Q. भारत-मालदीव संबंधों के महत्त्व का मूल्यांकन कीजिए। इस द्विपक्षीय संबंध में चुनौतियों की पहचान कीजिए और इन चुनौतियों को दूर करने के लिए आवश्यक रणनीति सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत-मालदीव संबंधों के महत्त्व का आकलन कीजिए।
  • भारत-मालदीव द्विपक्षीय संबंधों में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालिए।
  • इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए रणनीति सुझाइये।

 

उत्तर:

भारत -मालदीव संबंध, ऐतिहासिक संबंध, आर्थिक सहयोग और हिंद महासागर क्षेत्र में सामरिक महत्त्व से युक्त हैं। विभिन्न चुनौतियों के बावजूद, राष्ट्रपति मुइजू के नेतृत्व में मालदीव सरकार के दृष्टिकोण में हाल ही में हुए बदलाव से भारत के प्रति एक सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण का संकेत मिलता है। यह संबंध क्षेत्रीय स्थिरता, विशेष रूप से सुरक्षा, व्यापार और पर्यटन के मामले में अति महत्त्वपूर्ण है, जो दोनों देशों को पारस्परिक लाभ पहुँचाता है।

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भारत-मालदीव संबंध का महत्त्व

  • समुद्री सुरक्षा के लिए सामरिक अवस्थिति: हिंद महासागर में मालदीव की अवस्थिति, भारत की समुद्री डकैती और आतंकवाद जैसे खतरों की निगरानी करने और उनका मुकाबला करने की क्षमता को बढ़ाती है।
    • उदाहरण के लिए: भारत ने समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने हेतु उपकरण प्रदान करके और  विभिन्न क्षमता निर्माण कार्यक्रमों  के माध्यम से मालदीव के तट रक्षक बल को सशक्त बनाने में सहायता की है।
  • आर्थिक संबंध और विकास सहायता: भारत ने मालदीव को निरंतर वित्तीय एवं  अवसंरचनात्मक सहायता प्रदान की है, जिसने मालदीव के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के लिए ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट जैसी परियोजनाओं के लिए 1.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान दिया है ।
  • पर्यटन और रोजगार के अवसर: मालदीव भारतीय पर्यटकों पर अत्यधिक निर्भर राष्ट्र है, और भारतीय पेशेवर मालदीव के विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: मालदीव के लिए भारत पर्यटकों के शीर्ष देशों में से एक बना हुआ है, जो महामारी के पश्चात् मालदीव की अर्थव्यवस्था के लिए अति महत्त्वपूर्ण साबित हुआ है।
  • कूटनीतिक और बहुपक्षीय जुड़ाव: जलवायु परिवर्तन और क्षेत्रीय सुरक्षा पर सहयोगात्मक प्रयास सुनिश्चित करते हुए भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मालदीव का समर्थन करता है।
    • उदाहरण के लिए: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अस्थायी सीट के लिए मालदीव के नाम का समर्थन किया है।
  • मानवीय और संकटकालीन सहायता: भारत ने आपात स्थितियों के दौरान मालदीव को त्वरित सहायता प्रदान की है, जिससे द्विपक्षीय संबंध मजबूत हुए हैं। 
    • उदाहरण के लिए: ऑपरेशन नीर के माध्यम से वर्ष 2014 के माले जल संकट के दौरान जलापूर्ति की गई, जो एक साझेदार के रूप में भारत की विश्वसनीयता को उजागर करती है।

भारत-मालदीव संबंधों में चुनौतियाँ

  • बाह्य शक्तियों विशेष रूप से  चीन का प्रभाव: मालदीव में चीन की बढ़ती पैठ इस क्षेत्र में भारत के सामरिक प्रभाव के लिए चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है। 
    • उदाहरण के लिए: सिनामाले ब्रिज ( Sinamale Bridge)  के लिए चीन द्वारा किए गए वित्तपोषण ने चीनी निवेश पर मालदीव की आर्थिक निर्भरता बढ़ा दी है।
  • सैन्य उपस्थिति पर सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: भारतीय सैन्य कर्मियों की उपस्थिति से राजनीतिक विवाद उत्पन्न हुए हैं जिससे राजनयिक और लोक विश्वास प्रभावित हुआ है।
  • आर्थिक और ऋण दबाव: मालदीव का उच्च ऋण स्तर, विशेष रूप से चीनी ऋणों, इसकी अर्थव्यवस्था और अन्य देशों के साथ इसके द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित कर रहे हैं। 
    • उदाहरण के लिए: क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody’s) द्वारा मालदीव की क्रेडिट रेटिंग में की गई गिरावट भारत सहित अन्य देशों से बाह्य सहायता की तत्काल आवश्यकता को प्रदर्शित करती है।
  • राजनीतिक अस्थिरता और नेतृत्व परिवर्तन: मालदीव के नेतृत्व में बार-बार बदलाव असंगत विदेश नीतियों को जन्म देता है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों की निरंतरता प्रभावित होती है।

चुनौतियों का समाधान करने की रणनीतियाँ

  • कूटनीतिक जुड़ाव और विश्वास-निर्माण: भारत को नकारात्मक जन अभियानों का मुकाबला करने के लिए मालदीव के विभिन्न राजनीतिक गुटों के साथ नियमित संवाद जारी रखने चाहिए।
  • आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ करना: भारत को बुनियादी ढाँचे और विकास परियोजनाओं का
    समर्थन करके आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए जिससे दोनों देशों को लाभ हो।

    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रपति मुइजू की यात्रा के दौरान हाल ही में हस्ताक्षरित मुद्रा विनिमय समझौता , दोनों देशों के आर्थिक सहयोग पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने का संकेत देता है।
  • पारदर्शिता के माध्यम से सुरक्षा चिंताओं का समाधान: भारत अपनी सैन्य गतिविधियों में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित कर सकता है ताकि मालदीव की जनता और सरकार को भारत के  उद्देश्य के संबंध में आश्वस्त किया जा सके। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने सहयोगात्मक सुरक्षा ढाँचे को बनाए रखते हुए विदेशी सैन्य उपस्थिति पर उत्पन्न चिंताओं को दूर करने के लिए अतिरिक्त सैन्य कर्मियों को वापस बुला लिया।
  • चीनी प्रभाव का मुकाबला:  भारत को बुनियादी ढाँचे और ऋण मुक्त परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए चीनी निवेश के लिए प्रतिस्पर्धी और सतत विकल्प पेश करने की आवश्यकता है।
    • उदाहरण के लिए: हनीमाधू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए भारत द्वारा किया गया वित्तपोषण, चीन समर्थित बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिए एक विकल्प प्रदान करता है।
  • सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना: सांस्कृतिक संबंधों और शैक्षिक आदान-प्रदान को मजबूत करने से दोनों देशों के बीच सद्भावना और मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा दिया जा  सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: मालदीव में RuPay कार्ड की शुरुआत, भारतीय पर्यटकों के लिए आसान लेन-देन की सुविधा प्रदान कर आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों में वृद्धि करती है।

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भारत-मालदीव संबंध हिंद महासागर में क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए अति महत्त्वपूर्ण है। हालाँकि जनभावना, बाह्य प्रभाव और सैन्य उपस्थिति जैसी चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं परंतु भारत की रणनीतिक कूटनीति, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक जुड़ाव इन बाधाओं को दूर कर सकते हैं। द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करके, दोनों देश अधिक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य की दिशा में कार्य कर सकते हैं।

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