प्रश्न की मुख्य माँग
- परीक्षण कीजिए कि AI एक्शन समिट में भारत की सह-अध्यक्षता किस प्रकार उसकी बढ़ती हुई टेक डिप्लोमेसी को प्रतिबिंबित करती है।
- विश्लेषण कीजिए कि भारत इस स्थिति का लाभ, ग्लोबल साउथ के हितों और कृत्रिम बुद्धिमता की सुरक्षा चिंताओं के बीच संतुलन बनाने में कैसे उठा सकता है।
- विश्लेषण कीजिए कि भारत उभरती हुई AI-संचालित विश्व व्यवस्था में रणनीतिक स्वायत्तता कैसे बनाए रख सकता है।
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उत्तर
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) अर्थात् मशीनों द्वारा मानव बुद्धि का अनुकरण, वैश्विक गतिशीलता को नया आकार दे रहा है। पेरिस में AI एक्शन समिट में भारत की प्रमुख भूमिका, अंतर्राष्ट्रीय AI नीतियों को प्रभावित करने की उसकी प्रतिबद्धता को उजागर करती है। यह नेतृत्व ग्लोबल साउथ के हितों की वकालत करने के लिए एक मंच प्रदान करता है और यह सुनिश्चित करता है कि AI उन्नति समावेशी हो और इन देशों के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों का समाधान करे।
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भारत की सह-अध्यक्षता और बढ़ती तकनीकी कूटनीति
- AI गवर्नेंस में नेतृत्व: भारत की सह-अध्यक्षता नवाचार को बढ़ावा देते हुए बहुपक्षीय AI सुरक्षा ढाँचे में सक्रिय रूप से भाग लेकर वैश्विक AI गवर्नेंस को आकार देने में इसके उभरते नेतृत्व को दर्शाती है।
- उदाहरण के लिए: AI पर वैश्विक भागीदारी (GPAI) में भारत की भूमिका, न्यायसंगत AI पहुँच और जिम्मेदार शासन ढाँचे की आवश्यकता पर बल देती है ।
- ग्लोबल नॉर्थ और साउथ के बीच सेतु: भारत एक महत्वपूर्ण मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है, जो ग्लोबल नॉर्थ की AI विनियामक प्राथमिकताओं को ग्लोबल साउथ की AI-संचालित विकास समाधानों की आवश्यकता के साथ संतुलित करता है।
- उदाहरण के लिए: भारत की G20 प्रेसीडेंसी (2023) ने विकास आवश्यकताओं के साथ सुरक्षा चिंताओं को एकीकृत करते हुए एक नवाचार समर्थक AI शासन दृष्टिकोण को जन्म दिया।
- AI कूटनीति को आगे बढ़ाना: भारत, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय AI साझेदारी को मजबूत करता है, जिससे प्रमुख वैश्विक कंपनियों के साथ अग्रणी प्रौद्योगिकियों में AI तक पहुँच और सहयोग सुनिश्चित होता है।
- उदाहरण के लिए: यूरोपीय संघ, अमेरिका और फ्रांस के साथ भारत की AI साझेदारी, AI सुरक्षा और AI-संचालित डिजिटल परिवर्तन को सक्षम करने दोनों पर केंद्रित है।
- नैतिक AI ढाँचे को आकार देना: नैतिक रूप से जिम्मेदार AI के लिए भारत की पक्षकारिता, इसे ऐसे वैश्विक मानदंडों के विकास के केंद्र में रखती है जो विविध सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं को पूरा करते हैं।
- उदाहरण के लिए: भाषिनी पहल, AI में भाषाई विविधता को बढ़ावा देती है और गैर-अंग्रेजी बोलने वालों के लिए समावेशिता सुनिश्चित करती है व भारत में AI की पहुँच को बढ़ाती है।
- डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना को मजबूत करना: भारत ने अपने डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) की सफलता को प्रदर्शित किया है, जो शासन और सार्वजनिक सेवाओं में स्केलेबल AI-संचालित समाधानों के लिए एक उदाहरण स्थापित करता है।
- उदाहरण के लिए: भारत के आधार और UPI मॉडल दर्शाते हैं कि कैसे AI-संचालित नवाचार, वित्तीय समावेशन और सार्वजनिक सेवा दक्षता को बढ़ा सकते हैं।
ग्लोबल साउथ के हितों को AI सुरक्षा चिंताओं के साथ संतुलित करना
- AI तक पहुँच का लोकतंत्रीकरण: भारत को ग्लोबल साउथ की विकास आवश्यकताओं के लिए AI कंप्यूटिंग संसाधनों, डेटा और आधारभूत AI मॉडल तक समान पहुँच सुनिश्चित करनी चाहिए।
- उदाहरण के लिए: 18,000 GPU वाले AI कंप्यूटिंग संयंत्र की स्थापना करने की भारत की पहल, AI तक पहुँच का लोकतंत्रीकरण करने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
- स्थानीय आवश्यकताओं के लिए AI का विकास करना: भारत को ग्लोबल साउथ की आवश्यकताओं के अनुरूप AI अनुप्रयोगों को प्राथमिकता देनी चाहिए और स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा व कृषि में विकास संबंधी अंतराल को कम करने का प्रयास करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: ग्रामीण भारतीय स्वास्थ्य सेवा के लिए अनुकूलित AI-संचालित प्रारंभिक रोग पहचान उपकरण कम सेवा वाले क्षेत्रों में AI की परिवर्तनकारी क्षमता को उजागर करते हैं।
