुरक्षा उपायों तक पहुँच में वृद्धि हुई है।
- महिलाओं के लिए डिजिटल सशक्तीकरण परिणामों में सुधार हेतु सतत् चुनौतियाँ और अंतराल।
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उत्तर
जन धन-आधार-मोबाइल (JAM) ट्रिनिटी और डिजिटल इंडिया मिशन द्वारा संचालित डिजिटल गवर्नेंस प्लेटफॉर्म के भारत के एकीकरण ने महिलाओं की पात्रता और कानूनी सुरक्षा तक पहुँच को काफी हद तक बढ़ाया है। प्रगति के बावजूद, डिजिटल साक्षरता, कनेक्टिविटी और सामाजिक मानदंडों में स्थायी चुनौतियाँ महिलाओं के लिए डिजिटल सशक्तीकरण की पूरी क्षमता को सीमित करती हैं।
महिलाओं के लिए अधिकारों तक बेहतर पहुँच
- सुव्यवस्थित वित्तीय सहायता: प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) लीकेज को कम करता है, जिससे महिलाओं को समय पर सहायता सुनिश्चित होती है।
- उदाहरण: प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) के तहत 3.3 करोड़ से अधिक महिलाओं को आधार खातों से सीधे जुड़े नकद हस्तांतरण प्राप्त हुए।
- लक्षित पोषण सहायता: रियल टाइम डेटा और ऐप माताओं और बच्चों तक पोषण की आपूर्ति को बढ़ाते हैं।
- उदाहरण के लिए, पोषण ट्रैकर ऐप आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 10.14 करोड़ से अधिक लाभार्थियों की प्रभावी निगरानी करने में सहायता करता है।
- स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच का विस्तार: टेलीमेडिसिन भौगोलिक बाधाओं को दूर करता है, जिससे दूरदराज के क्षेत्रों में महिलाओं को महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ मिलती हैं।
- उदाहरण: ई – संजीवनी प्लेटफॉर्म ने 30 करोड़ से अधिक परामर्श की सुविधा प्रदान की है, जिससे ग्रामीण महिलाओं की विशेषज्ञों तक पहुँच में सुधार हुआ है।
- प्रत्यक्ष बाजार संपर्क: डिजिटल बाजार स्वयं सहायता समूहों को सीधे खरीदारों से जोड़कर महिला उद्यमियों को सशक्त बनाते हैं।
- उदाहरण के लिए, सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) पर SARAS संग्रह महिला स्वयं सहायता समूहों को सीधे सरकारी एजेंसियों को उत्पाद बेचने में सक्षम बनाता है।
महिलाओं के लिए कानूनी सुरक्षा तक बेहतर पहुँच
- सरलीकृत शिकायत निवारण: ऑनलाइन पोर्टल सुरक्षित और गोपनीय शिकायत तंत्र प्रदान करते हैं।
- उदाहरण के लिए, SHe–Box पोर्टल महिलाओं को POSH अधिनियम, 2013 के तहत उत्पीड़न की शिकायत ऑनलाइन दर्ज करने की अनुमति देता है।
- एकीकृत आपातकालीन प्रतिक्रिया: डिजिटल प्लेटफॉर्म कनेक्टेड केंद्रों के माध्यम से तत्काल सहायता का समन्वय करते हैं।
- उदाहरण के लिए , मिशन शक्ति प्लेटफॉर्म तेजी से कानूनी और चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए लगभग 750 वन स्टॉप सेंटर (OSC) को जोड़ता है।
- सुरक्षित संपत्ति अधिकार: भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण से महिलाओं के स्वामित्व की रक्षा होती है और शोषण कम होता है।
- उदाहरण के लिए , SVAMITVA योजना महिलाओं के भूमि अधिकारों को सुरक्षित करते हुए कानूनी संपत्ति का स्वामित्व प्रदान करने हेतु ड्रोन मैपिंग का उपयोग करती है।
- सुलभ कानूनी परामर्श: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हाशिए पर पड़ी महिलाओं को घर पर ही निःशुल्क कानूनी सलाह से जोड़ती है।
- उदाहरण: टेली-लॉ सेवा ग्रामीण महिलाओं को मुकदमे से पहले महत्त्वपूर्ण सलाह के लिए पैनल वकीलों तक पहुँच प्रदान करती है।
- अपराध की सुगम रिपोर्टिंग: साइबर अपराध पोर्टल सुरक्षित, बिना भयभीत हुए शिकायत दर्ज करने में सक्षम बनाते हैं।
- उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल ऑनलाइन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करने के लिए एक विश्वसनीय चैनल प्रदान करता है।
महिलाओं के डिजिटल सशक्तीकरण में बाधा डालने वाली स्थायी चुनौतियाँ और खामियाँ
- शहरी-ग्रामीण डिजिटल विभाजन: इंटरनेट की पहुँच में बड़ा अंतर ग्रामीण महिलाओं को इसका पूरा लाभ उठाने से रोकता है।
- उदाहरण: IAMAI, 2023 रिपोर्ट बताती है कि 56% शहरी और केवल 29% ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुँच है।
