प्रश्न की मुख्य माँग
- इस बात पर प्रकाश डालिये कि भारत का ‘स्टील फ्रेम’ शासन के लिए महत्त्वपूर्ण रहा है, हालाँकि इसे राजनीतिकरण और अकुशलता से संबंधित आधुनिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- लेटरल एंट्री पहल और परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध के आलोक में प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता का विश्लेषण कीजिए।
- संस्थागत शक्ति को संरक्षित करते हुए प्रशासनिक प्रणाली के आधुनिकीकरण हेतु एक संतुलित दृष्टिकोण का सुझाव दीजिए।
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उत्तर
सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा ‘स्टील फ्रेम’ के रूप में परिकल्पित भारतीय सिविल सेवा, भारत की प्रशासनिक प्रणाली का आधार है। ब्रिटिश शासन के दौरान स्थापित इस सेवा को शासन में तटस्थता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया था। इसके ऐतिहासिक महत्त्व के बावजूद, आधुनिक जटिलताओं के अनुकूल होने और संस्थागत अखंडता बनाए रखने जैसी चुनौतियों के कारण, वर्तमान समय की माँगों को पूरा करने हेतु इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है।
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भारत के ‘स्टील फ्रेम’ की भूमिका और इसके सम्मुख आने वाली आधुनिक चुनौतियाँ
भारत के’स्टील फ्रेम’ की भूमिका
- शासन में IAS का महत्त्व: IAS स्वतंत्रता के बाद से ही नीति निर्माण, कार्यान्वयन और प्रशासनिक निरंतरता बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है, भले ही शासन संबंधी जटिलताएँ समय के साथ विकसित हो रही हों।
- उदाहरण के लिए: कुशल प्रशासनिक नियोजन और क्रियान्वयन द्वारा हरित क्रांति को सुगम बनाया गया, जिससे वर्ष 1970 के दशक में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हुई।
- राष्ट्र निर्माण की विरासत: स्वतंत्रता के बाद, IAS ने भारत की शासन संरचना को आकार देने में मदद की और एक एकीकृत प्रशासनिक ढाँचे के साथ विकेंद्रीकृत लोकतंत्र को संतुलित किया।
- उदाहरण के लिए: IAS ने स्वतंत्रता के बाद के प्रवासन और शरणार्थियों के पुनर्वास के प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- स्वतंत्र प्रशासनिक कार्य: IAS ने राजनीतिक दलों से प्रशासनिक स्वतंत्रता बनाए रखी है, जो निष्पक्ष निर्णय लेने और सार्वजनिक सेवा वितरण के लिए आवश्यक है।
- उदाहरण के लिए: चुनाव आयोग में कार्य कर रहे IAS अधिकारियों ने बाह्य राजनीतिक दबावों के बावजूद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित किए हैं।
आधुनिक चुनौतियाँ
- राजनीतिकरण से प्रभावशीलता कम होती है: तबादलों, पदोन्नति और पोस्टिंग में बारम्बार राजनीतिक हस्तक्षेप से अधिकारियों की स्वायत्तता प्रभावित होती है व उनका मनोबल तथा उनकी पेशेवर दक्षता कम होती है।
- उदाहरण के लिए: अशोक खेमका जैसे अफसरों का बार-बार तबादला शासन की दक्षता पर राजनीतिक प्रभाव के नकारात्मक प्रभाव को उजागर करता है।
- विशेषज्ञता का अभाव: IAS अधिकारियों का सामान्य प्रशिक्षण, उनकी विशिष्ट भूमिकाओं के अनुकूल होने की क्षमता को सीमित करता है, जिससे जटिल नीतिगत चुनौतियों का समाधान करने में अक्षमता उत्पन्न होती है।
- उदाहरण के लिए: भारत में स्वास्थ्य सेवा सुधारों को लागू करने में देरी, स्वास्थ्य संबंधी वरिष्ठ भूमिकाओं में डोमेन विशेषज्ञों की कमी की समस्या को उजागर करती है।
- व्यवस्था को कमजोर करता हुआ भ्रष्टाचार: व्यवस्थागत भ्रष्टाचार, शासन में विश्वास को खत्म करता है और सार्वजनिक सेवा वितरण में अक्षमता उत्पन्न करता है, जिससे दीर्घकालिक विकास परिणाम प्रभावित होते हैं।
- उदाहरण के लिए: कोयला आवंटन घोटाले ने महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में प्रशासनिक अक्षमता और भ्रष्टाचार को उजागर किया।
लेटरल एंट्री और बदलाव के प्रति प्रतिरोध के मद्देनजर प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता
- डोमेन विशेषज्ञता का समावेश: लेटरल एंट्री, नीति निर्माण भूमिकाओं में विशेषज्ञों को शामिल करती है , जिससे प्रौद्योगिकी और जटिल क्षेत्रों में विशेषज्ञ IAS अधिकारियों की कमी संबंधी समस्या का समाधान होता है।
