Q. भारत-बांग्लादेश संबंधों पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की प्रत्यर्पण माँग के निहितार्थों का विश्लेषण कीजिए। इस माँग के उत्तर में भारत द्वारा अपनाए जा सकने वाले संभावित बचावों पर चर्चा कीजिए और दोनों देशों के मध्य आपसी विश्वास और सहयोग को मजबूत करने के उपाय भी सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग 

  • भारत-बांग्लादेश संबंधों पर शेख हसीना की प्रत्यर्पण माँग के निहितार्थ का विश्लेषण कीजिए।
  • इस माँग के उत्तर में भारत द्वारा अपनाए जा सकने वाले संभावित उपायों पर चर्चा कीजिए। 
  • आपसी विश्वास एवं सहयोग को मजबूत करने के उपाय सुझाएँ।

उत्तर

पूर्व PM शेख हसीना की प्रत्यर्पण माँग बांग्लादेश में आपराधिक गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों की वापसी के अनुरोध से संबंधित है, जो भारत-बांग्लादेश संबंधों को प्रभावित कर सकती है। प्रत्यर्पण, मुकदमे का सामना करने के लिए व्यक्तियों को आत्मसमर्पण करने की एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसके भूराजनीतिक, कानूनी एवं राजनयिक आयाम हैं। यह माँग सहयोग बढ़ाने के लिए चुनौतियां तथा अवसर दोनों प्रस्तुत करती है, जिससे भारत को रणनीतिक हितों के साथ कानूनी दायित्वों को संतुलित करने की आवश्यकता होती है।

Enroll now for UPSC Online Course

शेख हसीना की प्रत्यर्पण माँग का भारत-बांग्लादेश संबंधों पर प्रभाव

  • तनावपूर्ण राजनयिक संबंध: प्रत्यर्पण की माँग से देशों के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ सकता है, जिससे द्विपक्षीय समझौते एवं रणनीतिक सहयोग जटिल हो सकते हैं।
    • उदाहरण के लिए: प्रत्यर्पण मुद्दे के कारण विश्वास में कमी के कारण भारत-बांग्लादेश व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते के तहत व्यापार वार्ता में देरी हो सकती है।
  • पारस्परिक विश्वास को कमजोर करना: प्रत्यर्पण से इनकार पक्षपात या हस्तक्षेप की धारणा उत्पन्न कर सकता है, जिससे निष्पक्षता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता में बांग्लादेश का विश्वास कमजोर हो सकता है।
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व के लिए भारत के पिछले समर्थन को देखते हुए, बांग्लादेश भारत के रुख को दोहरे मानक के रूप में देख सकता है।
  • भू-राजनीतिक प्रभाव: प्रत्यर्पण के मुद्दे दक्षिण एशिया में स्थिरता के लिए क्षेत्रीय गठबंधनों एवं बहुपक्षीय प्रयासों को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे नेपाल तथा भूटान जैसे अन्य पड़ोसियों के साथ संबंध प्रभावित हो सकते हैं।
    • उदाहरण के लिए: यदि भारत एवं बांग्लादेश सहयोगात्मक प्रयासों पर द्विपक्षीय विवादों को प्राथमिकता देते हैं तो क्षेत्रीय एकीकरण के लिए SAARC पहल को झटका लग सकता है।
  • बांग्लादेश में राजनीतिक नतीजा: प्रत्यर्पण की माँग बांग्लादेश की घरेलू राजनीति का ध्रुवीकरण कर सकती है, जिससे संभावित रूप से आंतरिक अशांति एवं भारत विरोधी भावनाएं भड़क सकती हैं।
    • उदाहरण के लिए: बांग्लादेश में राजनीतिक दल भारत को देश की संप्रभुता में हस्तक्षेप करने वाले के रूप में चित्रित करते हुए, जनता का समर्थन जुटाने के लिए प्रत्यर्पण मुद्दे का उपयोग कर सकते हैं।
  • सीमा पार पहल पर प्रभाव: प्रत्यर्पण मुद्दा महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे एवं कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर भारत तथा बांग्लादेश के बीच मौजूदा सहयोग को पटरी से उतार सकता है।
    • उदाहरण के लिए: प्रत्यर्पण माँग को लेकर राजनीतिक खींचतान के कारण कोलकाता-ढाका बस सेवा एवं तीस्ता जल-बंटवारा समझौते जैसी परियोजनाओं में देरी हो सकती है।

इस माँग के जवाब में भारत संभावित सुरक्षा उपाय अपना सकता है:

