प्रश्न की मुख्य माँग
- भारत की राजकोषीय नीति पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के प्रभाव का परीक्षण कीजिए।
- कृषि बाजार सुधारों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के प्रभाव का परीक्षण कीजिए।
- चर्चा कीजिए कि ऐसी नीति कैसे बनाई जा सकती है, जिससे किसानों का कल्याण सुनिश्चित करते हुए इसके अप्रत्यक्ष प्रभावों को न्यूनतम किया जा सके।
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उत्तर
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भारत में एक महत्त्वपूर्ण नीतिगत उपकरण है, जो किसानों को संकटपूर्ण बिक्री से बचाने हेतु कुछ फसलों के लिए न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित करता है। जबकि इसका उद्देश्य किसानों की आय की रक्षा करना है, इसका प्रभाव राजकोषीय नीति और कृषि बाजार सुधारों पर भी पड़ता है, जो सरकारी व्यय, बाजार की गतिशीलता और संसाधन आवंटन को प्रभावित करता है।
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भारत की राजकोषीय नीति पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी का प्रभाव
- सरकारी व्यय में वृद्धि: MSP की गारंटी देने से खरीद लागत के कारण सरकारी व्यय में वृद्धि होती है, जिससे भारत के राजकोषीय बजट पर दबाव पड़ता है।
- उदाहरण के लिए: सरकार को MSP भुगतान के लिए अतिरिक्त धनराशि आवंटित करनी पड़ सकती है, जिससे अन्य कल्याणकारी योजनाओं को उपलब्ध हो सकने वाले संसाधन की कमी हो जाती है।
- सब्सिडी के लिए बजटीय आवंटन: MSP की गारंटी से किसानों को अधिक सब्सिडी मिल सकती है, जिससे समग्र राजकोषीय घाटे और मुद्रास्फीति प्रबंधन पर असर पड़ सकता है।
- उदाहरण के लिए: उच्च MSP गारंटी से सब्सिडी बजट पर दबाव पड़ सकता है, जिससे संभावित रूप से दीर्घकालिक अवधि में राजकोषीय घाटे और मुद्रास्फीति की दर बढ़ सकती है।
- राजकोषीय घाटा प्रबंधन: यदि राजस्व लाभ या अन्य व्यय क्षेत्रों में कमी करके इसकी भरपाई नहीं की गई तो उच्च MSP भुगतान से राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है।
- सार्वजनिक ऋण में वृद्धि : यदि MSP पर सरकारी व्यय राजस्व संग्रह से अधिक हो जाता है, तो इससे उधार लेने की आवश्यकता हो सकती है, जिससे सार्वजनिक ऋण में वृद्धि हो सकती है।
- मुद्रास्फीति संबंधी दबाव: MSP की गारंटी देने से मुद्रास्फीति संबंधी दबाव बढ़ सकता है, विशेष रूप से खाद्य कीमतों पर, जिसका व्यापक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
कृषि बाज़ार सुधारों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी का प्रभाव
- बाजार पर निर्भरता में कमी: MSP की गारंटी से अस्थिर बाजार मूल्यों पर किसानों की निर्भरता कम होती है, आय स्थिर होती है और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना: MSP की गारंटी किसानों को गेहूं और चावल जैसी परंपरागत फसलों से परे जाकर अधिक लाभदायक, संधारणीय विकल्प अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है।
- उदाहरण के लिए: दालों या तिलहनों के लिए गारंटीकृत MSP के साथ , पंजाब के किसान फसलों में विविधता ला सकते हैं, जिससे जल-गहन चावल की खेती पर निर्भरता कम हो सकती है।
- बाजार में विकृति का जोखिम: MSP गारंटी बाजार की कीमतों को विकृत कर सकती है, जिससे संभावित रूप से कुछ फसलों की अधिक आपूर्ति और अन्य की कम आपूर्ति हो सकती है।