- उदाहरण के लिए: स्वच्छता परियोजनाओं में परमेश्वरन अय्यर जैसे विशेषज्ञों की नियुक्ति ने स्वच्छ भारत मिशन के नीति निष्पादन में सुधार किया।
- एकाधिकार को समाप्त करना: वरिष्ठ पदों पर IAS का प्रभुत्व कम करने से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और नवाचार को बढ़ावा मिलता है, जिससे समग्र शासन दक्षता में वृद्धि होती है।
- उदाहरण के लिए: अब केवल 33% संयुक्त सचिव IAS से संबंधित हैं, जबकि एक दशक पहले इस पद में IAS का लगभग पूर्ण प्रभुत्व था।
- राजनीतिक प्रतिरोध: राजनीतिक दबाव अक्सर सुधारों को रोक देता है, जिसके परिणामस्वरूप लेटरल एंट्री नीतियों के कार्यान्वयन में असंगतियां उत्पन्न होती हैं।
- अंदर से प्रतिरोध: व्यवस्थागत रूप से जड़ जमाए बैठी वरिष्ठता प्रणाली, लेटरल एंट्री के विरोध को बढ़ावा देती है, जिससे मनोबल में कमी और कैरियर की प्रगति में बाधा उत्पन्न होने का भय बना रहता है।
- नीति अनुकूलनशीलता को बढ़ाना: लेटरल एंट्री, गतिशील वैश्विक चुनौतियों के प्रति अनुकूलनशीलता का विकास करने में मदद करती है जिससे निजी और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रों से नए दृष्टिकोण सामने आते हैं।
- उदाहरण के लिए: रघुराम राजन जैसे अर्थशास्त्रियों ने सरकार के बाह्य सलाहकार के रूप में वित्तीय सुधारों को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया।
प्रशासन के आधुनिकीकरण के लिए संतुलित दृष्टिकोण
- प्रदर्शन-आधारित पदोन्नति: पदोन्नति को वरिष्ठता के बजाय मापने योग्य परिणामों से जोड़ें, जिससे प्रशासन के भीतर जवाबदेही को बढ़ावा मिले और उत्कृष्टता को प्रोत्साहन मिले।
- उदाहरण के लिए: कुछ राज्य-स्तरीय परियोजनाओं में प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहनों को अपनाने से प्रशासनिक दक्षता में वृद्धि हुई है।
- स्वायत्तता की रक्षा: लोकसेवाओं पर ध्यान देते हुए अधिकारियों को राजनीतिक रूप से प्रेरित स्थानांतरण और हस्तक्षेप से बचाने के लिए तंत्र स्थापित करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: प्रस्तावित सिविल सेवा मानक, प्रदर्शन और जवाबदेही विधेयक, 2010 का उद्देश्य मनमाने स्थानांतरण को संबोधित करना था, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया।
- लेटरल और वर्टिकल विकास का सम्मिश्रण: IAS अधिकारियों के लिए डोमेन विशेषज्ञता विकसित करने हेतु क्षमता निर्माण के साथ लेटरल एंट्री को मिलाकर एक हाइब्रिड प्रणाली की शुरुआत करनी चाहिए।
- उदाहरण के लिए: स्मार्ट सिटीज मिशन में IAS अधिकारियों और डोमेन विशेषज्ञों के बीच सहयोगी परियोजनाओं ने प्रभावी परिणाम दिखाए हैं।
- विशेषज्ञता को बढ़ावा देना: अधिकारियों के लिए क्षेत्र-विशिष्ट प्रशिक्षण में निवेश करना चाहिए, जिससे वे शासन में आने वाली प्रौद्योगिकी संबंधी चुनौतियों के अनुकूल बन सकें।
- उदाहरण के लिए: IAS अधिकारियों के लिए मिड -करियर ट्रेनिंग प्रोग्राम (MCTP) ने विशेषज्ञता बढ़ाने की क्षमता दिखाई है।
- समावेशिता सुनिश्चित करना: लेटरल एंट्री प्रक्रियाओं को ऐसे डिज़ाइन करना चाहिए कि इसमें आरक्षण प्रावधान भी शामिल हों ताकि हाशिए पर स्थित समूहों का उचित प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित हो सके।
- उदाहरण के लिए: लेटरल एंट्री विज्ञापनों में कोटा शामिल करने से बहिष्कार की चिंताओं को दूर किया जा सकता है।
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भारत की प्रशासनिक व्यवस्था को आधुनिक बनाने के लिए विशेषज्ञता के समावेशन हेतु लेटरल एंट्री, योग्यता आधारित पदोन्नति, नैतिक शासन प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण व सहयोग के लिए मिशन कर्मयोगी जैसी पहलों की आवश्यकता है। इंस्टीट्यूशनल मेमोरी के साथ सुधारों को संतुलित करने, पारदर्शिता के माध्यम से जवाबदेही को बढ़ावा देने और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने से 21वीं सदी की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने हेतु एक चुस्त, कुशल और नागरिक-केंद्रित प्रशासनिक ढांचा तैयार हो सकता है।
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