- प्रासंगिक विनियमन के माध्यम से AI सुरक्षा सुनिश्चित करना: पश्चिमी AI जोखिम ढाँचे को लागू करने के बजाय, AI सुरक्षा विनियमों को ग्लोबल साउथ की वास्तविकताओं के अनुकूल बनाया जाना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: AI के सांस्कृतिक प्रभाव पर भारत का ध्यान, यह सुनिश्चित करता है कि स्थानीय भाषाएँ और परंपराएँ, वेस्टर्न ट्रेन्ड (Western Trained) AI मॉडल द्वारा नष्ट न हों।
- ओपन-सोर्स AI मॉडल को बढ़ावा देना: ओपन-सोर्स AI को प्रोत्साहित करने से सहयोग और नवाचार को बढ़ावा मिलता है, जिससे वेस्टर्न AI एकाधिकार पर निर्भरता कम होती है।
- उदाहरण के लिए: ओपन-सोर्स AI मॉडल डीपसीक की सफलता, AI मॉडल निर्यात पर प्रतिबंधों को कम करने के महत्व को उजागर करती है।
- नैतिक AI विकास की वकालत करना: ग्लोबल साउथ के हितों की रक्षा के लिए भारत को पूर्वाग्रह शमन, नैतिक AI उपयोग और मानव-केंद्रित AI पर चर्चा का नेतृत्व करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: वैश्विक AI पारदर्शिता ढाँचे के लिए भारत का प्रयास यह सुनिश्चित करता है कि विकासशील देश, पक्षपातपूर्ण AI निर्णयन के अधीन न रह जायें।
AI-संचालित विश्व व्यवस्था में रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखना
- स्वदेशी AI क्षमताओं का निर्माण: भारत को स्वदेशी AI अनुसंधान, बुनियादी ढाँचे और प्रतिभा विकास में निवेश करके वैश्विक टेक कंपनियों पर AI निर्भरता को कम करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: भारत का AI मिशन और स्टार्ट-अप इकोसिस्टम घरेलू AI फर्मों की सहायता करता है, जिससे विदेशी AI प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता कम होती है।
- AI सुरक्षा संस्थान का विकास: AI सुरक्षा संस्थान की स्थापना से भारत को वेस्टर्न AI ढाँचे को पूरी तरह से अपनाने के बजाय अपने AI विनियामक मानकों को निर्धारित करने की सुविधा मिलती है।
उदाहरण के लिए: भारत का आगामी AI सुरक्षा संस्थान, भारतीय और वैश्विक दक्षिण प्राथमिकताओं के आधार पर जोखिम शमन रणनीतियों को आकार देगा।
- AI-संचालित डिजिटल संप्रभुता को बढ़ाना: घरेलू क्लाउड कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर विनिर्माण और AI चिप उत्पादन को मजबूत करना, महत्वपूर्ण AI बुनियादी ढाँचे में स्वायत्तता सुनिश्चित करता है।
- उदाहरण के लिए: “इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन” के तहत सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिए भारत का जोर, डिजिटल आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम है।
- अत्यधिक निर्भरता के बिना रणनीतिक AI गठबंधन: भारत को AI नीति निर्माण और डेटा शासन में स्वायत्तता बनाए रखते हुए वैश्विक AI नेताओं के साथ सहयोग करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: अमेरिका और फ्रांस दोनों के साथ भारत का AI सहयोग नीतिगत स्वतंत्रता को बनाए रखते हुए उन्नत AI प्रौद्योगिकियों तक पहुँच सुनिश्चित करता है।
- ग्लोबल साउथ के लिए AI नैतिक चार्टर विकसित करना: भारत एक AI नैतिक चार्टर का नेतृत्व कर सकता है जो उसके शासन मॉडल और ग्लोबल साउथ की चिंताओं को दर्शाता है।
- उदाहरण के लिए: भारत द्वारा आयोजित GPAI शिखर सम्मेलन ने समान संसाधन पहुँच के साथ जिम्मेदार AI विकास की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
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समावेशी AI ढाँचे को बढ़ावा देकर, भारत ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं और AI सुरक्षा अनिवार्यताओं के बीच सेतु के रूप में कार्य कर सकता है। नैतिक AI नीतियों को बढ़ावा देने, साउथ–साउथ सहयोग को बढ़ावा देने और स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देने से एक न्यायपूर्ण AI परिदृश्य का निर्माण होगा। रणनीतिक स्वायत्तता को अपने दिशा-निर्देश के रूप में अपनाकर, भारत दुनिया को “AI फॉर ऑल, सेफ्टी फॉर श्योर” की ओर ले जा सकता है।
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