- उदाहरण के लिए: यदि धान के लिए MSP अधिक है, तो किसान इसका अधिक उत्पादन कर सकते हैं, जिससे न बिकने वाले स्टॉक बन सकते हैं और बाजार असंतुलन हो सकता है।
- सीमित मूल्य निर्धारण: MSP लागू होने से खुले बाजार में प्राकृतिक मूल्य निर्धारण तंत्र में बाधा उत्पन्न हो सकती है, जिससे प्रतिस्पर्धा और मूल्य पारदर्शिता प्रभावित हो सकती है।
- भ्रष्टाचार और अक्षमताओं को बढ़ावा देना : यदि खरीद प्रक्रिया पारदर्शी और अच्छी तरह से प्रबंधित नहीं है, तो MSP योजनाएँ अक्षमताओं या भ्रष्टाचार को जन्म दे सकती हैं।
- उदाहरण के लिए: उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में , कुछ किसानों को MSP के बावजूद कम कीमतों पर अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जो प्रणाली में व्याप्त अक्षमताओं को उजागर करता है।
किसानों के कल्याण को सुनिश्चित करते हुए इसके अप्रत्यक्ष आर्थिक परिणामों को न्यूनतम करने के लिए नीति तैयार करना
- लक्षित MSP गारंटी: MSP गारंटी के अंतर्गत विशिष्ट फसलों और क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिससे क्षेत्रीय कृषि चुनौतियों का समाधान करते हुए अनावश्यक वित्तीय बोझ को कम किया जा सके।
- उदाहरण के लिए: जल की कमी वाले क्षेत्रों के लिए MSP को लक्षित किया जा सकता है, जिससे पंजाब में दलहन जैसी फसलों को बढ़ावा दिया जा सके ताकि जल का संरक्षण हो सके और फसल विविधता को बढ़ावा मिले।
- क्रमिक कार्यान्वयन: MSP गारंटी के क्रमिक कार्यान्वयन से सरकार को आर्थिक प्रभाव का आकलन करने और आवश्यक समायोजन करने में मदद मिलेगी।
- उदाहरण के लिए: MSP गारंटी को चरणों में लागू करने से किसानों की परेशानी को कम करने में इसकी प्रभावशीलता का परीक्षण करते हुए राजकोषीय प्रभाव को प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।
- फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करना: इस नीति के अंतर्गत किसानों को मुख्य अनाजों के अलावा अन्य फसलों के लिए MSP प्रदान करके फसलों में विविधता लाने हेतु प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे संधारणीय कृषि को बढ़ावा मिले।
- उदाहरण के लिए: तिलहन और दलहन के लिए MSP, किसानों को धान की खेती कम करने हेतु प्रोत्साहित कर सकती है , जिससे जल का संरक्षण करने और मृदा के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
- बाजार से जुड़ाव और खरीद दक्षता : बाजार के बुनियादी ढांचे और खरीद प्रणालियों को मजबूत करने से MSP लागतों को प्रबंधित करने और कार्यान्वयन में अक्षमताओं से बचने में मदद मिल सकती है।
- उदाहरण के लिए: सरकार कुशल खरीद सुनिश्चित करने के लिए भंडारण सुविधाओं और परिवहन में सुधार कर सकती है, जिससे MSP कार्यान्वयन की लागत कम हो सकती है।
- राजकोषीय ऑफसेट उपाय : सरकार,MSP लागत को संतुलित करने और राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने के लिए उर्वरकों जैसे इनपुट पर सब्सिडी को कम करने जैसे राजकोषीय ऑफसेट उपायों को लागू कर सकती है।
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कृषि अवसंरचना, प्रौद्योगिकी और बाजार सुधारों में निवेश बढ़ाने के साथ-साथ लक्षित MSP प्रणाली से राजकोषीय बोझ कम होगा। इसके अतिरिक्त, ग्रामीण ऋण प्रणालियों को मजबूत करने और वैश्विक बाजारों तक पहुँच बढ़ाने से इस क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता और समतापूर्ण विकास हो सकता है ।
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