Q. AI की सीमाहीन प्रकृति के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है। अंतर्राष्ट्रीय AI सुरक्षा मानकों को आकार देने में भारत की भूमिका और इस क्षेत्र में अग्रणी आवाज बनने में आने वाली चुनौतियों का मूल्यांकन कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • परीक्षण कीजिए कि किस प्रकार AI की सीमाहीन प्रकृति, वैश्विक सहयोग को आवश्यक बनाती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय AI सुरक्षा मानकों को आकार देने में भारत की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  • इस क्षेत्र में अग्रणी बनने में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
  • आगे की राह लिखिये।

उत्तर

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), जिसे अक्सर “चौथी औद्योगिक क्रांति” कहा जाता है, सीमाओं के बंधन से मुक्त है, और वैश्विक स्तर पर राष्ट्रों को प्रभावित करता है। इसकी सीमाहीन प्रकृति पूर्वाग्रह, दुरुपयोग और नैतिक दुविधाओं जैसे जोखिमों को कम करने के लिए एकजुट वैश्विक शासन की माँग करती है। हाल ही में, भारत ने IndiaAI को 10300 करोड़ रुपये से अधिक आवंटित करके और 2,000 से अधिक विशेषज्ञों के साथ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करके अपनी AI महत्त्वाकांक्षाओं को बढ़ावा दिया है, जिसका उद्देश्य AI सुरक्षा मानकों को आकार देना है।

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सीमाहीन AI और वैश्विक सहयोग की आवश्यकता

  • नैतिक चिंताएँ और पूर्वाग्रह: AI की सीमाहीन प्रकृति के लिए राष्ट्रों में नैतिक दुरुपयोग, पूर्वाग्रहों और अनपेक्षित परिणामों को संबोधित करने के लिए एकीकृत मानकों की आवश्यकता होती है। 
    • उदाहरण के लिए: द 2024 इंटरनेशनल नेटवर्क ऑफ AI सेफ्टी इंस्टीट्यूट्स, सीमाओं के पार लागू होने वाले नैतिक AI दिशा-निर्देश बनाने के लिए सहयोग करता है।
  • सीमा पार डेटा प्रवाह: वैश्विक सहयोग सुरक्षित डेटा हस्तांतरण और AI सिस्टम की अंतर-संचालनीयता सुनिश्चित करता है, जो दुनिया भर में निर्बाध कार्यक्षमता के लिए आवश्यक है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत की UPI प्रणाली सुरक्षित सीमापार भुगतान की सुविधा के लिए वैश्विक स्तर पर साझेदारी करती है।
  • उभरते जोखिम और शस्त्रीकरण: AI शस्त्रीकरण और गलत सूचना जैसे खतरों का मुकाबला करने के लिए एकीकृत शासन ढाँचे  की आवश्यकता है, जो सीमाओं से परे होती है। 
    • उदाहरण के लिए: सियोल स्टेटमेंट ऑफ इंटेंट (2024), AI से संबंधित सुरक्षा जोखिमों को दूर करने के लिए सामूहिक कार्रवाई को बढ़ावा देता है।
  • नवाचार और पारदर्शिता: सहयोगात्मक प्रयास, विकास और परिनियोजन में पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही को बढ़ावा देकर जिम्मेदार AI नवाचार को बढ़ावा देते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: यूरोपीय संघ का AI अधिनियम, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से नैतिक AI नवाचार और शासन के लिए एक वैश्विक मिसाल कायम करता है।
  • पहुँच और समानता: अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियाँ, AI उपकरणों तक समान पहुँच सुनिश्चित करती हैं, जिससे राष्ट्रों के बीच वैश्विक असमानताएँ कम होती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: UNESCO के वर्ष 2021 AI दिशानिर्देश समावेशी AI पहुँच  की वकालत करते हैं, जिससे भारत जैसे विकासशील देशों को सहायता मिलती है।

AI सुरक्षा मानकों को आकार देने में भारत की भूमिका

  • उच्च अंगीकरण दर: भारत में AI का पर्याप्त उपयोग, इसे वैश्विक सुरक्षा मानकों को आकार देने में एक प्रमुख देश के रूप में स्थापित करता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत में वैश्विक स्तर पर ChatGPT उपयोगकर्ताओं का 10% हिस्सा है, जो AI अंगीकरण में इसकी प्रमुख भूमिका को दर्शाता है।
  • स्केलेबल सिस्टम और विशेषज्ञता:आधार जैसी स्केलेबल प्रणालियों के साथ भारत का अनुभव, वैश्विक AI सुरक्षा ढाँचे  का नेतृत्व करने की इसकी क्षमता को दर्शाता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत की आधार और UPI प्रणालियाँ सुरक्षित, स्केलेबल डिजिटल बुनियादी ढाँचे के लिए विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हैं।
  • संस्थागत अंतराल: एक राष्ट्रीय AI सुरक्षा संस्थान की कमी, प्रमुख वैश्विक मंचों में भारत की भागीदारी को सीमित करती है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत 2024 के AI सुरक्षा संस्थानों के अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क में शामिल नहीं हो पाया, जिससे AI सुरक्षा चर्चाओं में उसका प्रभाव कम हो गया।
  • भू-राजनीतिक बाधाएँ: AI उपकरणों पर निर्यात नियंत्रण से भारत की उन्नत तकनीकों तक पहुँच सीमित होने का खतरा है। 
    • उदाहरण के लिए: अमेरिका द्वारा वर्ष 2024 में AI निर्यात प्रतिबंध लगाने से भारत के AI पारिस्थितिकी तंत्र के विकास पर अप्रत्यक्ष रूप से असर पड़ सकता है।
  • स्टार्टअप और वैश्विक नवाचार: सक्रिय वैश्विक जुड़ाव, भारत को अपने स्टार्टअप और AI पारिस्थितिकी तंत्र को नवाचार में अग्रणी बनाने में मदद कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत का IT क्षेत्र वैश्विक मानकों के साथ तालमेल बिठाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फल-फूल रहा है, एक ऐसा मॉडल जिसका AI स्टार्टअप अनुकरण कर सकते हैं।