  • मानवाधिकार संबंधी चिंताएँ: भारत बांग्लादेश में खराब जेल स्थितियों जैसी मिसालों का हवाला देते हुए तर्क दे सकता है कि शेख हसीना को बांग्लादेश की हिरासत में अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ सकता है।
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग बनाम अरुणाचल प्रदेश मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गैर-नागरिकों की रक्षा की।
  • गैर-जाँच का नियम: भारत न्यायिक हस्तक्षेप के बिना अनुरोध को अस्वीकार करने के लिए सामान्य कानून सिद्धांतों के तहत प्रत्यर्पण की विवेकाधीन प्रकृति का दावा कर सकता है।
    • उदाहरण के लिए: भारतीय प्रत्यर्पण अधिनियम, 1962 कार्यपालिका को शेख हसीना जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों में विवेक का प्रयोग करने की अनुमति देता है।
  • वैकल्पिक कानूनी तंत्र: भारत मुकदमे में आभासी भागीदारी, प्रत्यर्पण के बिना अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का अनुपालन बनाए रखने जैसे वैकल्पिक समाधान प्रस्तावित कर सकता है।
    • उदाहरण के लिए: भारत इन-हाउस अरेस्ट की शर्तों की पेशकश कर सकता है एवं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भागीदारी सुनिश्चित कर सकता है, जैसा कि पिछले मामलों में ट्रायल के तहत राजनीतिक हस्तियों से जुड़ा था।
  • द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि की शर्तें: भारत तर्क दे सकता है, कि वर्ष 2013 की संधि की शर्तों के तहत संभावित अनुचित परीक्षणों का सामना करने वाले राजनीतिक आंकड़ों के प्रत्यर्पण की आवश्यकता नहीं है।
    • उदाहरण के लिए: संधि की व्याख्या उन व्यक्तियों की रक्षा के रूप में की जा सकती है जिन्हें राजनीतिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ सकता है, जो मौजूदा आरोपों के तहत शेख हसीना पर लागू हो सकता है।
  • संप्रभुता की सुरक्षा: भारत यह दावा कर सकता है, कि प्रत्यर्पण उसके संवैधानिक सिद्धांतों एवं गैर-नागरिकों के अधिकारों के अनुरूप नहीं हो सकता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि उनके साथ अन्याय नहीं किया जाएगा।
    • उदाहरण के लिए: भारतीय उच्चतम न्यायलय ने पहले अनुच्छेद 21 के तहत गैर-नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की है, यह फैसला देते हुए कि उन्हें यातना या अनुचित परीक्षणों से सुरक्षा मिलनी चाहिए।

आपसी विश्वास एवं सहयोग को मजबूत करने के उपाय

  • पारदर्शी संचार चैनल: गलतफहमियों को दूर करने के लिए खुले संवाद स्थापित करने से राष्ट्रों के बीच आपसी सम्मान एवं विश्वास को बढ़ावा मिल सकता है।
  • सहयोगात्मक कानूनी ढाँचे: संवेदनशील मामलों को संभालने के लिए संयुक्त रूप से एक द्विपक्षीय तंत्र विकसित करने से एकतरफा निर्णयों को रोका जा सकता है एवं आपसी विश्वास को मजबूत किया जा सकता है।
  • क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ाना: आर्थिक एकीकरण एवं सुरक्षा जैसे व्यापक मुद्दों पर सहयोग को प्राथमिकता देने से प्रत्यर्पण माँग जैसे विशिष्ट विवादों से तनाव कम हो सकता है।
  • मानवीय विचार: प्रत्यर्पण परिणाम की परवाह किए बिना, शेख हसीना का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए दोनों देश मानवीय कूटनीति में संलग्न हो सकते हैं।
  • क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग: आतंकवाद विरोधी एवं सीमा सुरक्षा पर सहयोग को मजबूत करना बांग्लादेश को उसकी संप्रभुता का समर्थन करने के भारत के इरादे के बारे में आश्वस्त कर सकता है।

Check Out UPSC CSE Books From PW Store

पूर्व PM शेख हसीना की प्रत्यर्पण माँग भारत-बांग्लादेश संबंधों के लिए चुनौतियाँ उत्पन्न करती है, एक संतुलित राजनयिक दृष्टिकोण आपसी हितों की रक्षा सुनिश्चित कर सकता है। भारत क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता सुनिश्चित करते हुए कानूनी, कूटनीतिक एवं रणनीतिक सुरक्षा अपना सकता है। व्यापार, आतंकवाद-निरोध तथा लोगों से लोगों के बीच संबंधों में संवर्धित सहयोग के माध्यम से द्विपक्षीय विश्वास को मजबूत करने से दीर्घकालिक स्थिरता एवं सहयोग का मार्ग प्रशस्त होगा।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.