- कम डिजिटल साक्षरता: सीमित तकनीकी कौशल महिलाओं की जटिल प्लेटफॉर्मों का उपयोग करने की क्षमता को सीमित करते हैं।
- उदाहरण: केवल 26% महिलाओं के पास इंटरनेट की पहुँच प्राप्त है, जबकि 42% पुरुषों के पास (IAMAI 2023)।
- पहुँच की उच्च लागत: स्मार्टफोन और डेटा प्लान का खर्च कम आय वाली महिलाओं के लिए एक बड़ी बाधा है।
- पितृसत्तात्मक मानदंड: सांस्कृतिक प्रतिबंध मोबाइल उपकरणों पर महिलाओं के नियंत्रण को सीमित करते हैं।
- उदाहरण के लिए GSMA मोबाइल जेंडर गैप रिपोर्ट, 2023 दक्षिण एशिया में परिवार की अस्वीकृति को एक प्रमुख कारक के रूप में उजागर करती है।
- भाषा और उपयोगिता संबंधी बाधाएँ: स्थानीय भाषा समर्थन और यूजर फ्रेंडली इंटरफेस की कमी के कारण कई महिलाएँ इससे वंचित रह जाती हैं।
- उदाहरण के लिए, अंग्रेजी-केंद्रित पोर्टल ओडिशा और तमिलनाडु जैसे राज्यों की गैर-अंग्रेजी बोलने वाली महिलाओं को अलग-थलग कर देते हैं ।
- डेटा गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग का डर महिलाओं को डिजिटल सेवाओं का उपयोग करने से हतोत्साहित करता है।
- उदाहरण के लिए, CoWIN पोर्टल का कथित 2023 उल्लंघन, जहाँ लाखों लोगों का व्यक्तिगत डेटा टेलीग्राम बॉट के माध्यम से कथित तौर पर उजागर हुआ था। इन डेटा गोपनीयता का उदाहरण है।
- खराब डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर: दूरदराज के इलाकों में अविश्वसनीय इंटरनेट और बिजली प्लेटफॉर्म तक पहुँच को मुश्किल बनाती है।
- उदाहरण के लिए, भारतनेट परियोजना के तहत जुड़ी कई ग्राम पंचायतें अभी भी गैर-कार्यात्मक कनेक्टिविटी का सामना कर रही हैं, जैसा कि हाल ही में CAG रिपोर्ट में बताया गया है।
डिजिटल गवर्नेंस प्लेटफॉर्म ने महिलाओं के अधिकारों और कानूनी सुरक्षा तक पहुँच को बदल दिया है, लेकिन डिजिटल साक्षरता, बुनियादी ढाँचे और सामाजिक चुनौतियों पर नियंत्रण पाना आवश्यक है। यह वास्तव में समावेशी डिजिटल सशक्तीकरण हासिल करने के लिए महत्त्वपूर्ण है , जो समान विकास के लिए विकसित भारत @2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
PWOnlyIAS विशेष
आगे की राह: महिलाओं के डिजिटल सशक्तीकरण के लिए एक खाका
- डिजिटल साक्षरता के अंतर को कम करना: लिंग-संवेदनशील कार्यक्रमों के माध्यम से डिजिटल कौशल निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना, जो सामुदायिक नेटवर्क और सहकर्मी शिक्षण का लाभ उठाते हैं।
- उदाहरण के लिए , स्वयं सहायता समूहों (SHG) को ‘ डिजिटल सखियों ‘ के रूप में सशक्त बनाना ताकि महिलाओं को सरकारी ऐप और डिजिटल सेवाओं का उपयोग करने में मार्गदर्शन मिल सके।
- पहुँच क्षमता में वृद्धि: साक्षरता और भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करने में मदद के लिए स्थानीय भाषा के इंटरफेस और वॉयस-सक्षम सुविधाओं के साथ महिला-अनुकूल डिजिटल प्लेटफॉर्म डिजाइन करने चाहिए।
- उदाहरण के लिए , पोषण ट्रैकर ऐप में वॉयस-कमांड फंक्शन को एकीकृत करने से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपनी स्थानीय बोली में डेटा इनपुट कर सकते हैं ।
- डेटा सुरक्षा को मज़बूत करना: डेटा गोपनीयता सुनिश्चित करके और व्यक्तिगत डेटा उल्लंघनों के लिए सख्त जवाबदेही सुनिश्चित करके महिला उपयोगकर्ताओं के बीच डिजिटल विश्वास का निर्माण करना चाहिए।
- उदाहरण: SHe -Box जैसे प्लेटफ़ॉर्म की नियमित सुरक्षा ऑडिट और डिजिटल व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा अधिनियम, 2023 को लागू करके महिलाओं के संवेदनशील शिकायत डेटा की सुरक्षा की जा सकती है।
- महिला सहायता प्राप्त ‘ फिजिटल ‘ (Phygital) मॉडल लागू करना: सीमित डिजिटल कौशल वाली महिलाओं को ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग करने में सहायता करने के लिए
भौतिक-डिजिटल एक्सेस पॉइंट स्थापित करने चाहिए।
- उदाहरण के लिए, कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) और डाकघरों को सहायता प्राप्त हेल्प डेस्क के रूप में सुसज्जित करने से महिलाओं को आवेदन दाखिल करने, पात्रता ट्रैक करने और आत्मविश्वास के साथ शिकायत दर्ज करने में मदद मिलती है।
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