AI सुरक्षा में अग्रणी बनने में भारत के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ

  • भू-राजनीतिक बाधाएँ: अमेरिका जैसे देशों द्वारा उन्नत AI उपकरणों पर निर्यात प्रतिबंध, भारत की अत्याधुनिक AI प्रौद्योगिकियों तक पहुँच को प्रभावित कर सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: चीन को लक्षित करके AI सॉफ्टवेयर पर अमेरिकी निर्यात नियंत्रण, अप्रत्यक्ष रूप से भारत की तकनीकी प्रगति को प्रतिबंधित कर सकता है।
  • खंडित नीति ढाँचा: भारत में AI सुरक्षा के लिए एकीकृत विनियामक ढाँचे  का अभाव है, जिससे इसकी घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय AI नीतियों में असंगतताएँ उत्पन्न होती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: यूरोपीय संघ के AI अधिनियम के विपरीत, भारत ने अभी तक व्यापक AI विनियमन लागू नहीं किए हैं।
  • संसाधन सीमाएँ : AI सुरक्षा अनुसंधान के लिए सीमित R&D फंडिंग और बुनियादी ढाँचा, भारत की इस क्षेत्र में नेतृत्व करने की क्षमता में बाधा डालता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत का AI R&D व्यय, अमेरिका और चीन जैसे देशों की तुलना में काफी कम है, जिससे इसकी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होती है।
  • प्रतिभा पलायन: कुशल AI पेशेवरों का बेहतर वित्तपोषित वैश्विक संस्थानों में प्रवास, भारत की एक मजबूत AI सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की क्षमता को नुक्सान पहुँच ाता है। 
    • उदाहरण के लिए: कई भारतीय AI शोधकर्ता और इंजीनियर, घरेलू संस्थानों के बजाय गूगल और OpenAI जैसी अंतरराष्ट्रीय फर्मों के लिए काम करते हैं।
  • समर्पित संस्थानों का अभाव: राष्ट्रीय AI सुरक्षा संस्थान की अनुपस्थिति, वैश्विक AI सुरक्षा संवादों में सार्थक योगदान देने की भारत की क्षमता में बाधा उत्पन्न करती है।

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AI सुरक्षा में भारत की अग्रणी भूमिका के लिए आगे की राह

  • राष्ट्रीय AI सुरक्षा संस्थान की स्थापना करना:  AI सुरक्षा अनुसंधान, नीति-निर्माण और वैश्विक मंचों में भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक समर्पित संस्थान बनाया जाना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: भारत, अनुसंधान और नीति प्रयासों के समन्वय के लिए AI सुरक्षा संस्थानों के अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क की अमेरिकी पहल का अनुकरण कर सकता है।
  • AI अनुसंधान एवं विकास निधि में वृद्धि: AI अनुसंधान के लिए पर्याप्त निधि आवंटित करना चाहिए और AI सुरक्षा में नवाचार और विकास को बढ़ावा देना चाहिए।
  • व्यापक AI विनियमन विकसित करना: वैश्विक मानकों के साथ तालमेल बिठाते हुए AI नैतिकता, सुरक्षा और जवाबदेही को संबोधित करने के लिए एक सशक्त नीति ढाँचा तैयार करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: भारत, यूरोपीय संघ के समान एक AI अधिनियम का प्रारूप तैयार कर सकता है, जिसमें सुरक्षा और नैतिक चिंताओं को संबोधित किया जा सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय गठबंधनों को मजबूत करना: वैश्विक AI सुरक्षा मंचों में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए और समान अंतर्राष्ट्रीय मानकों को आकार देने के लिए साझेदारी को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • घरेलू प्रतिभाओं को बनाए रखने में सहायता करना: भारत में AI पेशेवरों और शोधकर्ताओं को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहन और वित्तपोषण के अवसर प्रदान करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: “स्टार्टअप इंडिया” जैसी सरकार द्वारा सहायता प्राप्त पहलों को AI स्टार्टअप तक विस्तारित किया जा सकता है, जिससे प्रतिभाओं के पलायन को रोका जा सकता है।

सीमाओं के बिना AI को, सीमाओं के बिना नैतिकता की आवश्यकता है। भारत, अपनी बढ़ती तकनीकी क्षमता और समावेशी नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता के साथ अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी को बढ़ावा देकर और घरेलू AI विनियमों को मजबूत करके वैश्विक AI सुरक्षा मानकों को आगे बढ़ा सकता है। डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर की कमियों को दूर करना और पारदर्शी AI गवर्नेंस को बढ़ावा देना, भारत को एक सुरक्षित, स्मार्ट भविष्य के लिए वैश्विक AI नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करेगा।

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