प्रश्न की मुख्य माँग
- LAC गतिरोध को हल करने के लिए गश्त व्यवस्था पर भारत और चीन के बीच हाल ही में हुए समझौते पर चर्चा कीजिए।
- भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के महत्त्व पर चर्चा कीजिए।
- विश्लेषण कीजिए कि यह स्थिरता भारत की व्यापक विदेश नीति के उद्देश्यों में किस प्रकार योगदान देती है।
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उत्तर
LAC पर गश्त व्यवस्था पर भारत-चीन समझौते का उद्देश्य मई 2020 से चले आ रहे सीमा तनाव को कम करना है। यह समझौता वर्ष 2020 से पूर्व की स्थिति को बहाल करता है जिसमें दोनों देश विवादित क्षेत्रों में फिर से गश्त शुरू करेंगे और संघर्षों से बचने के लिए गश्त की आवृत्ति को सीमित करेंगे। यह सीमा मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
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LAC गतिरोध को हल करने के लिए गश्त व्यवस्था पर हालिया समझौता
- वर्ष 2020 से पूर्व के गश्ती अधिकारों की बहाली: यह समझौता दोनों देशों को उन क्षेत्रों में फिर से गश्त शुरू करने की अनुमति देता है जिन पर वे वर्ष 2020 के गतिरोध से पहले निगरानी रखते थे, जिससे LAC व्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण पहलू बहाल हो गया।
- उदाहरण के लिए: भारतीय और चीनी सैनिक अब गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो में टकराव वाले बिंदुओं पर गश्त करेंगे, जहाँ पहले हिंसक झड़पें हुई थीं।
- गश्त की आवृत्ति सीमित की जाएगी ताकि तनाव न बढ़े: गश्त महीने में केवल दो बार होगी, और प्रत्येक पक्ष शुरू करने से पहले दूसरे पक्ष को सूचित करेगा, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और अनजाने में होने वाली झड़पों का जोखिम कम होगा।
- उदाहरण के लिए: देपसांग मैदानों में गश्त व्यवस्था इस प्रोटोकॉल का पालन करेगी, जिससे सैनिकों के बीच संघर्ष की संभावना कम हो जाएगी।
- गश्त पर सैनिकों की एक सीमित संख्या: प्रत्येक गश्ती समूह में अधिकतम 14 सैनिक होंगे , जिससे यह सुनिश्चित होगा कि गश्ती दल गैर-खतरनाक और प्रबंधनीय रहे, जिससे संवेदनशील क्षेत्रों में तनाव कम हो।
- उदाहरण के लिए: हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में गश्ती समूह इस सीमा का पालन करेंगे जिससे भविष्य में हो सकने वाली किसी मुठभेड़ से बचा जा सके।
- नियमित कमांडर-स्तरीय बैठकें: किसी भी उभरते मुद्दे को संबोधित करने और खुले संचार को बनाए रखने के लिए, दोनों पक्षों के सैन्य कमांडर नियमित रूप से मिलेंगे, जिससे कूटनीतिक संवाद प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा।
- उदाहरण के लिए: भारतीय और चीनी कमांडर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (WMCC) के माध्यम से चर्चा जारी रखेंगे।
- संघर्ष कम करने के लिए बफर जोन: यह समझौता ,संघर्ष को रोकने और LAC पर स्थिरता बढ़ाने के लिए प्रमुख क्षेत्रों में बफर जोन की स्थापना को मजबूत करता है।
- उदाहरण के लिए: पैंगोंग त्सो झील के किनारे बफर जोन बनाए गए हैं, जहाँ पहले झड़पें हुई थीं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नज़दीकी इलाकों में सेना की तैनाती न हो।
भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के लिए LAC पर शांति और स्थिरता बनाए रखने का महत्त्व
- बड़े पैमाने के सैन्य संघर्ष से बचाव: LAC पर शांति बनाए रखने से भारत को चीन के साथ बड़े पैमाने के सैन्य संघर्ष से बचने में मदद मिलती है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता दोनों ही सुनिश्चित होती है ।
- उदाहरण के लिए: लद्दाख में तनाव कम होने से आगे होने वाली सैन्य मुठभेड़ों को रोका जा सकता है, जिससे भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा होती है।
- सामरिक सीमा क्षेत्रों को सुरक्षित करना: LAC पर शांति स्थापित करने से भारत, डेपसांग मैदान जैसे सामरिक क्षेत्रों को सुरक्षित कर पाता है, जो संभावित चीनी आक्रमणों के खिलाफ भारत की रक्षात्मक क्षमताओं को बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
- अन्य सामरिक मोर्चों पर ध्यान केंद्रित करने में सुविधा: LAC पर स्थिरता, भारत को अपने सैन्य और कूटनीतिक संसाधनों को अन्य सामरिक मोर्चों, जैसे पाकिस्तान और हिंद महासागर क्षेत्र में बिना किसी तनाव के आवंटित करने में सक्षम बनाती है।
