Q. भारत का AI गवर्नेंस फ्रेमवर्क उभरती प्रौद्योगिकियों के प्रबंधन के लिए एक अनुकूली नियामक दृष्टिकोण अपनाता है। AI द्वारा उत्पन्न चुनौतियों और नवाचार, जवाबदेही और जोखिम प्रबंधन पर इसके प्रभाव की जाँच कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • AI से उत्पन्न चुनौतियाँ
  • नवाचार पर प्रभाव
  • जवाबदेही पर प्रभाव
  • जोखिम प्रबंधन पर प्रभाव।

उत्तर

भारत का कृत्रिम बुद्धिमत्ता शासन ढाँचा एक अनुकूलनशील दृष्टिकोण अपनाता है। नए कानून जल्दबाजी में लाने के बजाय, यह मौजूदा कानूनों को अद्यतन करके नवाचार, जवाबदेही और जोखिम प्रबंधन के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास करता है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता से उत्पन्न चुनौतियाँ

  • नियामक रिक्तता: वर्तमान क़ानून जैसे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 AI से पहले बनाए गए थे, और इनमें “मध्यस्थ” की परिभाषा स्वायत्त या जनरेटिव AI के संदर्भ में स्पष्ट नहीं है।
    • उदाहरण: AI द्वारा उत्पन्न सामग्री से हुए नुकसान की कानूनी जिम्मेदारी अभी भी अस्पष्ट है।
  • डेटा गोपनीयता संघर्ष: AI को बड़े डाटा सेट की आवश्यकता होती है, जो डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम, 2023 में वर्णित उद्देश्य सीमितता और भंडारण न्यूनता सिद्धांतों से टकराता है।
    • उदाहरण: AI मॉडल, मूल रिकॉर्ड हटाने के बाद भी व्यक्तिगत डेटा को संरक्षित रख सकते हैं।
  • कानूनी अनिश्चितता: डेवलपर्स और उपयोगकर्ताओं को अपनी जिम्मेदारियों और छूटों के बारे में स्पष्टता नहीं है।
    • उदाहरण: ऐतिहासिक डाटा का उपयोग AI प्रशिक्षण में करने से कंपनियाँ कानूनी विवादों में फँस सकती हैं।
  • उत्तरदायित्व अस्पष्टता: जब AI के परिणाम हानिकारक या भ्रामक सिद्ध होते हैं, तो जवाबदेही तय करना कठिन होता है।
    • उदाहरण: डीपफेक वीडियो या पक्षपाती AI पूर्वानुमान। 
  • प्रौद्योगिकी का तीव्र विकास: AI का विकास कानून निर्माण से तेज है, जिससे वर्तमान कानून अप्रासंगिक या अप्रभावी हो सकते हैं।
  • उदाहरण: वित्त या स्वास्थ्य क्षेत्र में स्वायत्त निर्णय प्रणाली मौजूदा कानूनों से परे हैं।

नवाचार पर प्रभाव 

  • धीमी अपनाने की संभावना: कानूनी अनिश्चितता के कारण कंपनियाँ AI अपनाने से समस्या हो सकती हैं।
  • लचीले विकास को प्रोत्साहन: अनुकूलनशील नियमन AI प्रयोग को कठोर कानूनी बाधाओं से मुक्त रखता है।
    • उदाहरण: स्टार्ट-अप्स को AI मॉडल विकसित करने की स्वतंत्रता मिलती है, जबकि कानून धीरे-धीरे अनुकूलित होते हैं।
  • समावेशी विकास को बढ़ावा: यह ढाँचा नवाचार और सामाजिक सुरक्षा उपायों के बीच संतुलन रखता है, जिससे समान और नैतिक AI तैनाती संभव होती है।

जवाबदेही पर प्रभाव

  • जिम्मेदारी की स्पष्टता का अभाव: अनुकूलनशील मॉडल यह स्पष्ट करने की आवश्यकता दर्शाता है कि AI से हुई त्रुटियों या हानि की जिम्मेदारी किसकी है।
    • उदाहरण: AI-आधारित वित्तीय सलाह में गलती होने पर जवाबदेही अनिश्चित रहती है।
  • निगरानी तंत्र की आवश्यकता: मौजूदा कानूनों की समीक्षा कर स्पष्ट जवाबदेही प्रणाली बनाना आवश्यक है।
  • सार्वजनिक विश्वास पर प्रभाव: कानूनी स्पष्टता से AI के नैतिक उपयोग पर जनता का विश्वास बढ़ता है।
    • उदाहरण: यदि AI-आधारित शिकायत निवारण प्रणाली में जिम्मेदारी अस्पष्ट है, तो नागरिकों का भरोसा घटता है।

जोखिम प्रबंधन पर प्रभाव

  • नियामक क्षेत्रों की पहचान का आभाव:  यह ढाँचा AI के उपयोग में छिपे जोखिमों को सामने लाता है।
    • उदाहरण: निगरानी या डीपफेक अभियानों में AI का दुरुपयोग।
  • निरंतर कानूनी मूल्यांकन: लगातार समीक्षा से उभरते जोखिमों का प्रभावी शमन संभव होता है।
  • लचीलापन और सुरक्षा का संतुलन: नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए सुरक्षा से समझौता न हो — यह ढाँचा इसी सिद्धांत पर आधारित है।
    • उदाहरण: स्वायत्त वाहन  को लगातार अद्यतन सुरक्षा नियमों के अंतर्गत निगरानी की आवश्यकता।

निष्कर्ष 

भारत का अनुकूली AI शासन दृष्टिकोण नियामक अंतराल को संबोधित करते हुए नवाचार, जवाबदेही और जोखिम प्रबंधन में सामंजस्य स्थापित करना चाहता है। भारत को कानूनी ढाँचे का आधुनिकीकरण करना होगा, नियामक खामियों को दूर करना होगा तथा AI जवाबदेही को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना होगा। अनुकूली दिशा-निर्देशों, सैंडबॉक्स और पारदर्शी निरीक्षण के माध्यम से नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए डेटा की सुरक्षा और जोखिमों का प्रबंधन सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे AI समावेशी विकास, सार्वजनिक विश्वास और नैतिक, जिम्मेदार तकनीकी उन्नति को बढ़ावा देगा।

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