Q. भारत का लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत का दर्जा हासिल करना है, जिसके लिए 8% या उससे अधिक की वार्षिक वृद्धि दर की आवश्यकता है। ऐतिहासिक आर्थिक विकास प्रवृत्तियों और वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के आलोक में इस लक्ष्य की व्यवहार्यता का विश्लेषण कीजिए। ऐसी उच्च विकास दर को बनाए रखने के लिए नीतिगत उपाय सुझाएँ।(15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • 2047 तक विकसित भारत का दर्जा प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य पर चर्चा कीजिए, जिसके लिए 8% या उससे अधिक की वार्षिक वृद्धि दर की आवश्यकता होगी।
  • ऐतिहासिक आर्थिक विकास प्रवृत्तियों और वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के आलोक में इस लक्ष्य की व्यवहार्यता का विश्लेषण कीजिए।
  • ऐसी उच्च विकास दर को बनाए रखने के लिए नीतिगत उपाय सुझाइये।

उत्तर

विकसित भारत 2047, एक विकसित भारत का विजन, एक उभरते हुए वैश्विक आर्थिक नेतृत्वकर्ता बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे राष्ट्र की आकांक्षाओं के अनुरूप है। दो दशकों तक चलने वाले जनसांख्यिकीय लाभांश और मेक-इन-इंडिया जैसी पहलों के साथ, भारत की आर्थिक क्षमता अपार है। हालाँकि, लगातार 8%+ की वृद्धि हासिल करने के लिए वैश्विक अनिश्चितताओं से निपटना होगा।

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भारत का लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत का दर्जा हासिल करना

  • प्रति व्यक्ति आय वृद्धि का उद्देश्य: भारत का लक्ष्य 8% की वार्षिक वृद्धि दर के माध्यम से 2023 में अपनी प्रति व्यक्ति आय को 2,540 डॉलर से बढ़ाकर 2047 तक 14,005 डॉलर करना है। 
    • उदाहरण के लिए: विश्व बैंक ने 2024 में प्रति व्यक्ति आय 14,005 डॉलर से अधिक  वाले  देशों को विकसित देशों के रूप में परिभाषित किया है, जिससे भारत का लक्ष्य वैश्विक मानदंडों के अनुरूप हो गया है।
  • केंद्रित 25-वर्षीय नीति ढाँचा: भारत स्पष्ट लक्ष्य और “मेक-इन-इंडिया” और “डिजिटल इंडिया” जैसी क्षेत्र-विशिष्ट योजनाओं के साथ स्थिर आर्थिक विकास सुनिश्चित करने हेतु दीर्घकालिक रणनीतियों को लागू कर रहा है।
  • जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाना: प्रत्येक वर्ष 1 करोड़ से अधिक युवा कार्यबल के आने के साथ, भारत की नीतियों का लक्ष्य शिक्षा, कौशल और स्वास्थ्य कार्यक्रमों के ज़रिए उनकी क्षमता का दोहन करना है। 
    • उदाहरण के लिए: प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) ने 2015 में अपनी शुरुआत के बाद से 13 मिलियन से ज़्यादा लोगों को प्रशिक्षित किया है।
  • MSME विकास को मजबूत करना: विकासोन्मुखी दृष्टिकोण उद्योगों, MSMEs और आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्राथमिकता देता है ताकि उच्च मूल्य वाली वस्तुओं और सेवाओं के लिए उत्पादन और आगे-पीछे के संबंधों को बढ़ावा दिया जा सके। 
    • उदाहरण के लिए: भारत के MSMEs ने वित्त वर्ष 2022 में सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30% और निर्यात में 49% का योगदान दिया, जो विकास चालकों के रूप में उनकी क्षमता को दर्शाता है।
  • एकीकृत शासन दृष्टिकोण: नीति आयोग जैसी संस्थाओं के माध्यम से केंद्रीय और राज्य नीतियों को संरेखित करके, भारत संसाधन आवंटन और संतुलित क्षेत्रीय विकास में समन्वय सुनिश्चित कर रहा है।

ऐतिहासिक रुझानों और वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर लक्ष्य की व्यवहार्यता

ऐतिहासिक रुझान

  • स्थिर विकास रिकॉर्ड: भारत ने पिछले दशक में 6-7% की औसत वार्षिक वृद्धि दर हासिल की है, जो निरंतर विकास की क्षमता को दर्शाता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 में 7.2% GDP वृद्धि दर्ज की, जिससे यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया।
  • जनसांख्यिकीय लाभांश उपयोग: 28 वर्ष की माध्य आयु (Median Age)  के साथ, भारत उद्योग-प्रासंगिक कौशल के साथ कार्यबल विकसित करके और रोजगार क्षमता को बढ़ाकर अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठा सकता है।
    • उदाहरण के लिए: आज तक, PMKVY ने 1.42 करोड़ व्यक्तियों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया है, जिनमें से 1.13 करोड़ व्यक्तियों को इसके अल्पकालिक प्रशिक्षण (STT), विशेष परियोजनाओं (SP) और पूर्व शिक्षण की मान्यता (RPL) घटकों में प्रमाणन प्राप्त हुआ है।
  • विनिर्माण क्षेत्र की संभावना: सकल घरेलू उत्पाद में भारत के विनिर्माण क्षेत्र का योगदान केवल 15-17% है, जो मेक-इन-इंडिया जैसी पहलों के तहत विस्तार का अवसर प्रस्तुत करता है। 
    • उदाहरण के लिए: विनिर्माण क्षेत्र में भारत के FDI प्रवाह में वर्ष 2004-2014 की अवधि की तुलना में पिछले दशक (2014-2024) में लगभग 70% की वृद्धि हुई है।