- उदाहरण के लिए: यह समझौता भारत को नौसैनिक सहयोग और गठबंधनों के माध्यम से हिंद महासागर में चीनी प्रभाव का मुकाबला करने पर ध्यान केंद्रित करने की सुविधा प्रदान करता है।
- महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा: शांति बनाए रखने से भारत को सीमावर्ती क्षेत्रों में
बुनियादी ढाँचे का विकास करने , तत्काल संघर्ष के जोखिम के बिना कनेक्टिविटी और रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने की सुविधा मिलती है।
- उदाहरण के लिए: भारत का सीमा सड़क संगठन (BRO) अपने रणनीतिक बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने के लिए लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में सड़कें बनाना जारी रखे हुए है।
- आर्थिक और व्यापारिक स्थिरता: LAC पर शांतिपूर्ण स्थिति यह सुनिश्चित करती है कि आर्थिक क्षेत्र में तनाव की स्थिति न आये जिससे चीन के साथ भारत के व्यापारिक संबंध सुरक्षित रहेंगे तथा भारत आर्थिक साझेदारियों के माध्यम से चीनी प्रभाव को भी संतुलित कर पायेगा।।
यह स्थिरता भारत की व्यापक विदेश नीति के उद्देश्यों में किस प्रकार योगदान देती है
- सामरिक स्वायत्तता बढ़ाना: LAC पर स्थिरता भारत को अपनी सामरिक स्वायत्तता की नीति को आगे बढ़ाने में मदद करती है, जहाँ वह किसी एक शक्ति पर अत्यधिक निर्भर हुए बिना अमेरिका, चीन और रूस के बीच संबंधों को संतुलित कर सकता है।
- उदाहरण के लिए: अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ अपनी क्वाड साझेदारी को गहरा करते हुए भारत, BRICS और SCO के माध्यम से चीन के साथ भी अपना जुड़ाव बनाये रखने हुये है।
- दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय नेतृत्व को सुगम बनाना: सीमा तनाव को हल करके, भारत दक्षिण एशिया में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका को मजबूत करता है और क्षेत्रीय सहयोगियों को आकर्षित करते हुए शांति-प्रचारक शक्ति के रूप में अपनी छवि को मजबूत करता है।
- उदाहरण के लिए: LAC पर स्थिरता भारत को BIMSTEC में अपने नेतृत्व को स्थापित करने में मदद करती है , जिससे क्षेत्रीय सहयोग बढ़ता है।
- वैश्विक कूटनीतिक जुड़ाव को मजबूत करना: LAC पर स्थिरता बनाये रखने से भारत, संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों में अपने वैश्विक कूटनीतिक जुड़ाव पर ध्यान केंद्रित कर पाता है जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर प्रमुख वैश्विक चर्चाओं में इसके हितों का भी ध्यान रखा जाता है।
- एशिया में चीन के प्रभाव को संतुलित करना: सीमा पर शांति बनाए रखकर, भारत जापान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे समान विचारधारा वाले लोकतंत्रों के साथ गठबंधन करके एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित कर सकता है।
- उदाहरण के लिए: QUAD गठबंधन में भारत की भागीदारी, चीनी प्रभुत्व का मुकाबला करते हुए एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने की उसकी प्रतिबद्धता को उजागर करती है।
- बहुपक्षीय सहभागिता को बढ़ावा देना: LAC पर स्थिरता भारत को BRICS और SCO जैसे बहुपक्षीय मंचों में सहभागिता करने का अवसर प्रदान करती है , जिससे क्षेत्रीय संघर्षों के संतुलित और शांतिपूर्ण समाधान की वकालत होती है।
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हालिया भारत-चीन समझौता LAC पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है , जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के लक्ष्यों के लिए महत्त्वपूर्ण है। क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करके, क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देकर और व्यापक कूटनीतिक जुड़ाव के माध्यम से यह स्थिरता भारत को वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका निभाते हुए अपने रणनीतिक हितों पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देती है। आगे बढ़ते हुए, इस संतुलन को बनाए रखना भारत की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के लिए महत्त्वपूर्ण होगा ।
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