Q. "भारत स्वदेशी जहाज निर्माण की तुलना में बंदरगाह विकास को प्राथमिकता दे रहा है। क्या यह रणनीति वास्तविक समुद्री रणनीतिक स्वायत्तता सुनिश्चित कर सकती है? आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।" (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • स्वदेशी निर्माण की बजाय बंदरगाह आधारित विकास से समुद्री सामरिक स्वायत्तता कैसे सुरक्षित होगी।
  • उस दृष्टिकोण में चुनौतियाँ।
  • आगे की राह।

उत्तर

भारत की समुद्री नीति सागरमाला और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के माध्यम से बंदरगाह आधारित विकास पर केंद्रित है, ताकि व्यापार और लॉजिस्टिक्स को सशक्त किया जा सके। यह पहल संपर्कता और दक्षता को बढ़ाती है, किंतु वास्तविक समुद्री स्वायत्तता तभी संभव है, जब भारत स्वदेशी जहाज निर्माण, बेड़े के स्वामित्व और प्रौद्योगिकी आत्मनिर्भरता को सशक्त करे।

बंदरगाह आधारित विकास समुद्री रणनीतिक स्वायत्तता को कैसे समर्थन दे सकता है

  • व्यापार प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि:  आधुनिक बंदरगाह टर्नअराउंड समय और लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार करते हैं, जिससे भारत की वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में स्थिति मजबूत होती है।
    • उदाहरण: अंडमान द्वीप में चेन्नई और कोलकाता के ट्रांसशिपमेंट हब से कोलंबो या सिंगापुर पर निर्भरता घटती है।
  • विदेशी और घरेलू निवेश आकर्षित करना: बंदरगाह आधुनिकीकरण और निजी टर्मिनल संचालन पूँजी प्रवाह और रोजगार सृजन बढ़ाते हैं, जिससे समुद्री आर्थिक शक्ति मजबूत होती है।
  • क्षेत्रीय संपर्कता में सुधार:  बेहतर बंदरगाह अवसंरचना भारत के तटीय क्षेत्रों को हिन्टरलैंड कॉरिडोर से जोड़ती है, जिससे वैश्विक आपूर्ति व्यवधानों के समय लचीलापन बढ़ता है।
  • नीली अर्थव्यवस्था का विकास:  प्रभावी बंदरगाह मत्स्यपालन, पर्यटन, अपतटीय ऊर्जा और अन्य समुद्री उद्योगों के विकास में सहायक होते हैं।
  • रणनीतिक उपस्थिति में वृद्धि: अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप जैसे द्वीपों में बंदरगाह परियोजनाएँ भारत की इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक स्थिति को सुदृढ़ करती हैं।

स्वदेशी जहाज निर्माण की उपेक्षा के कारण उत्पन्न चुनौतियाँ

  • विदेशी शिपिंग पर निर्भरता: विदेशी जहाजों पर अत्यधिक निर्भरता संकट के समय भारत की व्यापारिक मार्गों और आपूर्ति शृंखला पर नियंत्रण को सीमित करती है।
  • औद्योगिक क्षमता की उपेक्षा:  जहाज निर्माण में सीमित निवेश से भारी अभियांत्रिकी, डिजाइन और हरित शिपिंग तकनीक का विकास बाधित होता है।
  • रणनीतिक लाभ का क्षरण: स्वदेशी जहाज निर्माण और बेड़े के स्वामित्व के बिना, भारत वैश्विक मालभाड़ा दरों और चार्टर रेट अस्थिरता के प्रति संवेदनशील बना रहता है।
  • रक्षा–व्यावसायिक समन्वय की कमी: नागरिक जहाज निर्माण की सुस्ती से नौसेना निर्माण और समुद्री नवाचार में पारस्परिक लाभ घटता है।
  • नीतिगत और वित्तीय बाधाएँ: उच्च पूँजी लागत, असंगत सब्सिडी, और कमजोर अनुसंधान एवं विकास (R&D) के कारण जहाज निर्माण वाणिज्यिक रूप से अनुपयुक्त हो जाता है, जबकि बंदरगाह PPP अधिक लाभकारी बनते हैं।

आगे की राह

  • स्वदेशी जहाज निर्माण को पुनर्जीवित करना: घरेलू शिपयार्ड के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन, कर रियायतें, और दीर्घकालिक ऋण योजनाएँ प्रदान की जाएँ।
  • सार्वजनिक समुद्री उद्यमों को सशक्त करना: शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के बेड़े का विस्तार किया जाए और तेल व LNG जैसे महत्त्वपूर्ण कार्गो खंडों में भारतीय स्वामित्व सुनिश्चित किया जाए।
  • प्रौद्योगिकीय साझेदारी को बढ़ावा देना: जापान, दक्षिण कोरिया और यूरोप के साथ उन्नत जहाज डिजाइन और समुद्री प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए सहयोग किया जाए।
  • एकीकृत समुद्री नीति: समुद्री भारत विजन 2030 के अंतर्गत बंदरगाह विकास और औद्योगिक निर्माण को समन्वित रूप से आगे बढ़ाया जाए।

निष्कर्ष

बंदरगाह व्यापार के द्वार हैं, लेकिन जहाज समुद्री संप्रभुता के उपकरण। भारत का बंदरगाह आधारित विकास मॉडल लॉजिस्टिक दक्षता तो बढ़ाता है, किंतु स्वदेशी जहाज निर्माण, तकनीकी उन्नति और बेड़े की आत्मनिर्भरता के बिना रणनीतिक स्वायत्तता सुनिश्चित नहीं कर सकता। एक समग्र समुद्री रणनीति  जो अवसंरचना और औद्योगिक क्षमता दोनों पर आधारित हो भारत को एक वास्तविक वैश्विक समुद्री शक्ति बना सकती है।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.