Q. "भारत चक्रवातों से 'जीवन' बचाने में सफल रहा है, लेकिन 'आजीविका' सुरक्षित करना एक चुनौती बनी हुई है। विश्लेषण कीजिए।" (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत ने लोगों की जान का नुकसान होने से कैसे बचाया है।
  • आजीविका सुरक्षित करने में आने वाली बाधाएँ।

उत्तर

अक्टूबर 2025 में आए चक्रवात ‘मोंथा’ (Cyclone Montha) ने भारत की बेहतर आपदा तैयारी को दर्शाया समय पर चेतावनियों और त्वरित निकासी के कारण अपेक्षाकृत कम जनहानि हुई। किंतु किसानों, मछुआरों और श्रमिकों की बार-बार होने वाली आजीविका हानि यह दर्शाती है कि भारत की आपदा प्रबंधन व्यवस्था अभी भी ‘जीवन बचाने’ पर अधिक केंद्रित है, न कि ‘आजीविका सुरक्षित करने’ पर।

भारत ने चक्रवातों के दौरान जीवन बचाने में कैसे सफलता प्राप्त की है

  • बेहतर प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली: भारतीय मौसम विभाग (IMD) सटीक और समय पर पूर्वानुमान प्रदान करता है, जिससे अग्रिम निकासी और तैयारी संभव होती है।
  • प्रभावी शरण प्रबंधन: राज्यों ने सुदृढ़ निकासी प्रोटोकॉल और चक्रवात आश्रयों का विकास किया है, जिससे मानव हानि न्यूनतम हुई।
    • उदाहरण: ओडिशा स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (OSDMA) ने विभिन्न जिलों में 1,000 से अधिक बहुउद्देशीय चक्रवात आश्रयों का निर्माण किया ताकि लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा सके।
  • NDMA और NDRF के माध्यम से संस्थागत समन्वय:  राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) समन्वित प्रतिक्रिया तथा राहत कार्य सुनिश्चित करते हैं।
  • India’s Cyclone Corridorसामुदायिक आधारित आपदा तैयारी: स्थानीय स्वयंसेवी नेटवर्क और महिला स्वयं सहायता समूह (SHGs) जागरूकता तथा प्रतिक्रिया में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
  • तकनीकी एकीकरण और संचार अवसंरचना: GIS, सैटेलाइट ट्रैकिंग और मोबाइल अलर्ट का उपयोग वास्तविक समय संचार को सुदृढ़ बनाता है।
    • उदाहरण: NDMA का ‘कॉमन अलर्टिंग प्रोटोकॉल’ और SACHET ऐप सीधे नागरिकों तक कई तरह के खतरों के अलर्ट पहुँचाते हैं।

भारत का चक्रवात कॉरिडोर 

चक्रवातों के दौरान आजीविका सुरक्षित करने में बाधाएँ

  • उत्पादक परिसंपत्तियों का विनाश: कृषि, मत्स्य और पशुपालन को भारी नुकसान होता है, जिससे परिवारों की आय, आपदा के पश्चात् बुरी तरह प्रभावित होती है।
  • अपर्याप्त बीमा और वित्तीय सहायता: फसल और पशुधन बीमा कवरेज कम है, साथ ही मुआवजे में देरी या आंशिक भुगतान होता है।
  • कमजोर अवसंरचना और संपर्क: चक्रवात सड़कों, विद्युत आपूर्ति और संचार नेटवर्क को नुकसान पहुँचाते हैं, जिससे राहत और बाजार तक पहुँच बाधित होती है।
  • असंगठित श्रमिकों के पुनर्वास की कमी: दैनिक मजदूर और छोटे व्यापारी औपचारिक सामाजिक सुरक्षा या राहत योजनाओं से वंचित रहते हैं।
    •  उदाहरण: चक्रवात फाइलिन (2013) के बाद गंजाम जिले में असंगठित श्रमिकों को आजीविका पुनर्स्थापन योजनाओं के अभाव में लंबे समय तक बेरोजगारी झेलनी पड़ी।
  • पर्यावरणीय क्षरण और संवेदनशीलता: लगातार चक्रवात मिट्टी की उर्वरता घटाते हैं, मैंग्रोव नष्ट करते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र की प्रतिरोधक क्षमता को कम करते हैं।
    • उदाहरण: चक्रवात फानी (वर्ष 2019) के बाद ओडिशा के तटीय क्षेत्रों में मैंग्रोव क्षति से प्राकृतिक सुरक्षा और मत्स्यपालन दोनों घटे है।

निष्कर्ष

भारत की आपदा प्रबंधन प्रणाली ने IMD की सटीक भविष्यवाणी, NDRF की सक्रियता, और NDMA के समन्वय से चक्रवातों को ‘घातक आपदा’ से ‘प्रबंधनीय संकट’ में परिवर्तित कर दिया है।  अब आवश्यकता है कि आजीविका सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए अर्थात जलवायु-लचीला अवसंरचना, व्यापक बीमा कवरेज और आजीविका पुनर्स्थापन कार्यक्रमों (जैसे- PM मत्स्य संपदा योजना और NCRMP) के माध्यम से, ताकि भारत की तटीय स्थिरता दीर्घकालिक रूप से सुनिश्चित हो सके।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.