वैश्विक चुनौतियाँ

  • वैश्विक मंदी का प्रभाव: बढ़ती मुद्रास्फीति और धीमा वैश्विक व्यापार निर्यात-आधारित वृद्धि को प्रभावित कर सकता है, विशेषकर तब जब भारत प्रौद्योगिकी और पूंजी के लिए वैश्विक बाजारों पर निर्भर है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2023 में, विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने वैश्विक व्यापार वृद्धि में 1.7% की गिरावट का अनुमान लगाया है, जिससे भारत के निर्यात लक्ष्य प्रभावित होंगे।
  • ऊर्जा संक्रमण लागत: नवीकरणीय ऊर्जा की ओर वैश्विक परिवर्तन, भारत के संसाधनों पर दबाव डाल सकते हैं क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए जीवाश्म ईंधन से संधारणीय ऊर्जा स्रोतों में बदलाव कर रहा है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2022 के लिए भारत का सौर ऊर्जा उत्पादन लक्ष्य 27% कम रहा, जो नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में चुनौतियों को दर्शाता है।
  • भू-राजनीतिक तनाव: रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे भू-राजनीतिक मुद्दों के कारण व्यापार में व्यवधान, कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि कर सकता है और भारत के आयात व राजकोषीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत की अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण कच्चे तेल के आयात की लागत वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में 51% बढ़ गई।

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उच्च विकास दर को बनाए रखने के लिए नीतिगत उपाय

  • बुनियादी ढाँचे के विकास को बढ़ावा देना: लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार और निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए सड़क, रेलवे, बंदरगाह और डिजिटल बुनियादी ढांचे जैसे भौतिक बुनियादी ढांचे में निवेश करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (NIP) का लक्ष्य 2025 तक विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में ₹111 लाख करोड़ का निवेश करना है।
  • कौशल और शिक्षा को बढ़ावा देना: व्यावसायिक प्रशिक्षण का विस्तार करना चाहिए और शिक्षा को उद्योग जगत की आवश्यकताओं के साथ संरेखित करना चाहिए ताकि कार्यबल की उत्पादकता में सुधार हो और जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाया जा सके। 
    • उदाहरण के लिए: नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 कौशल-आधारित शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करती है, जो स्कूली पाठ्यक्रम में व्यावसायिक प्रशिक्षण को एकीकृत करती है।
  • वित्तीय क्षेत्र को मजबूत करना: बैंकिंग और गैर-बैंकिंग क्षेत्रों में सुधारों के माध्यम से वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहित करें और MSMEs, स्टार्टअप और ग्रामीण उद्यमों जैसे प्रमुख क्षेत्रों में ऋण प्रवाह सुनिश्चित करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: ECLGS योजना ने महामारी के दौरान MSMEs को 4.5 लाख करोड़ रुपये के जमानत-मुक्त ऋण प्रदान किए, जिससे उनकी वसूली को बढ़ावा मिला।
  • अक्षय ऊर्जा क्षमता का विस्तार करना:  अक्षय ऊर्जा अवसंरचना में निवेश करना चाहिए और बढ़ती ऊर्जा माँगों को स्थायी रूप से पूरा करने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: भारत का लक्ष्य अपने राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करना है।
  • अनुसंधान और विकास (R&D) को प्रोत्साहित करना चाहिए: उत्पादकता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए AI, जैव प्रौद्योगिकी और 5G जैसी उन्नत तकनीकों में नवाचार को प्रोत्साहित करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLU) योजना,उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने हेतु ₹1.97 लाख करोड़ का प्रोत्साहन प्रदान करती है।

2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए साहसिक सुधारों और प्रत्यास्थ रणनीतियों की आवश्यकता है। नवाचार को बढ़ावा देकर, समावेशी विकास सुनिश्चित करके तथा बुनियादी ढांचे और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देकर, भारत वैश्विक चुनौतियों से ऊपर उठ सकता है। नीतियों में “सुधार, प्रदर्शन, परिवर्तन” पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिसमें कुशल जनशक्ति, व्यापार में सुगमता और निर्यात प्रतिस्पर्धा पर जोर दिया जाना चाहिए ताकि आवश्यक 8%+ विकास दर को बनाए रखा जा सके।

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